नागौरPublished: Oct 14, 2018 11:50:04 am
Sharad Shukla
बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने खुद के प्रावधान को ही तार-तार कर दिय। शहर के निकटवर्ती गिनाणी उच्च माध्यमिक विद्यालय को दो पारियों में चलाया जा रहा है। जबकि प्रावधान एक पारी का ही है।
Guinani school again operated in single innings
नागौर. बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने खुद के प्रावधान को ही तार-तार कर दिय। शहर के निकटवर्ती गिनाणी उच्च माध्यमिक विद्यालय को दो पारियों में चलाया जा रहा है। जबकि प्रावधान एक पारी का ही है। विद्यालय की संस्था प्रधान का कहना है कि विभाग के निदेशक से दो पारियों चलाने की अनुमति उनके पास है। जानकारों का कहना है कि निदेशक भी विभाग के प्रावधानों के खिलाफ नहीं जा सकते हैं, क्यों कि प्रावधान के तहत ही निदेशक के पद भी अतित्व रहता है। अन्यथा प्रावधान भंग हुआ तो फिर उस प्रावधान के तहत पदों पर तैनात अधिकारी कैसे विभाग को संचालित कर सकेंगे। इसमें विशेष बात यह है कि पहली पारी कक्षा छह से 12वीं तक की, और दूसरी पारी पहली कक्षा से आठवीं तक के बच्चों की है। बड़ों को सुबह एवं छोटे बच्चों को दूसरी पारी में बुलाए जाने के प्रावधान व व्यवस्था पर जिले के शिक्षाधिकारियों से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि अगर ऐसा है तो जांच करा ली जाएगी। माना जा रहा है कि कथित रूप से निजी हित के चलते परिवर्तन में भी घालमेल की काररस्तानी की गई है। अब सच्चाई तो जांच होने पर ही सामने आ पाएगी।
शिक्षा विभाग के जानकारों के अनुसार गिनाणी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षाएं पहले तो एक पारी में ही चल रही थी, लेकिन गत तीन या चार अक्टूबर से एक से 12वीं तक की कक्षाओं को संस्था प्रधान नीलम मीना ने दो पारियों में बांट दिया। इनमें से पहली पारी छठी से 12वीं तक के बच्चो की,जबकि दूसरी पारी पहली कक्षा से आठवीं कक्षा की नीयत की गई। जानकारों की माने तो दो पारियों में विद्यालय चलाने के दौरान छोटे बच्चों की स्थिति का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था, लेकिन रखा नहीं गया। कथित रूप से किन्हीं कारणों के चलते यह परिवर्तन कर दिया गया। जबकि स्कूल परिसर में सभी बच्चों की एक पारी में क्लास चलाए जाने के लिए पर्याप्त स्थान या क्लास रूप में हैं। ऐसे में जगह अपर्याप्त होने का हवाला देते हुए दो पारियों में चलाना असंगत है, और इसमें शैक्षिक हित का बिलकुल ध्यान नहीं रखा गया। ऐसा जानकारों का कहना है। इस संबंध में संस्था प्रधान नीलम मीना से बातचीत ुहुई तो उनका कहना है कि विभाग के निदेशक एवं जिले के मुख्य जिला शिक्षाधिकारी की ओर स उनके पास दो पारियों में विद्यालय को चलाने की अनुमति है। इसलिए दो पारियों में विद्यालय को चलाया जा जा सकता है। पहले स्टॉफ की कमी के कारण दो पारियों में नहीं किया जा सका, लेकिन अब नामांकन बढऩे और जगह कम होने के कारण दो पारियों में इसे करना पड़ा। बताया जाता है कि विद्यालय में कुल कमरों की संख्या महज 10 है, जबकि बच्चों की संख्या साढ़े पांच सौं है। इनमें से 410 बच्चे माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक के हैं,जबकि शेष 140 बच्चे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक के हैं। ऐसे में जगह पर्याप्त नहीं होने के कारण विभाग के निदेशक से विशेष अनुमति लेकर विद्यालय को पारियों करना पड़ा। जानकारों का कहना है कि दो पारियों में स्कूल संचालन करना था तो फिर बड़े बच्चों को ही पहली पारी में क्यों रखा गया, और छोटे बच्चों को दूसरी पारियों में…! साफ है कि परिवर्तन शैक्षिक हित की आड़ में जरूर किया गया है, लेकिन इससे छोटे बच्चों की पढ़ाई निश्चित रूप से प्रभावित होगी।
प्रावधान बड़ा या निदेशक
जानकारों का कहना है कि निदेशक भी संवैधानिक दायरे के तहत ही निर्देश या अनुमति दे सकते हैं। जब सरकारी विद्यालयों को दो पारियों में संचालित करने का प्रावधान ही शिक्षा विभाग में नहीं है तो फिर निदेशक ने यह असंवैधानिक निर्देश या अनुमति कैसे प्रदान कर दी। साफ है कि ऊपर से लेकर नीचे तक गड़बड़झाला होने का अंदेसा जानकारों ने जताया है।
इनका कहना है…
गिनाणी विद्यालय को दो पारियों में विशेष परिस्थितियों में चलाने की अनुमति निदेशक की ओर से मिलने पर चलाया जा सकता है। विद्यालय के पास इसकी अनुमति है।
गोरधनलाल सुथार, जिला मुख्य शिक्षाधिकारी समसा, नागौर