video---बंशीवाला के फागोत्सव में पहलीबार किन्नर समाज ने बरसाया रंग
नागौरPublished: Feb 28, 2023 11:59:23 pm
फाग गायन व होली के भजनों से ठाकुर जी को रिझाया
- किन्नरों संग शहरवासियों ने लिया फागोत्सव का जमकर आनन्द
- रंगों व फूलों की बारिश की मस्ती में सराबोर रहा ठाकुर का दरबार


नागौर. फूलों की बारिश करते किन्नर।
नागौर. बंशीवाला के दरबार में पहली बार किन्नरों का दरबार सजा तो माहौल बदला नजर आया। किन्नरों ने बंशीवाला की पूजा के साथ फागोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत की। दोपहर में किन्नरों का नृत्य एवं फाग गायन के साथ ढोलक एवं मजीरे की थाप पर शुरू हुआ। घुंघरुओं का शोर शाम को करीब सात बजे तक चला। इस दौरान पूरा बंशीवाला मंदिर परिसर न केवल भरा नजर आया, बल्कि फाग की मस्ती के आलम में ढोलक की थाप पर विदेशी सैलानी भी नृत्य करते नजर आए। किन्नरों के बरसाए फूलों से बंशीवाला के सामने फूलों की चादर बिछी गई।
बंशीवाला मंदिर में किन्नर समाज की ओर से फागोत्सव का आयोजन किया गया। किन्नर समाज की ओर से फागोत्सव का यह आयोजन पहली बार किया गया था। इस दौरान मंदिर में श्रद्धालु की भीड़ निर्धारित समय से पहले ही एकत्रित हो गई। किन्नर समाज की रेखा बाई एवं खुशी बाई ने भगवान श्रीकृष्ण का पहले पूजन किया गया। बंशीवाला की वंदना करने के साथ ही कार्यक्रम की शुरुआत रेखाबाई एवं खुशीबाई के गाय भजन से हुई। इनका साथ वहां पर मौजूद अन्य महिला श्रद्धालुओं ने दिया। किन्नरों से सुर के साथ अन्य सुर जुड़े तो बंशीवाला मंदिर परिसर भजनों की सरिता के रंग में डुबा नजर आया। कार्यक्रम तो यूं एक घंटे का था, लेकिन किन्नरों के भक्तिमय गायन एवं नृत्य के कारण श्रद्धालु शाम तक इनके साथ भक्ति के रंग में डूबे रहे। इस दौरान मंदिर परिसर में कार्यक्रम स्थल के चारों ओर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही होली के रंग में रंगे पारंपरिक लोकगीतों के साथ ही राजस्थानी सांस्कृतिक रंग में घुले भजन गूंजते रहे।
ढोलक एवं मजीरे की थाप के सुर से बंधे विदेशी सैलानी भी कार्यक्रम में पहुंचे। यहां पर नृत्य कर रहे किन्नरों के साथ ताल पर ताल मिलाकर कदम थिरकाए। कार्यक्रम के दौरान अबीर व गुलाल के उड़ते रंग के साथ फूलों की बारिश में श्रद्धालु नहाये नजर आए। पुजारी महेश ने बताया कि कार्यक्रम में आसपास के लोग काफी संख्या में शामिल हुए।
किन्नरों की ओर से इस तरह का यह पहला आयोजन था। अब तक किन्नर कार्यक्रम में शामिल जरूर होते रहे, लेकिन किन्नर समाज की ओर से फागोत्सव का आयोजन पहली बार किया गया।