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नागौर

बीमारियों से बचाएंगे घरेलू उपाय, बढ़ा सकते हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

गेस्ट राइटर- आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. हरेंद्र भाकल: आरोग्य के लिए प्राकृतिक उपहारों के उपयोग की सलाह दे रहा आयुर्वेद, बीमारियों से बचे रहने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए

नागौरApr 09, 2020 / 02:12 pm

Jitesh kumar Rawal

बीमारियों से बचाएंगे घरेलू उपाय, बढ़ा सकते हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

नागौर. आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. हरेंद्र भाकल।

नागौर. आमतौर बीमारी की चपेट में आने पर रोग का उपचार किया जाता है, लेकिन इस बात पर अधिकतर लोग ध्यान नहीं देते कि अपना शरीर रोग की चपेट में आया क्यों। बचाव के प्रयास पहले ही कर लिए जाए तो बीमारियों से बचा जा सकता है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में हमें ज्यादा कुछ करना भी नहीं है। जीवन शैली और दिनचर्या में तारतम्य रखते हुए स्वस्थ रहा जा सकता है। कुछ ऐसे उपाय भी करने चाहिए, जो स्वास्थ्य के लिए हितकर है। ये उपाय बिना किसी अतिरिक्त खर्च के ही कर सकते हैं।
घर की रसोई में मिलने वाली वस्तुओं का उचित उपयोग स्वस्थ रहने में मददगार हो सकता है। यही कारण है कि आयुर्वेद जीवन का विज्ञान होने के साथ ही स्वस्थ एवं प्रसन्न रहने के लिए प्रकृति के उपहारों के इस्तेमाल पर जोर देता है।वर्तमान में विश्व के अधिकतर देश कोराना वायरस के संक्रमण का दंश झेल रहे हैं। हालांकि इसके उपचार की अभी कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इससे बचे रह सकते हैं। किसी भी रोग को अपने से दूर रखने का यह सहज उपाय है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर और मजबूत रखने से हम निरोग रह सकते हैं। किसी रोग का कोई उपचार न हो तो उससे बचे रहना ही श्रेयस्कर है। आयुर्वेद का प्रथम प्रयोजन ही स्वस्थ्य व्यक्ति के स्वास्थ्य को बरकरार रखना है। बीमार होने के बाद रोग का प्रशमन करना दूसरा प्रयोजन है।
पुरुषार्थ चतुष्टय का मूल है आरोग्य

आरोग्य को ही पुरुषार्थ चतुष्टय अर्थात धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष का मूल माना गया है। शस्त्रों के अनुसार भी निरोगी काया को ही पहला सुख माना गया है। शरीर को निरोगी बनाए रखने के लिए हमें हर संभव प्रयास करने चाहिए। जब बीमार ही नहीं होंगे तो दवा की जरूरत भी नहीं रहेगी। निरोगी बने रहने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना चाहिए।
गर्म पानी व खास मसालों का उपयोग

श्वसन सम्बंधी विशेष संदर्भ के साथ आयुष मंत्रालय ने विभिन्न उपाए सुझाए हैं। इनके नियमित उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने एवं स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं। सामान्य तौर पर दिनभर गर्म पानी पीना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम तीस मिनट तक योगासन, प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करें। भोजन बनाने में हल्दी, जीरा, धनिया, लहसुन जैसे मसालों का इस्तेमाल करना चाहिए।
काढ़ा, हर्बन टी या गोल्डन दूध लें

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिदिन सुबह एक चम्मच या दस ग्राम तक च्यवनप्राश लेना चाहिए। मधुमेह के रोगी शुगर फ्री च्यवनप्राश ले सकते हैं। दिन में एक या दो बार तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ व मुनक्का से बना काढ़ा अथवा हर्बल टी लेनी चाहिए। आवश्यकता के अनुरूप इसमें नींबू रस या गुड़ भी मिला सकते है। इसी तरह डेढ़ सौ मिली गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिला गोल्डन दूध दिन में एक या दो बार सेवन करना चाहिए।
इस तरह मजबूत बनेगा श्वसन तंत्र

श्वसन तंत्र पर हमला करने वाले विषाणु मुख्यत: नाक से ही प्रवेश करते हैं। इनसे बचाव के लिए सरल आयुर्वेदिक प्रक्रियाएं भी करनी चाहिए। सुबह-शाम नाक में तिल का तेल, नारियल का तेल या घी लगाना चाहिए। इससे नासिका ग्रंथी मजबूत बनती है तथा वायरस आदि नाक के जरिए श्वसन तंत्र तक नहीं पहुंच पाते। ऑयल पुलिंग थैरेपी भी इसमें मददगार साबित होती है। इसके तहत एक चम्मच तिल का तेल या नारियल तेल मुंह में लेकर गरारे की तरह घुमाते रहना चाहिए। दो-तीन मिनट तक कुल्ला करके थूक देना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला व गरारे करें। इस तरह से दिन में एक या दो बार किया जा सकता है। इस थैरेपी से रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं श्वसन तंत्र मजबूत बनता है।

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