विवेक से करें प्रत्येक कार्य
डेह. प्राणी मात्र को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। मनुष्य के पास सोचने व समझने की क्षमता होती है, इसलिए उसे हर कार्य विवेक से करना चाहिए। अपने बुरे कर्मो का नाश करने के लिए समय-समय पर धार्मिक कार्य करते रहना चाहिए। यह बात पंडित महेन्द्रकुमार शास्त्री ने शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर डेह में चल रहे अष्टान्हिका पर्व के दौरान प्रवचन करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि पुण्य की प्रबलता से कष्टकारी दुरूख भी सहज हो जाते हैं। समाज के कार्यकर्ता सुनील पाण्डया ने बताया कि मन्दिर में चल रहे नन्दीश्वरदीप विधान का समापन शुक्रवार को होगा।
डेह. प्राणी मात्र को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। मनुष्य के पास सोचने व समझने की क्षमता होती है, इसलिए उसे हर कार्य विवेक से करना चाहिए। अपने बुरे कर्मो का नाश करने के लिए समय-समय पर धार्मिक कार्य करते रहना चाहिए। यह बात पंडित महेन्द्रकुमार शास्त्री ने शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर डेह में चल रहे अष्टान्हिका पर्व के दौरान प्रवचन करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि पुण्य की प्रबलता से कष्टकारी दुरूख भी सहज हो जाते हैं। समाज के कार्यकर्ता सुनील पाण्डया ने बताया कि मन्दिर में चल रहे नन्दीश्वरदीप विधान का समापन शुक्रवार को होगा।