वर्ष – औसत बारिश
1995 – 505
1996 – 765
1997 – 604
1998 – 405
1999 – 243
2000 – 300
2001 – 363
2002 – 144
2003 – 469
2004 – 295
2005 – 387
2006 – 267
2007 – 319
2008 – 465
2009 – 189
2010 – 547
2011 – 441
2012 – 523
2013 – 538
2014 – 461
2015 – 526
2016 – 479
2017 – 413
2018 – 351
2019 – 592.2
(इस वर्ष की बारिश अब तक की है।)
कलक्ट्रेट की एलआर शाखा के जिला रिसोर्स पर्सन कपिल देव शर्मा ने बताया कि पिछले 25-26 वर्षों में सबसे अधिक बारिश वर्ष 1996 में हुई थी, जबकि सबसे कम बारिश वर्ष 2002 में 144 एमएम हुई थी। इसी प्रकार वर्ष 2009 में भी 189 एमएम बारिश हुई, जो औसत से करीब 180 एमएम कम थी।
जिले में इस बार बारिश् देरी से होने के कारण खरीफ की बुआई कृषि विभाग के लक्ष्य से काफी कम हो पाई। कृषि विभाग ने इस बार जहां 12 लाख 20 हजार हैक्टेयर का बुआई लक्ष्य रखा, वहां 11 लाख 39 हजार 685 हैक्टेयर में ही बुआई हो पाई। इसमें उप जिला कुचामन सिटी क्षेत्र में जहां 7 लाख 68 हजार 600 हैक्टेयर लक्ष्य की तुलना में 7 लाख 55 हजार 815 हैक्टेयर में बुआई हुई, जबकि उप जिला मेड़ता सिटी क्षेत्र में 4 लाख 51 हजार 400 हैक्टेयर लक्ष्य की तुलना में 3 लाख 83 हजार 870 हैक्टेयर में बुआई हुई। यानी मेड़ता क्षेत्र के नागौर, जायल, मूण्डवा एवं खींवसर तहसीलों में कम व देरी से हुई बारिश के चलते लक्ष्य की तुलना में काफी कम बुआई हुई।
इस बार जिले में पहले तो बारिश समय पर नहीं हुई और फिर अल्पावधि में अधिक बारिश हो गई, जिससे खरीफ की बुआई समय पर नहीं हो पाई। जहां फसलें ठीक पनपी, वहां अधिक बारिश होने से खराब हो गई, इससे खरीफ के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
– शंकरराम सियाग, कृषि अधिकारी (पौध संरक्षण), कृषि विभाग, नागौर