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पांच लाख की रिश्वत नहीं देने पर फंसाया था झूठे मामले में, अब मानवाधिकार आयोग टीम कर रही है जांच

locationनागौरPublished: Jul 18, 2019 05:13:06 pm

Submitted by:

shyam choudhary

Human Rights Commission team is investigating in Nagaur झूठे मुकदमे में फंसाने का मामला: गोटन थानाधिकारी सहित पुलिसकर्मियों पर झूठे मुकदमे पर न्यायालय ने भी लिया था प्रसंज्ञान

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ये हैं भ्रष्टाचार से जुड़े बीते छह महीनों के 5 बड़े मामले, 42 दिन में 6 पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार में फंस चुके हैं

Human Rights Commission team in Nagaur मेड़ता सिटी (नागौर). नागौर जिले के गोटन थाने में रिश्वत की मांग bribe पूरी नहीं करने पर झूठे मुकदमे illigal-custody में फंसाकर प्रताडि़त करने के चर्चित करीब 2 साल पुराने मामले को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग की टीम बुधवार को मेड़ता सिटी पहुंची। टीम ने पादूकलां के तत्कालीन थानाधिकारी सहित 10 गवाहों के मेड़ता सिटी पुलिस थाने police-station में बयान दर्ज किए। टीम गुरुवार को भी प्रकरण को लेकर 6 जनों के बयान दर्ज करेगी।
राज्य मानवाधिकार आयोग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं मामले के अनुसंधान अधिकारी लक्ष्मणदास ने रीडर सहित तीन सदस्यों की टीम के साथ मेड़ता थाने में पादूकलां के तत्कालीन थानाधिकारी जगनलाल मीणा एवं पीडि़त पक्ष से 10 जनों के दिनभर में बयान लिए। राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के एएसपी गुरुवार को मेड़ता सिटी के तत्कालीन थाना प्रभारी तुलसीराम प्रजापत सहित 6 जनों के बयान दर्ज करेंगे। प्रकरण को लेकर बयान दर्ज करने की कार्रवाई होने के बाद अनुसंधान अधिकारी रिपोर्ट आयोग के समक्ष पेश करेंगे। मानव अधिकारी आयोग टीम द्वारा मेड़ता थाने में बयान दर्ज किए जाने के दौरान थाने में पूरे दिन गहमागहमी रही।
यह था मामला

17 अक्टूबर 2017 को इंदावड़ निवासी महेन्द्र ने गोटन थाने के तत्कालीन थानाधिकारी भरत रावत, एएसआई भंवरलाल बडिय़ासर तथा कांस्टेबल घेवरराम के खिलाफ एडीजे सतर्कता को परिवाद देकर प्रताडऩा की शिकायत की थी। अपनी शिकायत में महेन्द्र ने बताया कि थानाधिकारी भरत रावत को उनके पिता द्वारा 5 लाख की रिश्वत 5 lakh bribe नहीं देने पर उन्होंने उसके भाइयों व रिश्तेदारों को झूठे मुदकमे में फंसाकर तीन दिन तक अवैध रूप से पुलिस अभिरक्षा में रखा तथा बाद में बाजार से हथियार मंगवाकर झूठी बरामदगी दिखाते हुए महेन्द्र व उसके रिश्तेदारों को जेल भिजवा दिया। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। गोटन के तत्कालीन थानाधिकारी की कारगुजारी पर मचे हंगामे के बाद एडीजे सतर्कता ने पुलिस को दोषी मानते हुए मामला दर्ज किया था।

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