नागौरPublished: Nov 11, 2020 10:26:29 pm
Sharad Shukla
नागौर. निजी शिक्षण संस्थानों की ओर से अभिभावकों से शुल्क लिए जाने को लेकर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रही है। अभिभावकों एवं शहरवासियों की ओर से निजी स्कूलों के शुल्क लिए जाने के दबाव को जहां सिरे से खारिज कर दिया गया, वहीं निजी शिक्षण संस्थानों का कहना है कि अभिभावक यदि फीस बिलकुल ही नहीं देंगे तो फिर स्कूलों की आधारभूत व्यवस्थाएं कैसे संभल पाएगी
If fees are not available, from where will the teachers give the money
नागौर. निजी शिक्षण संस्थानों की ओर से अभिभावकों से शुल्क लिए जाने को लेकर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रही है। अभिभावकों एवं शहरवासियों की ओर से निजी स्कूलों के शुल्क लिए जाने के दबाव को जहां सिरे से खारिज कर दिया गया, वहीं निजी शिक्षण संस्थानों का कहना है कि अभिभावक यदि फीस बिलकुल ही नहीं देंगे तो फिर स्कूलों की आधारभूत व्यवस्थाएं कैसे संभल पाएगी। निजी शिक्षण संस्थानों के अनुसार स्कूल बंद होने की स्थिति में बिजली बिल, साफ-सफाई आदि अन्य व्यवस्थााओं का रखरखाव किया जा रहा है। निजी शिक्षण संस्थानों ने तो स्कूल बंद होने की स्थिति में भी ऑनलाइन एजूकेशन के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई सुव्यवस्थित रूप से जारी रखे जाने के लिए हरसंभव कोशिश की गई है। हालांकि सरकार की ओर से स्कूलों के संचालन की अनुमति मिली होती तो फिर निश्चित रूप से पढ़ाई और बेहतर हो सकती थी। इस संबंध में निजी स्कूल संचालकों में हिम्मतसिंह राठौड़, प्रहलालदराम चौधरी, हरदेव गारु एवं विनेश शर्मा आदि से बातचीत हुई तो कहा कि अभिभावकों को समझना चाहिए कि उनके बच्चों की पढ़ाई निजी स्कूलों की ओर से बाधित नहीं की गई है। निजी स्कूलों ने तो ऑनलाइन पढ़ाई कराने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा स्कूलों के स्टॉफ आदि का व्यय पूरी तरह से स्कूलों की फीस पर ही निर्भर रहता है। अब अभिभावक फीस नहीं देंगे, तो फिर स्कूल स्टॉफ को पैसा कहां से दिया जाएगा। इनके भी तो परिवार हैं। इनको भी आर्थिक तौर पर परेशानी हो रही है।