इस पर उपखंड अधिकारी उत्तमसिंह शेखावत ने सानिवि के अधिशासी अभियंता जे. पी. यादव को मौके पर बुलाकर मंदिर से पानी निकासी की व्यवस्था करने और पानी से मंदिर की दीवारों को हुए नुकसान को ठीक करने के निर्देश दिए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने धरना समाप्त किया।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों डीडवाना में हुई बरसात के कारण राम मंदिर में पानी भर गया। यही नही मंदिर के सामने सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा बनाया जा रहा नाला भी अधूरा छोड़ दिए जाने के कारण नाले से रिसकर पानी मंदिर के तलघर में पहुंच गया। इससे नाराज हिंदूवादी संगठनों ने गत दिनों उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर समाधान की मांग की थी। इस संबंध में राजस्थान पत्रिका ने सोमवार के अंक में फोटो स्टोरी भी प्रकाशित कर इस समस्या को प्रमुखता से उजागर किया था।
सत्यनारायण कथा 27 को
डीडवाना.
शहर के श्री दोजराज गणेश मन्दिर ट्रस्ट के तत्वाधान में गुरू पुर्णिमा के अवसर पर दोजराज गणेश मंदिर में भगवान श्रीसत्यनारायण की सन्निधि में 27 जुलाई को श्रीसत्यनारायण कथा का आयोजन होगा।
ट्रस्टी राजेन्द्र प्रसाद पटवारी ने बताया कि 27 जुलाई को प्रात: 9 बजे से श्रीसत्यनारायण कथा होगी। तथा प्रात: 11:15 बजे महाआरती कर प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसके तहत चन्द्रप्रकाश गौड़, परशुराम वर्मा, अनिल छितरका, बृजमोहन शास्त्री, मनोज ध्यावाला, पुजारी रामावतार दाधीच, परमेश्वरलाल नागौरी, बजरंगलाल लदनिया, हनुमान प्रसाद पौद्दार, डॉ. जसकरण गौड़, बाबूलाल प्रजापत, कमल वर्मा, नन्दकिशोर सोनी, अंकित अग्रवाल, सुरेश सोनी, मंगनीराम रूवटिया, कैलाश सोनी, रामदेव अग्रवाल, गणेश गौड़, पवन प्रजापत, रमेश गौड़, महेश अग्रवाल, कैलाश गौड़ आदि तैयारियों में जुटे हुए हैं।
धर्म रक्षा के लिए भगवान का अवतार
मकराना. भाटीपुरा स्थित बालाजी मंदिर में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह तीसरे दिन सोमवार को व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए प्रेमदास डोडास ने कहा कि जब धरती पर पाप बढ जाता है एवं धर्म का नाश होने लगता है तो धर्म की रक्षा के लिए भगवान अवतार लेते हैं। प्रह्ललाद चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज ने कहा कि परमात्मा को निराकार एवं सर्वत्र है। अपने भक्त की रक्षा लिए भगवान ने नृसिंह रूप में खम्बे से प्रकट होकर प्रह्ललाद के विश्वास को कायम रखा। गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डोडास ने कहा कि गुरु हमेशा अपने शिष्य का भला चाहता है चाहे अपने शिष्य के भले के लिए गुरु को स्वयं परेशानियों का सामना भी करना पड़े। कथा के दौरान महाराज ने संगीत के साथ भजनों की प्रस्तुतियां दी। उस दौरान उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर होकर नाचने लगे।