पिछले दो साल में आया उछाल सूत्रों का कहना है कि पिछले दो सालों से सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है। सत्र 2020-21 में विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख 38 हजार 273 से बढ़कर तीन लाख 74 हजार 371 हो गई। यानी करीब 36 हजार विद्यार्थियों की वृद्धि हुई जो इस सत्र 2021-2022 में बढ़कर चार लाख 11 हजार 83 हो गई। इन दोनों सालों में कोरोना संक्रमण की मार से देश ही नहीं दुनिया जूझ रही थी।
पिछले दो साल में यहां इतने बढ़े सूत्रों के अनुसार पिछले दो सालों में अकेले नागौर 322 सरकारी स्कूलों में सात हजार से ज्यादा विद्यार्थी बढ़े। डीडवाना के 190 स्कूलों में करीब 47 सौ, डेगाना के 219 स्कूलों में 46 सौ, जायल के 237 स्कूलों में करीब 48 सौ, खींवसर के 299 स्कूलों में सात हजार तीन सौ से अधिक विद्यार्थी बढ़े। इसी तरह कुचामन के 230 स्कूलों करीब 48 सौ, लाडनूं के 173 स्कूलों में करीब 49 सौ, मकराना के 261 स्कूलों में करीब साढ़े सात हजार बच्चों की वृद्धि हुई। आंकड़ों को देखें तो मेड़तासिटी के 220 स्कूलों में करीब साढ़े चार हजार, मौलासर के 159 स्कूलों में करीब तीन हजार, मूण्डवा के 157 स्कूलों में करीब 48 सौ, नावां के 163 स्कूलों में करीब साढ़े चार हजार, परबतसर के 237 स्कूलों में करीब 58 सौ और रियांबड़ी के 203 स्कूलों में करीब 49 सौ विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है।
बेरुखी के कई कारण सूत्र बताते हैं कि पिछले करीब डेढ़ साल यानी दो सत्रों के दौर में स्कूलों का बंद होना, उस पर फीस की बंदिश। इसके साथ ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने बच्चों के ज्ञान में कोई खास परिवर्तन नहीं आना। साथ ही कोरोना के कब वापस आने की आशंका और मोटी फीस का डर भी अभिभावकों को सताता रहा। सरकारी स्कूलों की ओर रुख करने के ये कारण ही मुख्य रहे।
इनका कहना नामांकन में काफी वृद्धि हुई है, कक्षा नवी से बारहवीं तक के विद्यार्थी काफी बढ़े, छोटी कक्षाओं में प्रवेश तो अभी चल रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों के बंद रहने, ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने मोटी फीस भी शायद लोगों को रास नहीं आ रही, इसीलिए वे सरकारी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं।
-बस्तीराम सांगवा, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नागौर