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नागौर : तीन साल के बछड़ों की बिक्री पर हट सकती है रोक

locationनागौरPublished: Sep 04, 2018 06:41:06 pm

Submitted by:

Dharmendra gaur

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nagaur calf news in hindi

नागौर : तीन साल के बछड़ों की बिक्री पर हट सकती है रोक

-सरकार अध्यादेश लाकर किसानों को दे सकती है राहत
-किसान सम्मेलन में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कर सकते हैं घोषणा
नागौर. आगामी 18 सितम्बर को नागौर जिला मुख्यालय स्थित पशु प्रदर्शनी स्थल पर आयोजित संभाग स्तरीय किसान सम्मेलन भूमि पुत्रों व पशुपालकों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। भाजपा पदाधिकारियों ने जिले समेत किसान वर्ग को राहत देने के लिए विशेष योजना बनाई है।किसानों की समस्याओं पर मंथन के बाद पार्टी पदाधिकारियों ने तीन साल से छोटे नागौरी बछड़ों को राज्य से बाहर भेजने पर लगी रोक को हटाने के संबंध में पार्टी नेतृत्व से चर्चा की है। इस मामले में कोर्ट की रोक के चलते केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाकर बछड़ों की बिक्री का रास्ता साफ कर सकती है।


खत्म होने के कगार पर नागौर के मेले
प्रदेश के दस राज्य स्तरीय पशु मेलों में से तीन नागौर में भरते हैं। इनमें नागौर का रामदेव पशु मेला, परबतसर का वीर तेजा पशु मेला व मेड़ता सिटी का बलदेव पशु मेला प्रमुख है। नागौर में हर साल भरने वाले रामदेव पशु मेले में सभी प्रकार के मवेशी लाए जाते हैं, लेकिन नागौरी बैल इस मेले का मुख्य आकर्षण हुआ करते थे। वर्ष 2000 में रामदेव पशु मेले में 13 हजार 600 गौ वंश की आवक हुई और इनमें से 10 हजार 150 बैल बिक गए लेकिन गत 2017 के मेेले में 3988 गौ वंश में से केवल 600 बैलों की बिक्री हुई। मेड़ता में 70 के दशक में दो लाख से ज्यादा बैल लाए जाते थे लेकिन यह आंकड़ा महज 5 हजार तक सिमटकर रह गया है।


बाहरी राज्यों में रहती है मांग
प्रदेश से बाहर बिक्री पर लगी रोक के कारण पशु मेलों में नागौरी नस्ल के बछड़ों की आवक लगातार घटती जा रही है। महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों में किसानों के पास छोटी जोत होने के कारण कृषि कार्य के लिए कद काठी में सुडोल व मजबूत होने के कारण नागौरी नस्ल के बैलों की मांग रहती है। लेकिन न्यायालय की ओर से लगी रोक बे बाद तीन साल तक के बछड़ों को किसान लावारिस छोड़ देते हैं। किसानों के लिए कृषि के साथ पशु पालन भी आय का जरिया है लेकिन बछड़ों की बिक्री नहीं होने से गौ पालन में कमी आई है, जिसका सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है।

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