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सेना के आधा दर्जन वीर अब भी कतार में , राज्य सरकार ने पूछा काम किस रफ्तार से

locationनागौरPublished: Jul 06, 2022 09:33:24 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

-25 बीघा नहरी जमीन देने का मामला-किसी को 11 साल तो कोई 8 साल से कर रहा है इंतजार
-प्रस्ताव बीकानेर के उपनिवेशन विभाग में
– कुछ तो वो भी झमेले में जिन्हें जैसलमेर के दूरदराज टीले दिखाए थे, उन्हें पसंद नहीं आए तो लेने से कर दिया था इनकार

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एक्सक्लूसिव

संदीप पाण्डेय

नागौर. जान की बाजी लगाकर बहादुरी का पदक पाने वाले करीब आधा दर्जन जवानों को अब तक उनका हक नहीं मिल पाया है। इनमें एक शौर्य चक्र विजेता, दो सेना मेडल तो तीन राष्ट्रपति पुलिस पदक हासिल करने वाले शूरवीर हैं। इनको 25 बीघा नहरी जमीन का इनाम अब तक नहीं मिला। इनमें से एक को तो इंतजार करते-करते ही 11 बरस बीत गए। बात यहीं पर खत्म नहीं होती, करीब सात माह पहले राज्य सरकार ने ऐसे जवानों की सूची भी मांगी थी, जल्द से जल्द इनके प्रस्ताव सैनिक कल्याण बोर्ड से होते हुए बीकानेर स्थित उपनिवेशन विभाग में पहुंचने के बाद धूल-फांक रहे हैं। ये भी नहीं कि एक बार ही पत्र भेजा गया हो, उपनिवेशन विभाग के कारिंदों को याद दिलाने के लिए बार-बार पत्र तक भेजे गए पर हाल वही ढाक के तीन पात। बताया जाता है कि राज्य सरकार समय-समय पर इस बाबत रिपोर्ट लेकर मामलों का जल्द निस्तारण करने को कह रही है।
सूत्रों के अनुसार अभी जो आधा दर्जन वीर नहरी जमीन मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उनमें पांच डीडवाना के तो एक नागौर का है। सहायक कमाण्डेंट भवानी सिंह,मघराज जांगिड़, करण सिंह राठौड़, आसु सिंह, किशोरीलाल समेत छह रिटायर सेना के वीरों को अब तक उनके हक की जमीन नहीं मिली है। सरकारी कार्यप्रणाली के आगे वे बेबस नजर आ रहे हैं। इनमें एक मामला तो वर्ष 2011 तो एक 2015 से लंबित पड़ा है।
सूत्र बताते हैं कि लाडनूं के गांव बिठूड़ा के मघराज जांगिड़ का मामला तो 11 साल से भी अधिक समय से अटका है। पैराट्रूपर जांगिड़ सेना मेडल से सम्मानित हैं। इनका प्रस्ताव वर्ष 2011 में ही तत्कालीन जिला कलक्टर ने उपनिवेशन विभाग, बीकानेर को भेज दिया था। नावां के गांव कांसेड़ा निवासी डीआईजी करण सिंह राठौड़ का भी यही हाल है। उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक मिल चुका है पर नहीं मिली तो इसके सम्मान में मिलने वाली जमीन। करीब आठ सात साल से इनका प्रस्ताव भी उपनिवेशन विभाग बीकानेर में रद्दी बनकर पड़ा है। सहायक कमाण्डेंट भवानी सिंह का मामला भी करीब छह साल से लंबित है। मकराना के राणी गांव निवासी भवानी सिंह भी राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित हैं। तत्कालीन नागौर कलक्टर ने जुलाई 2016 में यह प्रस्ताव उपनिवेशन को भेजा था, तब से इस प्रस्ताव का कुछ नहीं हुआ। शौर्य चक्र प्राप्त करने वाले आशुसिंह अब दुनिया में नहीं रहे। नावां के चितावा के निवासी आशु सिंह का परिवार करीब साढ़े तीन साल से अपना हक मिलने के इंतजार में है। इसी पद से सम्मानित जवान किशोरलाल का मामला भी करीब तीन साल से उपनिवेशन विभाग के पास पड़ा है। इसी तरह लाडनूं के पूर्व सैनिक हरिराम और स्वर्गीय नानूराम युद्ध विकलांग सैनिक सम्मान से सम्मानित तो हुए पर उन्हें जमीन अब तक नहीं मिल पाई।
25 बीघा नहरी जमीन का इनाम

सूत्र बताते हैं कि इन सम्मानित सैनिकों को 25 बीघा नहरी जमीन देने का प्रस्ताव कल्याण बोर्ड से होते हुए बीकानेर स्थित उपनिवेशन विभाग तक जाता है। बताया जाता है कि इनमें शहीद के परिवारों को तो जल्द से जल्द जमीन मिल जाती है, लेकिन सेना में पदक पाकर इसका हकदार बने सेना वीरों को यह मिलने में बरसों लग जाते हैं। कलक्टर की ओर से बार-बार पत्र भी भेजे जाते हैं पर मामला गति नहीं पकड़ पाता।
कई को पसंद नहीं आई अब खाली हाथ

सूत्रों की मानें तो जायल की कठौती के सरवनराम हो या डीडवाना का कैप्टन महबूब, इनको सेना में रहकर आतंकियों को ढेर करने के लिए सेना मेडल तो मिला, लेकिन कुछ समय पहले जैसलमेर में वो जमीन दिखा दी, जहां टीले ही टीले थे, पानी का नामोंनिशान नहीं था। ऐसे में इन्होंने जमीन लेने से मना कर दिया, तब से ये खाली हाथ है। बताया जाता है कि ऐसे सैनिकों की संख्या भी एक दर्जन के आसपास है। सरवन राम ने इस बाबत सैनिक कल्याण कार्यालय के पास भी इसकी जानकारी भेज दी।
राज्य सरकार ने भी मांगी थी जानकारी

इन सैनिकों को जमीन नहीं मिल पाने के कारणों के साथ राज्य सरकार ने इसकी जानकारी मांगी थी। कुछ समय पहले दी गई जानकारी को तत्कालीन कलक्टर ने सरकार को प्रस्तुत भी कियाद्ध बताया जाता है कि फरवरी माह में नागौर जिले के किसी सैनिक को यह जमीन जरूर मिली, लेकिन बाकी का मामला अभी भी अटका पड़ा है।
इनका कहना

जिले के करीब आधा दर्जन सैनिक वीरों का मामला उपनिवेशन विभाग में लंबित है। समय-समय पर इस बाबत पत्र-व्यवहार कर रहे हैं।

-कर्नल राजेंद्र सिंह जोधा, सैनिक कल्याण अधिकारी नागौर
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