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सोलह दिन लगातार लड़े थे ग्रेनेडियर सुरेन्द्र सिंह

locationनागौरPublished: Jul 26, 2019 06:40:35 pm

Submitted by:

Anuj Chhangani

नागौर. मात्र 23 वर्ष की उम्र में देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले मूण्डवा पंचायत समिति के संखवास के शहीद ग्रेनेडियर सुरेन्द्र सिंह चौहान ने करगिल युद्ध Kargil yodh में करगिल की बर्फीली पहाडिय़ों पर लगातार 16 दिन तक देश के लिए लड़ाई लड़ी।

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सोलह दिन लगातार लड़े थे ग्रेनेडियर सुरेन्द्र सिंह

nagaur news in hindi : नागौर. मात्र 23 वर्ष की उम्र में देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले मूण्डवा पंचायत समिति के संखवास के शहीद ग्रेनेडियर सुरेन्द्र सिंह चौहान ने करगिल युद्ध में करगिल Kargil Vijay Diwas की बर्फीली पहाडिय़ों पर लगातार 16 दिन तक देश के लिए लड़ाई लड़ी। दुश्मन की गोली से घायल हुए तो साथियों ने उन्हें नीचे लाने का निर्णय लिया, लेकिन ग्रेनेडियर चौहान ने यह कहते हुए मना कर दिया। उन्होंने खुद के प्राणों की परवाह किए बिना साथी सैनिकों को लड़ाई जारी रखी। हालांकि चौहान ने 21 जून 1999 को करगिल युद्ध Kargil war diwas में लड़ते देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन लड़ाई में भारत की जीत हुई।
ग्रेनेडियर सुरेन्द्रसिंह चौहान ने लड़ते हुए दुश्मन पर जो कहर बरफाया, उससे दुश्मन के पांव कांप उठे। उन्होंने राजस्थान की वीर परम्परा को कायम रखते हुए देश के लिए बलिदान दिया, जिसे आज संखवास ही नहीं पूरे प्रदेश में गर्व से याद किया जाता है।
घायल होने के बावजूद अस्पताल नहीं गए
शहीद के भाई गोविन्दसिंह चौहान ने बताया कि ग्रेनेडियर चौहान भारतीय सेना की 16वीं ग्रेनेडियर बटालियन में करगिल की बर्फीली चोटियों में टाइगर हिल 64 नम्बर पर ‘ऑपरेशन विजय’ operation vijay के दौरान देश की रक्षा के लिए लड़ रहे थे, इसी दौरान 21 जून को दुश्मन सेना के साथ मुठभेड़ हुई और एक गोली उनको लगी। गोली लगने पर सुरेन्द्रसिंह को सेना के हॉस्पिटल ले जाने के लिए अधिकारी ने साथी जवानों को कहा, लेकिन चौहान ने रेजिमेंट ऑनर का सम्मान करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य करीब है और मुझे नीचे ले जाने के लिए जवानों की जरूरत होगी, इसलिए मुझे हॉस्पिटल ले जाने की बजाय दुश्मनों को मारो। मुझसे ज्यादा जरूरत जवानों की यहां पड़ेगी और उन्होंने बहादूरी के साथ अपना मोर्चा संभाले रखा। इसी दौरान एक ग्रेनेड दुश्मन की ओर से फेंका गया, जिसमें संखवास का जवान शहीद हो गया। रेजिमेंट ने ऑपरेशन विजय में जीत हासिल की और 22 जून की सुबह राजधानी दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शहीद की पार्थिव देह को सलामी देते हुए कहा कि ऑपरेशन विजय के इन शहीदों को देश हमेशा याद रखेगा। जयपुर के जनपथ मार्ग स्थित शहीद स्मारक पर अंकित राजस्थान के महान शहीदों में ग्रेनेडियर सुरेन्द्रसिंह चौहान का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में सुशोभित है।

सरकार का मिला पूरा सहयोग

शहीद के भाई राजेन्द्रसिंह चौहान ने बताया कि उनके बड़े भाई ने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए थे। जिसका सम्मान आज उनके परिवार को मिल रहा है। केन्द्र एवं राज्यों की सरकारों ने भी शहीद का पूरा सम्मान करते हुए उन्हें हर प्रकार का सहयोग एवं सहायता उपलब्ध करवाई है। शहीद के नाम से मिली गैस एजेंसी वे खुद संचालित कर रहे हैं। शहीद के पिता करणसिंह चौहान उर्फ भंवरसिंह का वर्ष 2013 में देहांत हो गया। जबकि माता आशा कंवर का आशीर्वाद आज भी पूरे परिवार को मिल रहा है।

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