पैदा होते ही अपनों से ठुकराए गए इस शिशु की खुशनसीबी का पासपोर्ट बन गया है। स्वीडन के इस दंपती ने इस नागौरी शिशु को गोद लिया है। नागौर के शिशु गृह से यह 18वां शिशु गोद जा रहा है पर बाहरी देश जाने वाला यह पहला बच्चा है। कई सालों से बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के जरिए गोद देने की इस प्रक्रिया में संभवतया राजस्थान में इक्का-दुक्का बच्चे ही देश से बाहर गए हैं।
पत्रिका ने गत बीस दिसम्बर को इस संबंध में समाचार प्रकाशित किया था। Òदस माह बाद चमके किस्मत के सितारे, स्वीडन में पाला-पोसा जाएगा नागौरीÓ शीर्षक से प्रकाशित समाचार के बाद कागजी कार्रवाई में देरी हो गई, अन्यथा बच्चा जनवरी में ही चला जाता। दम्पती बच्चे को पालने के लिए एक-एक साल की छुट्टी लेंगे।
बच्चा सौंपने के दौरान बाल कल्याण समिति कार्यालय में उत्सव सा माहौल था। कलक्टर के साथ सीडब्लूसी के अध्यक्ष मनोज सोनी, अधीक्षक किशनाराम लोल एवं सहायक निदेशक संजय सांवलानी समेत समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे। कलक्टर पीयूष सामरिया ने बताया कि कानूनी कार्रवाई के बाद बच्चा बुधवार को स्वीडिश दंपती को सौंप दिया।
करीब साढ़े तीन साल का इंतजार खत्म सूत्र बताते हैं कि स्वीडन के इस दंपती ने इंटरनेशनल एडोप्शन एजेंसी (आईएए) के जरिए बच्चा गोद लेने का ऑनलाइन आवेदन किया था। आईएए में होने वाले रजिस्ट्रेशन में एक-दूसरे देश का बच्चा गोद लिया जा सकता है। सरकारी नौकरी करने वाले इस दंपती के कोई संतान नहीं है। करीब तीन साल पहले इन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया था। केन्द्रीय दत्तक ग्रहण एजेंसी (कारा) के संयोजन से बच्चे की फोटो व अन्य दस्तावेज-जानकारी में आने के बाद इस दंपती ने शिशु को लेने की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। स्वीडन से बार-बार आने की मुश्किल से बचने के लिए दंपती द्वारा एनओसी जारी कर पासपोर्ट बनवाने और गोद संबंधी सभी कागजी कार्रवाई पूरी अब जाकर पूरी हुई। यानी बच्चा गोद लेने का साढ़े तीन साल का इंतजार बुधवार को खत्म हुआ। स्वीडन के इस दंपती ने किस देश का बच्चा चाहिए, इसमें भी भारत को चुना। दंपती को दिल्ली में बैठे एजेंसी के दुभाषिए की मदद से यहां के संबंधित अधिकारी और कार्मिकों से बात कराई गई थी। आईएए के साथ कारा के बाद इस शिशु की किस्मत के सितारे चमक उठे।
दस साल में 18वां बच्चा सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2011 से पालना गृह के साथ गोद देने की प्रक्रिया चल रही है। तकरीबन दस साल में 17 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं। यह गोद जाने वाला 18वां बच्चा है। ये वही बच्चे हैं जिनके अपने ही न जाने किन मजबूरियों के चलते इन्हें पालना गृह में छोड़ गए थे। अभी नागौर के शिशु गृह में दो बच्चे और हैं।
गोद लेने वाले भरमार सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय दत्तक ग्रहण एजेंसी (कारा) में आवेदन करने वालों की संख्या दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। इस साइट पर दंपती को तीन स्टेट अथवा पूरे भारत का ऑप्शन मिलता है। इस साइट पर संबंधित बच्चों का पूरा रिकॉर्ड मिलता है। जिसमें उम्र के साथ मेल-फीमेल का ऑप्शन होता है। इस समय वेटिंग तीन हजार से अधिक चल रही है, एक अनुमान के मुताबिक गोद लेने वाले इन इच्छुक दंपती को अभी चार बरस का इंतजार करना पड़ सकता है। इससे जुड़े अधिकारियों का मानना है कि एक सुखद पहलू यह है कि अधिकांश दंपती गोद लेने वाले बच्चे की तुलना में बच्चियों को प्राथमिकता दे रहे हैं।