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टीबी रोगियों की सूचना नहीं देने पर दो साल तक की जेल

locationनागौरPublished: Mar 25, 2019 11:53:50 am

Submitted by:

shyam choudhary

– देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार हुई सख्त- निजी हॉस्पिटल, मेडिकल दुकान और लैब संचालकों को किया पाबंद

Tuberculosis

Number of TB patients increased in Nagaur

नागौर. देश को वर्ष 2025 तक टीबी (क्षय रोग) मुक्त करने के लक्ष्य को लेकर अब सरकार ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है, ताकि लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा सके। विभागीय स्तर पर जांच, उपचार एवं जागरुकता के साथ ही अब निजी हॉस्पिटल संचालकों, दवा विके्रताओं एवं लैब संचालकों की जिम्मेदारी तय की गई है। इसके बावजूद यदि लापरवाही बरती गई तो भारतीय दंड संहिता के तहत संचालक को जेल या जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। जेल की अवधि छह माह से लेकर दो साल तक की भी हो सकती है।
इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सम्बन्धित लोगों को पाबंद कर दिया है और यही वजह है कि नियमित रिपोर्ट भी प्राप्त हो रही है।
जिला क्षय निवारण केन्द्र के प्रभारी डॉ. श्रवण राव ने बताया कि प्रारम्भिक तौर पर कुछ संचालकों को नोटिस दिया है, फिर भी यदि सूचना नहीं दी जाती है तो उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
विभाग बकायदा इसका प्रचार-प्रसार भी कर रहा है। डॉ. राव ने बताया कि भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर निर्देशित किया है कि टीबी रोग एक खतरनाक बीमारी है। जीवन के लिए घातक है और यह जन स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी समस्या है। यह देश में अत्यधिक रूग्णता एवं मौतों के लिए जिम्मेदार है।
सजा व जुर्माने का प्रावधान
केन्द्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार यदि कोई हॉस्पिटल, फार्मेसी, केमिस्ट या अन्य दवा विक्रेता टीबी रोगी की सूचना विभाग को नहीं देता है, ग्रामीण या शहरी क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्मिक क्षय रोगी की सूचना मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं करते हैं तो सम्बन्धित के खिलाफ आईपीसी की धारा 269 व 270 के उपबंधों के तहत कार्रवाई की जा सकेगी। इसमें छह महीने से दो साल तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।
रोगी की सूचना देनी जरूरी
टीबी रोग का शीघ्र निदान एवं पूर्ण उपचार, निवारण व नियंत्रण आवश्यक है। यही वजह है कि अब मेडिकल, लैब व हॉस्पिटल संचालक जिला क्षय रोग अधिकारी या मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्धारित प्रपत्र में रिपोर्ट देने के लिए पाबंद हैं। यही नहीं जब टीबी मरीज कोई दवा लेने आता है तो उसकी पर्ची की छायाप्रति के साथ आधार कार्ड की प्रति रखने के लिए निर्देशित किया गया है।
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