लॉक डाउन के दौरान लोगों को भोजन खिलाने में आई परेशानी के मद्देनजर अन्नपूर्णा योजना के मोबाइल वाहन शुरू करने की मांग भी उठी थी। प्रबुद्ध लोगों ने राज्य सरकार को पत्र भेजे थे, ताकि सस्ती दरों पर भोजन व नाश्ता उपलब्ध हो सके, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उस समय कई भामाशाहों ने लोगों की मदद की थी। इसके तहत अधिकतर खाद्य सामग्री के पैकेट बांटे गए, लेकिन मोबाइल वैन सुचारू रहती तो लोगों को पका भोजन मिल सकता था।
नई योजना का नाम बदलने के साथ ही कलेवर भी बदला नजर आएगा। इसमें स्थानीय स्तर पर व्यवस्थाएं की जाएगी, जिससे भोजन का स्वाद और मैन्यू स्थानीय स्तर का होगा। स्थानीय भामाशाह या संस्थाएं इसके लिए काम कर सकेंगी। वहीं वर्ष-2016 में तत्कालीन भाजपा सरकार की ओर से लागू की गई अन्नपूर्णा योजना में एक ही कंपनी को ठेका दिया गया, जो प्रदेशभर में एक ही तरह का मैन्यू चला रही थी।
योजना के तहत भवन से लेकर बिजली-पानी का खर्च भी नगरीय निकाय वहन करेंगे। पूरी रसोई स्थापित कर मुहैया कराई जाएगी। संस्थाओं को केवल सामग्री लाकर भोजन पकाना होगा एवं लोगों को खिलाने की जिम्मेदारी होगी। भोजन मुहैया करवाने वाली संस्थाओं को प्रति लाभार्थी बीस रुपए दिए जाएंगे, जिसमें से आठ रुपए लाभार्थी से एवं बारह रुपए निकाय से मिलेंगे।
जिले में कुल पंद्रह रसोईघर संचालित किए जाएंगे। इसमें से नागौर व मकराना शहर में तीन-तीन एवं अन्य नौ निकायों में एक-एक इंदिरा रसोई स्थापित की जाएगी। इनकी देखभाल एवं संचालन का जिम्मा धार्मिक संस्था, गैर सरकारी संस्था या ट्रस्ट के अधीन रहेगा। इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। बिना लाभ हानि के संचालित होने वाली इस योजना के तहत एक समय में डेढ़ सौ लोगों को भोजन कराया जाना प्रस्तावित है। नागौर शहर में नकास गेट रैन बसेरा, पुराना बस स्टैंड शेल्टर होम व तहसील चौक में रसोई स्थापित की जाएगी।
प्रदेश में 20 अगस्त से इंदिरा रसोई योजना शुरू की जा रही है। इसमें संस्थाओं के जरिए सस्ती दरों पर भोजन मुहैया कराया जाएगा। योजना के तहत रसोई का संचालन करने वाली संस्थाओं से 10 अगस्त तक आवेदन मांगे गए हैं। भोजन के लिए लाभार्थी से आठ रुपए लेने होंगे तथा सरकार से बारह रुपए दिए जाएंगे। संस्था को पूरी रसोई स्थापित करके देंगे। उन्हें केवल सामग्री लाकर भोजन ही पकाना है।
– जोधाराम बिश्नोई, आयुक्त, नगर परिषद, नागौर