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धर्म की राह पर चलें, यह सबसे उत्कृष्ट मंगल है

locationनागौरPublished: Jul 04, 2020 11:00:42 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ की ओर से जयमल जैन पौषधशाला में एवं वद्र्धमान स्थानक जैन श्रावक संघ समता भवन में चातुर्मास धर्मसभा

धर्म की राह पर चलें, यह सबसे उत्कृष्ट मंगल है

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में प्रवचन के दौरान उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं।

नागौर. श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मास प्रवेश के उपलक्ष्य में धर्मसभा आयोजित की गई। इसमें जयगच्छाधिपति आचार्य पाश्र्वचंद्र महाराज, डॉ.पदमचंद्र महाराज की शिष्या समणी सुगमनिधि एवं समणी सुधननिधि ने प्रवचन किए।
समणी सुगमनिधि ने धर्मसभा में कहा कि मंगल शब्द हर व्यक्ति को अच्छा लगता है, कोई भी अमंगल नहीं चाहता। आज का दिन ऐसा ही एक मंगल प्रसंग है, जिसमें मंगल दिवस व मंगल वेला में मंगल प्रवेश हुआ। प्रवेश एक ऐसा शब्द जिससे उत्साह व उमंग छा जाता है। हर व्यक्ति को एंट्री पसंद है पर एग्जिट होना कोई नहीं चाहता। आगमन शब्द में ही गमन शब्द जुड़ा हुआ है, जहां आना है वहां जाना भी है। गमनागमन पर विराम तभी संभव है जब मोक्ष में प्रवेश हो, वहां से वापस प्रस्थान करने की आवश्यकता नहीं है। मोक्ष में प्रवेश के लिए सबसे पहले धर्म में प्रवेश करना होगा। भगवान महावीर ने धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा है।
महामारी से बचने को इम्युनिटी पॉवर बढ़ाएं
कोरोना से बचने के लिए जैन समणी सुधननिधि ने प्राणायाम, योग व ध्यान करने की प्रेरणा दी। कहा कि जैन संत डॉ.पदमचंद्र महाराज का प्ररूपित जैन अनुप्पेहा ध्यान योग साधना के तीसरे चरण का निरंतर अभ्यास करने से इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढऩे से रोग खत्म हो जाते हैं। इसी तरह धार्मिक कार्यों से पाप नष्ट होता है और पुण्य बढ़ता है। महामारी सामुदायिक कर्म का फल है। भावों की परिणीति एक जैसे होने के कारण से एक जैसे कर्म उदय में आते है। जब तीव्र पाप कर्म उदय में आते है तब ऐसी महामारी का प्रकोप झेलना पड़ता है।
जीवन में हरियाली फैलाते हैं संत और बसंत
नागौर. वद्र्धमान स्थानक जैन श्रावक संघ समता भवन में चातुर्मास के उपलक्ष्य में धर्मसभा आयोजित की गई। यहां गुरु श्रमण संघीय मिश्रीमल महाराज की शिष्या महासती कमलप्रभा आदि ठाणा चातुर्मास कर रही हैं।
उन्होंने प्रवचन में बताया कि संत व बसंत दोनों ही जीवन में हरियाली फैलाते हैं। संत मनुष्य जीवन में आध्यात्मिक एवं बसंत वातावरण में हरियाली फैलाते हैं। चातुर्मास के दौरान धर्म, ध्यान, तप, त्याग, दान-पुण्य के कार्य होने चाहिए। प्रत्येग वर्ग का इससे जुड़ाव होना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता धीमूसा ललवानी ने बताया कि जैन परम्परा अनुसार शनिवार से चातुर्मास शुरू हो गया है। संघ उपाध्यक्ष महावीर नाहटा रविवार को गुरु महिमा पर प्रवचन होंगे। प्रतिदिन प्रार्थना, प्रवचन, धार्मिक चर्चा, प्रतिक्रमण, नवकार मंत्र जाप आदि कार्यक्रम हो रहे हैं। इस दौरान ज्ञानचंद, निर्मल, रिखबचंद, कमल आदि मौजूद रहे।
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