राज्य मानवाधिकार आयोग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं मामले के अनुसंधान अधिकारी लक्ष्मणदास ने रीडर सहित तीन सदस्यों की टीम के साथ मेड़ता थाने में पादूकलां के तत्कालीन थानाधिकारी जगनलाल मीणा एवं पीडि़त पक्ष से 10 जनों के दिनभर में बयान लिए। राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के एएसपी गुरुवार को मेड़ता सिटी के तत्कालीन थाना प्रभारी तुलसीराम प्रजापत सहित 6 जनों के बयान दर्ज करेंगे। प्रकरण को लेकर बयान दर्ज करने की कार्रवाई होने के बाद अनुसंधान अधिकारी रिपोर्ट आयोग के समक्ष पेश करेंगे। मानव अधिकारी आयोग टीम द्वारा मेड़ता थाने में बयान दर्ज किए जाने के दौरान थाने में पूरे दिन गहमागहमी रही।
यह था मामला 17 अक्टूबर 2017 को इंदावड़ निवासी महेन्द्र ने गोटन थाने के तत्कालीन थानाधिकारी भरत रावत, एएसआई भंवरलाल बडिय़ासर तथा कांस्टेबल घेवरराम के खिलाफ एडीजे सतर्कता को परिवाद देकर प्रताडऩा की शिकायत की थी। अपनी शिकायत में महेन्द्र ने बताया कि थानाधिकारी भरत रावत को उनके पिता द्वारा 5 लाख की रिश्वत
5 lakh bribe नहीं देने पर उन्होंने उसके भाइयों व रिश्तेदारों को झूठे मुदकमे में फंसाकर तीन दिन तक अवैध रूप से पुलिस अभिरक्षा में रखा तथा बाद में बाजार से हथियार मंगवाकर झूठी बरामदगी दिखाते हुए महेन्द्र व उसके रिश्तेदारों को जेल भिजवा दिया। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। गोटन के तत्कालीन थानाधिकारी की कारगुजारी पर मचे हंगामे के बाद एडीजे सतर्कता ने पुलिस को दोषी मानते हुए मामला दर्ज किया था।