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Forward Trading-यह क्या कर दिया सरकार ने, अब किसानोंका क्या होगा

locationनागौरPublished: Jul 19, 2019 10:41:50 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

नागौर. एनसीडीएक्स में मूंग को शामिल किए जाने के बाद इसको लेकर व्यापारियों-किसानों में विरोध के स्वर अब तेज होने लगे हंै।
 
 

Nagaur patrika

The second blow to the tenants after closing the registration of moong

-नागौर. एनसीडीएक्स में मूंग को शामिल किए जाने के बाद इसको लेकर व्यापारियों-किसानों में विरोध के स्वर अब तेज होने लगे हंै। सामान्य दिनों में समर्थन मूल्य पर बिक्री के बाद भी मंडी में सीजन के दौरान पांच हजार से ज्यादा बोरियों की आवक होती है। किसानों को भी खुली नीलामी की प्रक्रिया में पैसे भी तुरन्त मिल जाते हैं।

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किसान इससे बरबाद हो जाएगा

अब वायदा कारोबार में शामिल होने के बाद मूंग तो किसान का होगा, लेकिन मूल्य नियंत्रण उनके हाथ में नहीं रह जाएगा। व्यापारियों ने इस संबंध में आरएलपी के मुखिया हनुमान बेनीवाल से गत दिवस मुलाकात कर लोकसभा में भी यह प्रकरण उठाए जाने का आग्रह किया, हाड़तोड़ मेहनत करने वाला किसान इससे बरबाद हो जाएगा। व्यापारियों के अनुसार चंद लोगों के इशारे पर खेल रही सरकार की इस नीति के चलते न केवल नागौर जिले के बल्कि देशभर में मूंग से जुड़े किसानों व व्यापारियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
वायदा कारोबार में मूंग को शामिल किए जाने को लेकर व्यापारियों में अब सरकार के प्रति असंतोष की लहर दौडऩे लगी है। वायदा कारोबार से मूंग को बाहर नहीं किया जाता है तो फिर दाल फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर पहुंच जाएंगी। फैक्ट्रियां बंद होने की स्थिति में न केवल मझोले व छोटे व्यापारियों पर इसका असर पड़ेगा, बल्कि इसमें काम करने वाले भी बेरोजगार हो जाएंगे। किसानों को अपनी ही मेहनत का अच्छा मूल्य नहीं मिल पाएगा। एनसीडीएक्स में प्रति मिनट भाव बदलता रहता है। इसमें अभी छह हजार है तो फिर, थोड़ी देर में ही यह राशि पांच से चार हजार तक पहुंच सकती है। भावों के इस उतार-चढ़ाव के विज्ञान से अंजान किसान घाटा बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, नतीजन हालात बिगड़ेंगे।

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मूंग के कारोबार का गणित
कृषि उपजमंडी व्यापार मण्डल के पदाधिकारियों का कहना है कि दाल की कुल पंद्रह फैक्ट्रियों में सामान्य दिनों में सीजन के दौरान प्रतिदिन करीब तीन हजार मूंग के बोरियों की खपत होती है। एक दिन में ही यह कारोबार लाखों में होता है। प्रति फैक्ट्री आठ से दस कर्मियों को रोजगार मिला हुआ है। इतना ही नहीं, समर्थन मूल्य पर खरीद होने के बाद भी करीब पांच हजार से ज्यादा ही बोरियों की आवक मंडी के खुले कारोबार में होती है।डूंगरगढ़, बीकानेर, फलौदी, जोाध्पुर आदि क्षेत्रों से किसान जुड़े हैं इस तरह से मंडी को टेक्स तो मिलता ही है, किसानों को भी भावों के प्रति मिनट बदलने वाले उतार-चढ़ावों से नहीं गुजरना पड़ता।

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किसानों को खत्म कर देगा एनसीडीएक्स
वायदा कारोबार में मूंग को शामिल कर सरकार केवल किसानों को खत्म करने का काम कर रही है। चना सहित शामिल होने वाली अन्य जिंसों से जुड़े कारोबार भी लगभग ठप हो गए। नौकरशाही का विज्ञान समझ में नहीं आया कि वहिि कसानों को क्यों खत्म करना चाहती है। किसान खत्म हो गए तो फिर खेतों में जाकर हाड़तोड़ मेहनत अधिकारी करेंगे क्या। अनाज खेतों में उपजाने वाले ही खेती से मुंह मोड़ लेंगे तो फिर हालात भयावह हो जाएंगे।
जगबीर छाबा, उपाध्यक्ष कृषि उपजमंडी व्यापार मंडल नागौर……

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अब कितने किसान जुड़े वायदा कारोबार से
कृषि उपजमंडी के व्यापारी पवन भट्टड़ का कहना है कि पहले ही चना आदि को वायदा कारोबार में शामिल किया गया, लेकिन इसे वायदा कारोबार में शामिल कर सरकार किसका हित करने में लगी हुई है। किसान तो एनसीडीएक्स से नहीं जुड़ पाए, और न ही जुड़ेंगे। अब मूंग को भी शामिल कर लिया। चंद लोगों के इशारे पर किसानों की हाड़तोड़ मेहनत को खुर्दबुर्द करने वालों को खुद ही खेतों में जाकर मेहनत करनी चाहिए।

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