कोरोना से बचने के लिए जैन समणी सुधननिधि ने प्राणायाम, योग व ध्यान करने की प्रेरणा दी। कहा कि जैन संत डॉ.पदमचंद्र महाराज का प्ररूपित जैन अनुप्पेहा ध्यान योग साधना के तीसरे चरण का निरंतर अभ्यास करने से इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढऩे से रोग खत्म हो जाते हैं। इसी तरह धार्मिक कार्यों से पाप नष्ट होता है और पुण्य बढ़ता है। महामारी सामुदायिक कर्म का फल है। भावों की परिणीति एक जैसे होने के कारण से एक जैसे कर्म उदय में आते है। जब तीव्र पाप कर्म उदय में आते है तब ऐसी महामारी का प्रकोप झेलना पड़ता है।
नागौर. वद्र्धमान स्थानक जैन श्रावक संघ समता भवन में चातुर्मास के उपलक्ष्य में धर्मसभा आयोजित की गई। यहां गुरु श्रमण संघीय मिश्रीमल महाराज की शिष्या महासती कमलप्रभा आदि ठाणा चातुर्मास कर रही हैं।
उन्होंने प्रवचन में बताया कि संत व बसंत दोनों ही जीवन में हरियाली फैलाते हैं। संत मनुष्य जीवन में आध्यात्मिक एवं बसंत वातावरण में हरियाली फैलाते हैं। चातुर्मास के दौरान धर्म, ध्यान, तप, त्याग, दान-पुण्य के कार्य होने चाहिए। प्रत्येग वर्ग का इससे जुड़ाव होना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता धीमूसा ललवानी ने बताया कि जैन परम्परा अनुसार शनिवार से चातुर्मास शुरू हो गया है। संघ उपाध्यक्ष महावीर नाहटा रविवार को गुरु महिमा पर प्रवचन होंगे। प्रतिदिन प्रार्थना, प्रवचन, धार्मिक चर्चा, प्रतिक्रमण, नवकार मंत्र जाप आदि कार्यक्रम हो रहे हैं। इस दौरान ज्ञानचंद, निर्मल, रिखबचंद, कमल आदि मौजूद रहे।