ग्रामीणों का कबाड़ व्यापारियों के लिए सोना
नागौरPublished: Feb 08, 2019 07:52:37 pm
https://www.patrika.com/nagaur-news/
Chimney and lanterns were Sahara
हैंडीक्राफ्ट कंपनियां महंगे भावों खरीदती हैं रियासत कालीन वस्तुएं रूण .इन दिनों रूण क्षेत्र के कई गांवो में व्यापारी पुराना सामान खरीदते नजर आ रहे हैं । ये व्यापारी पुराने समय में सूत कातने वाले चरखे, कागज की लुगदी से बने हुए ठाठे और छोटे मुंह वाले लोह के घड़े, पुरानी लकड़ी की बनी हुई बैलगाडिय़ां और अन्य पुरानी वस्तुएं खरीदते हैं। जानकारी के अनुसार यह पुरानी वस्तुएं सस्ते भावों में व्यापारी खरीद कर हैंडीक्राफ्ट कंपनियों को महंगे भावों में बेचते हैं। यह पुरानी वस्तुएं व्यापारियों के लिए सोना साबित हो रही है। फिल्मों में पुरानी चीजों को दिखाने के लिए भी इनका इस्तेमाल होता है। पुरानी विरासत की वस्तुओं तथा पुराने जमाने की चीजों का संकलन करते हैं तथा उच्च स्तर पर उपलब्ध करवाते हैं जो प्रदर्शनी में तथा सिनेमा जगत में दिखाने के काम में आती है। इसीलिए कई फिल्म निर्माताओं के आदमी भी गांवो में यह चीजें खरीदते नजर आते हैं।
जानकारी के अनुसार सेनणी के कुनाराम चौधरी, भटनोखा के सुरेश गालवा ने बताया कि खरीदार मूंडवा और अन्य शहरों से गांवों मे आ रहे हैं। ग्रामीण जानकारी के अभाव और जगह की समस्या के चलते पुरानी संग्रहणीय वस्तुएं उन्हें बेच रहे हैं । इनमें सूत कातने वाला पुराना चरखा सिर्फ ५०० या ६०० रुपए में खरीदा जा रहा है, जबकि हैंडीक्राफ्ट जोधपुर में यही चरखा लगभग ४ और ५ हजार रुपए में बिकता है। लोहे का पुराना घड़ा सौ रुपए में खरीदा जा रहा है। असावरी के भागीरथ सोनी ने बताया इसी प्रकार कागज की लुगदी के ठाठे प्रत्येक का १० या २० रुपए दिए जा रहे हैं। पुरानी लालटेन और चिमनी रखने का स्टैंड भी लोहे के भाव में खरीद रहे हैं।
मूंडवा के व्यापारी हनुमानराम, अशरफअली, आसोप के रामकिशोर और नोखा चांदावता के रामदेव ने बताया कि हम गांवों से यह सामान खरीद कर थोड़े मुनाफे में नागौर या अन्य शहरों के थोक विक्रेताओं को बेच देते हैं। हमें नहीं पता कि यह सामान बड़े व्यापारी किसे देते हैं। हम तो कम मुनाफे में ही बेचते हैं।