नागौरPublished: Aug 21, 2018 11:55:24 am
Sharad Shukla
नागौर जिला मुख्यालय पर कलकट्रेट के पास स्थित पशु चिकित्सा केन्द्र को बहुउद्देशीय चिकित्सालय का दर्जा दिए जाने के बाद सरकार भूल गई।
Government forgot multipurpose hospital …
नागौर. जिले के बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में इलाज के लिए पशु तो आते हैं, लेकिन इलाज कराकर इन्हें तुरन्त ले जाना पड़ता है। गंभीर स्थिति होने पर भी पशुओं को इलाज के लिए यहां पर नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि डॉक्टर्स व स्टॉफ की तो तैनातगी होने के बाद भी बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय के अनुरूप अन्य व्यवस्थाएं यहां पर बिलकुल नहीं हैं। जेएलएन की तर्ज पर यहां भी 24 घंटे चिकित्सक की तैनातगी वार्ड में भर्तीं रोगी पशुओं के लिए प्रावधान होने के बाद भी यहां इस तरह की व्यवस्थाएं अब तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है।
पशुधन की बेहतरी के लिए करोड़ों-अरबों का खर्च करने वाले जिम्मेदार जिले के बहुउद्देशीय चिकित्सालय को भूल गए। 25-30 साल पूर्व स्थापन के समय 1935 में मिली बिल्डिंग में चल रहे चिकित्सा केन्द्र को बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय का दर्जा तो मिल गया, लेकिन यहां पर निर्धारित मापदंड में न वार्ड बने, और न ही चिकित्सा या शल्य कक्ष…! बमुश्किल जुगाड़ कर किसी तरह केन्द्र को चलाया जा रहा है। हालांकि यहां पर सुविधा के नाम पर पशुओं के सोनोग्राफी तक की मशीन होने के साथ ही शल्य क्रिया में दक्ष चिकित्सकों की तैनातगी तो है, लेकिन भवन का ढांचा व अन्य निर्माण तय प्रावधानों में नहीं होने के कारण जिले एवं इसके आसपास के पशु इस सुविधा से अब तक वंचित हैं। बहुउद्देशीय चिकित्सालय आने वाले पालकों के पशुओं के लिए यहां पर रुकने के लिए कोई बेहतर इंतजाम नहीं होने से चारों ओर धूल ही उड़ती रहती है। यहां पर हालांकि अन्त:रोगी, वाह्य रोगी, सामान्य वार्ड सरीखे शब्द बिल्डिंग में अलग-अलग जगहों पर लिखे हुए मिल जाते हैं, लेकिन यह वास्तव में पूरे परिसर में घूमने पर कहीं भी नजर नहीं आता है।
स्थापना के बाद से बजट नहीं मिला
बहुउद्देशीय चिकित्सालय की बिल्डिंग करीब 83 साल पहले मिली थी। बाद में इसे पशुपालन विभाग को हस्तांतरित कर दी गई। भवन का निर्माण व इसमें बने कक्ष उसी समय के बने हुए हैं। इसके बाद से इसमें केन्द्र स्थापित होने के बाद न तो इसके भौतिक ढांचे में सुधार हुआ, और न ही बहुउद्देशीय चिकित्सालय का दर्जा मिलने के बाद। पशुधन के नाम पर करोड़ों-अरबों का व्यय करने वाले जिम्मेदारों ने भी जिले के इस अस्पताल को पोली क्लीनिंग के तहत मिलने वाली एक भी सुविधा यहां पर नहीं दी।सोनोग्राफी मशीन, और ऑपरेशन कक्ष भी इसमें पशुओं की जांच के लिए सोनोग्राफी मशीन एवं ऑपरेशन के लिए आपरेशन कक्ष तो एक टेबल रखकर बना दिया, लेकिन मापदंड के तहत यहां पर ऑपरेशन कक्ष का न तो निर्माण हुआ, और न ही अन्य सुविधाएं हैं।
आंखों देखे हाल:बिगड़े हालात
बहुउद्देशीय चिकित्सालय में सुबह करीब साढ़े नौ बजे पहुंचे। यहां पर अन्त: रोगी कक्ष के नाम छह खाने बने मिले है। यह कहीं से भी वार्ड नजर नहीं आ रहा था। इसकी स्थिति देखकर साफ था कि यहां पर कभी कोई पशु नहीं रखा जाता है। औषधि वितरण कक्ष के नाम पर टेबलों पर दवाओं का ढेर मिला। पोली क्लीनिक के अनुरूप दवाओं के वितरण-रखरखाव की कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। उपनिदेशक कक्ष के पास ही ऑपरेशन कक्ष के साथ सोनोग्राफी कक्ष भी है, लेकिन मापदंड के तहत व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुओं को इसका फायदा बिलकुल नहीं मिल पा रहा है। इसकी भी होनी चाहिए व्यवस्था बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय के मापदंड के अनुसार सोनोग्राफी करने के लिए यहां पर रेडियोग्राफर होना चाहिए। इसके अलावा यहां पर नमूनों की जांच के लिए लेब टेक्नीशियन की व्यवस्था होनी चाहिए थी। यह व्यवस्थाएं यहां पर नहीं होने के कारण यह काम भी जुगाड़ के भरोसे जैसे-तैसे मापदंडों को तार-तार करते हुए चलाया जा रहा है।
इनका कहना…
&बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय का दर्जा तो मिल गया, लेकिन इसके मापदंड के तहत व्यवस्थाएं नहीं होने से इलाज में मुश्किलें होती है। इस संबंध में विभागीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. नरेन्द्र प्रकाश, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी व का. वा. उपनिदेशक बहुउद्देशीय चिकित्सालय