सूत्रों के अनुसार ठेकेदार रामचंद्र चौधरी, लीला ट्रेडर्स के मालाराम, विजय चौघरी, रामनिवास चौधरी और राजूराम के खिलाफ नागौर डेयरी के तत्कालीन प्रबंधक मदन बागड़ी की ओर से गत 11 नवंबर को एक मामला कोतवाली थाने में दर्ज कराया था। इस एफआईआर को निरस्त करने की मांग पर एक याचिका इन ठेकेदारों ने जोधपुर हाईकोर्ट में दायर कर दी थी। हाल ही में इस मामले की सुनवाई के दौरान नागौर डेयरी की ओर से अधिवक्ता बीपी माथुर ने कहा कि ठेकेदार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस पर न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने ठेकेदारों से जांच में सहयोग करने को कहा।
सूत्र बताते हैं कि मामला दर्ज हुए तकरीबन दस महीने होने को आए। पहले जांच एसआई बनवारी लाल मीणा के पास थी, जो बाद में नागौर सीओ विनोद कुमार सीपा के पास पहुंची। जांच अधिकारी ही नहीं डेयरी से भी बार-बार ठेकेदारों से जमा राशि के संबंध में दस्तावेज/जानकारी मांगी गई। सीओ सीपा के समक्ष ठेकेदार तीन-चार बार पेश भी हुए, साथ ही दस्तावेज भी सौंपे।इधर, नागौर डेयरी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कई बार उन्हें जमा रकम की डिटेल देने को कहा गया ताकि जांच में आसानी हो, लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं। इसके चलते मामले की जांच जस की तस बनी हुई है।
अटकी नई जांच भी करीब दो माह पूर्व डेयरी प्रबंधन ने इस मामले की एक जांच सहकारी समितियां अजमेर को सौंपी। वहां की रीजनल ऑडिटर रेनू अग्रवाल नागौर डेयरी आकर पूछताछ कर गईं। बाद में इस जांच का जिम्मा नागौर डेयरी के अतिरिक्त रजिस्ट्रार गंगाराम को सौंप दिया, लेकिन उनका तबादला होने से यह जांच भी अटक गई है। यही नहीं अब दूध परिवहन के घोटाले का मामला कॉमर्शियल कोर्ट में भी ले जाने की तैयारी चल रही है। पिछले दिनों दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की बैठक में इस बाबत फैसला भी हो चुका है।
इनका कहना बार-बार कहने के बाद भी ठेकेदार खाता मिलान नहीं कर रहे, न ही सहयोग कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने सुनवाई में इस पर नाराजगी जताई, साथ ही सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाने तक का अल्टीमेटम दे दिया। अब पांच अगस्त को सुनवाई है।
-जीवण राम धायल, चेयरमैन, दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, नागौर।