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सरकारी की निजी स्कूलों पर मार, एक साल में बढ़े 36 हजार

locationनागौरPublished: Oct 19, 2021 09:53:50 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

संदीप पाण्डेय
एक्सक्लूसिव
नागौर. एक-एक नामांकन बढ़ाने को तरसते सरकारी स्कूलों की इस बार ‘पौ-बारह हो गई है। प्राइवेट स्कूलों को कोरोना की ऐसी ‘नजर लगी कि विद्यार्थी राजकीय स्कूलों में प्रवेश लेने लगे हैं। बच्चे ही नहीं अभिभावक तक ने प्राइवेट स्कूल का ‘मोह छोड़ दिया है।

 प्राइवेट स्कूल का 'मोह छोड़ दिया है।

पिछले दो सालों से सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है।

-पिछले दो सालों में कोरोना की रही मार, नागौर जिले में करीब 72 हजार विद्यार्थियों की वृद्धि-

इस सत्र में 36 हजार से अधिक विद्यार्थियों का सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है, जो रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी माना जा रहा है। मजे की बात तो यह है कि इनमें कक्षा नौ से बारहवीं तक के स्टूडेंट अधिक हैं। ये संख्या तो अभी और बढ़ेगी क्योंकि प्राइमरी स्कूलों की कक्षाएं तो अब धीरे-धीरे लगना शुरू हुई हैं। सबसे अहम बात तो यह कि कोरोना के चलते प्रवेशोत्सव जैसे कार्यक्रम भी ठीक ढंग से नहीं हो पाए।सूत्रों के अनुसार पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो शुरुआती तीन साल में तो हर बरस सरकारी स्कूलों का नामांकन घटता ही रहा है। सत्र 2020-21 में जहां जिले में कुल विद्यार्थी 3 लाख 74 हजार 371 थे जो सत्र 2021-22 में बढ़कर 4 लाख 11 हजार 83 हो गए हैं। इनमें नवीं से बारहवीं के विद्यार्थी सर्वाधिक हैं। इनमें प्रवेश की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर थे। अभी तो प्राइमरी स्कूलों में प्रवेश चालू ही हुए हैं। नामांकन में अभी और जबरदस्त वृद्धि होने की संभावना है। एक नजर में पांच सालसूत्र बताते हैं कि वर्ष 2017-18 में नागौर जिले के कुल 3070 स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख 54 हजार 415 थी जो अगले सत्र वर्ष 2018-19 में तीन लाख 44 हजार 265 ही रह गई। यानी करीब दस हजार विद्यार्थी कम हुए, नामांकन नहीं बढ़ा। इसके अगले साल सत्र 2019-20 में करीब छह हजार विद्यार्थी और घट गए। इस साल विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख 38 हजार 273 ही रह गई।
पिछले दो साल में आया उछाल

सूत्रों का कहना है कि पिछले दो सालों से सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है। सत्र 2020-21 में विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख 38 हजार 273 से बढ़कर तीन लाख 74 हजार 371 हो गई। यानी करीब 36 हजार विद्यार्थियों की वृद्धि हुई जो इस सत्र 2021-2022 में बढ़कर चार लाख 11 हजार 83 हो गई। इन दोनों सालों में कोरोना संक्रमण की मार से देश ही नहीं दुनिया जूझ रही थी।
पिछले दो साल में यहां इतने बढ़े

सूत्रों के अनुसार पिछले दो सालों में अकेले नागौर 322 सरकारी स्कूलों में सात हजार से ज्यादा विद्यार्थी बढ़े। डीडवाना के 190 स्कूलों में करीब 47 सौ, डेगाना के 219 स्कूलों में 46 सौ, जायल के 237 स्कूलों में करीब 48 सौ, खींवसर के 299 स्कूलों में सात हजार तीन सौ से अधिक विद्यार्थी बढ़े। इसी तरह कुचामन के 230 स्कूलों करीब 48 सौ, लाडनूं के 173 स्कूलों में करीब 49 सौ, मकराना के 261 स्कूलों में करीब साढ़े सात हजार बच्चों की वृद्धि हुई। आंकड़ों को देखें तो मेड़तासिटी के 220 स्कूलों में करीब साढ़े चार हजार, मौलासर के 159 स्कूलों में करीब तीन हजार, मूण्डवा के 157 स्कूलों में करीब 48 सौ, नावां के 163 स्कूलों में करीब साढ़े चार हजार, परबतसर के 237 स्कूलों में करीब 58 सौ और रियांबड़ी के 203 स्कूलों में करीब 49 सौ विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है।
बेरुखी के कई कारण

सूत्र बताते हैं कि पिछले करीब डेढ़ साल यानी दो सत्रों के दौर में स्कूलों का बंद होना, उस पर फीस की बंदिश। इसके साथ ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने बच्चों के ज्ञान में कोई खास परिवर्तन नहीं आना। साथ ही कोरोना के कब वापस आने की आशंका और मोटी फीस का डर भी अभिभावकों को सताता रहा। सरकारी स्कूलों की ओर रुख करने के ये कारण ही मुख्य रहे।
इनका कहना

नामांकन में काफी वृद्धि हुई है, कक्षा नवी से बारहवीं तक के विद्यार्थी काफी बढ़े, छोटी कक्षाओं में प्रवेश तो अभी चल रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों के बंद रहने, ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने मोटी फीस भी शायद लोगों को रास नहीं आ रही, इसीलिए वे सरकारी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं।
-बस्तीराम सांगवा, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नागौर

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