कैसे करते है दो आदमी पूरे डाकघर का काम जानकर होंगे आप भी हैरान
https://www.patrika.com/nagaur-news/

दो कार्मिकों के भरोसे लाडनूं का मुख्य डाकघर
लाडनूं. संचार का सबसे पुराना तंत्र भारतीय डाक सेवा के स्थानीय कार्यालय में कार्मिकों की कमी के कारण सेवाएं बाधित हो रही है। कस्बे के मुख्य डाकघर में वर्तमान में मात्र दो कार्मिक कार्यरत हैं। जिन पर पूरे कस्बे की डाक सेवाओं को सुसंचालित करने की जिम्मेदारी है। वर्तमान स्थिति में 4 डाक सहायक के पदों में से 3 रिक्त हैं। मात्र एक डाक सहायक एवं एक पोस्ट मास्टर कार्यरत है। इसी तरह 2 एमटीएस के पदों में से भी 1 पद रिक्त है। जो एमटीएस वर्तमान में कार्यरत है उसे भी इसी माह के अंत में सेवानिवृत्त होना है। जिससे स्थिति अत्यंत गम्भीर बन जाएगी। 75 हजार से अधिक आबादी वाले कस्बे के मुख्य डाकघर में आमजन की सुविधा के लिए दो काउंटर संचालित हैं वहीं क्षेत्र के 6 अन्य डाकघरों के नकदी बैंक लेन-देन सहित अन्य सुविधाएं यहां से संचालित होती है। यहां कार्यरत दोनों कर्मचारी प्रतिदिन तीन से चार घंटे ओवर टाइम कर सेवाओं को सुचारू रखने के लिए जूझ रहे हैं वहीं विभागीय अधिकारी इस समस्या को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। पोस्ट मास्टर गिरधारीलाल रोहलन ने बताया कि सम्पूर्ण कस्बे में डाक वितरण का काम यहीं से संचालित होता है। जिससे कार्यभार अधिक है तथा पोस्टमास्टर के अलावा केवल एक डाक सहायक के भरोसे लाडनूं की डाक सेवाएं चल रही है। मुख्य डाकघर कार्यालय के अलावा डाक वितरण की भी हालत दयनीय है। एक दशक पूर्व में जहां कस्बे में डाक वितरण करने के लिए 8 पोस्टमैन के पद थे। जिन्हें घटाकर अब चार पोस्टमैन के पद ही शेष रखे गए हैं। इनमें से भी एक पद रिक्त है। जिससे डाक वितरण का काम भी सही नहीं हो पाता है।
इस तरह चल रहा है जुगाड़
पोस्ट मास्टर व डाक सहायक प्रात: 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक सेविंग काऊंटर व प्वाइंट ऑफ सेल काउंटर सम्भालते हैं। इसके बाद में एक नियमित डाक का काम देखता है तो एक कैशियर की भूमिका में जुट जाता है। शाम 5 बजे बाद डाक पैक करने से लेकर ऑनलाइन अपडेट का काम चलता है जिसमें रात्रि के 7-8 बज जाते हैं। दोनों कार्मिक तीन-तीन अलग-अलग भूमिकाओं में काम कर डाकघर को संचालित कर रहे हैं।
जैन विश्वभारती की डाक अधिक
कस्बे में स्थित जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा की डाक पूरे वर्षभर चलती है। डाक सहायक पंकज कुमार ने बताया कि मुख्य डाकघर में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की डाक को करने में एक कार्मिक की नियमित सेवा जितना काम है। इसके अलावा लाडनूं में दो पाक्षिक समाचार पत्र एवं चार मासिक पत्र-पत्रिकाएं का भी यहां से पंजीकृत है। जो हजारों की संख्या में पोस्ट होती है। पंकज कुमार ने बताया कि कार्य की अधिकता के कारण कई बार अवकाश के दिन भी काम करना पड़ता है।
सही नहीं रहता नेटवर्क
स्थानीय डाकघर में कार्मिकों की कमी के अलावा इंटरनेट नेटवर्क भी सुचारू नहीं रहने से समस्याएं और गम्भीर हो हाती है। पोस्ट मास्टर गिरधारीलाल ने बताया कि एक बार नेटवर्क जाने पर करीब 30 मिनट का समय खराब हो जाता है। दिन में कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है। इस संबंध में भी उच्चाधिकारियों एवं सर्विस प्रोवाईडर कम्पनी को निवेदन किया गया है, लेकिन स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ है। कई बार लेन-देन के काम में नेटवर्क प्रॉब्लम आने से उपभोक्ताओं का समय भी जाया होता है।
इनका कहना है
नागौर जिले में सर्वाधिक स्टॉफ की कमी है। लाडनूं के मुख्य डाकघर में अस्थायी कर्मचारी लगाना मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं है। हाल ही में डाक कर्मियों की परीक्षा सम्पन्न हुई है। कर्मचारियों की सूची भी उच्चाधिकारियों को प्रेषित की गई है। आगामी एक-दो माह में कार्मिकों की नियुक्ति होने से स्थिति में सुधार आएगा।
- रामाकिशन बिजारणियां, अधीक्षक डाकघर, नागौर
लाडनूं डाकघर में लम्बे समय से इस तरह की स्थिति बनी हुई है। स्टॉफ की कमी के कारण एवं कार्य की अधिकता के कारण पूर्व में एक कार्मिक गम्भीर रूप से रोगग्रस्त भी हो गए थे। डाकघर में स्टॉफ की नियुक्ति नहीं होने से डाक सेवाएं भी बाधित होती है वहीं कर्मचारियों को भी विविध परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- आर.डी. चारण, पूर्व प्रदेश महामंत्री, भारतीय डाककर्मचारी महासंघ
अब पाइए अपने शहर ( Nagaur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज