पत्रिका एक्सक्लूसिव अब इन किताबों का क्या होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। साक्षर भारत मिशन में साक्षर हो चुके लोगों को कक्षा 3, 5 व 8 के समतुल्य शिक्षा देने के लिए तीन वर्ष पूर्व सरकार ने समतुल्यता अभियान की योजना तैयार की थी। अभियान को लेकर जिले में लक्ष्य निर्धारित कर लोक शिक्षा केन्द्रों का चयन किया गया। लक्ष्य के अनुसार किताबें छपवा कर जिलेभर में भिजवा दी गई, लेकिन अध्ययन करवाने के लिए सेवानिवृत शिक्षक नहीं मिलने से अभियान शुरू नहीं हो पाया। परिणाम यह हुआ कि नागौर जिले की पंचायत समितियों में पिछले तीन वर्ष से लाखों रुपए की किताबें बेकार पड़ी है। इन किताबों की फिक्र न तो सरकार को है और न ही अधिकारियों को।
यह था समतुल्यता अभियान समतुल्यता अभियान के तहत साक्षर भारत में नव साक्षर व ड्रॉपआउट विद्यार्थियों को कक्षा 3, 5 व 8 में अध्ययन के लिए इन कक्षा के समकक्ष श्रेणी ए, बी, व सी का निर्धारण कर उन्हें शिक्षित किया जाना था। प्रत्येक लेवल की कक्षा में चार विषय हिन्दी, गणित, पर्यावरण तथा कम्प्यूटर शिक्षा का अध्ययन करवाना था। निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार जिले में लोक शिक्षा केन्द्रों का निर्धारण कर किताबों की सप्लाई की गई। इन कक्षाओं में अध्ययन के लिए सरकारी मानदण्डों के हिसाब से सेवानिवृत शिक्षक ट्यूटर के रूप में लगने थे। लेकिन अल्प मानदेय के कारण सेवानिवृत शिक्षकों ने प्रोग्राम में रुचि नहीं दिखाई।
कहां कितनी किताबें ब्लॉक- संख्या डेगाना -977 डीडवाना -1966 जायल -1221 कुचामन- 1246 लाडनूं- 390 मकराना 2150 मेड़ता -1020 मूण्डवा -986 नागौर -1170 परबतसर- 2078
रियांबड़ी- 2893 पंचायत समिति में रखवाई है किताबें समतुल्य शिक्षा अभियान के क्रियान्वयन को लेकर आवंटित लक्ष्य के अनुसार किताबें प्राप्त हुई थी। लेकिन सेवानिवृत्त शिक्षक नहीं मिलने से जिले में अभियान शुरू नहीं हो पाया। उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार किताबें पंचायत समिति में रखवाई गई है।
– चम्पालाल कुमावत, पूर्व साक्षरता समन्वयक।