किशनगढ़ डिपो से परबतसर, कुचामन, मकराना और नावां को भेजा जाने वाला गेहूं अब नागौर डिपो से भेजा जा रहा है। इस महीने का ही करीब 18 हजार क्विंटल गेहूं समय पर नहीं पहुंच पाया, ऊपर से हर महीने करीब छह लाख के परिवहन की चपत लग रही है सो अलग। किशनगढ़ के बाद मेड़ता डिपो भी ड्राई डिपो हो रहा है।एक अनुमान के मुताबिक भण्डारण सही नहीं हुआ तो एक-दो महीने में उपभोक्ताओं को गेहूं मिलने में भारी मुश्किल आ सकती है। पूरे जिले में हर माह करीब सवा दो लाख क्विंटल गेहूं आवंटित होता है। इसमें एक लाख नौ हजार क्विंटल केन्द्र सरकार की ओर से दिया जाने वाला मुफ्त गेहूं है।
सूत्रों बताते हैं कि केन्द्र सरकार की ओर से सितम्बर तक मुफ्त देने वाले गेहूं की योजना का विस्तार किया गया है। तकरीबन दो साल से यह गेहूं आमजन को दिया जा रहा है। हर व्यक्ति को पांच किलो गेहूं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के पात्रों को दो रुपए किलो में दिया जाता है। नागौर जिले में गेहूं सप्लाई के तीन डिपो हैं। नागौर, मेड़ता और किशनगढ़ । इनमें मेड़ता और किशनगढ़ डिपो में गेहूं का स्टाक कम हो गया। आगे से गेहूं नहीं आ रहा। किशनगढ़ डिपो दो महीने से यहां सप्लाई देने में असमर्थ है तो अब यह सप्लाई नागौर से की जा रही है। यानी तीस-चालीस किलोमीटर की सप्लाई अब दो सौ किलोमीटर तक पहुंच गई। इसका आलम यह है कि इस महीने ही 18 हजार क्विंटल गेहूं समय पर उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाया। तकरीबन सत्तर हजार क्विंटल गेहूं (मुफ्त व खाद्य सुरक्षा) इन चारों उपखण्डों में हर माह सप्लाई होता है। पौने सात लाख व्यक्ति यानी एक लाख 68 हजार परिवार।
मेड़ता डिपो से भी गड़बड़ाई सप्लाई सूत्र बताते हैं कि मेड़ता डिपो से डेगाना, रियां और मेड़ता के लिए गेहूं सप्लाई होता है। कुछ समय पहले एक बार यहां की भी सप्लाई गड़बड़ाई थी, जिसे जैसे-तैसे ठीक किया गया। हालांकि भण्डारण को लेकर एफसीआई की कवायद ढीली पड़ रही है।
खींवसर में लिया गोदाम फिजूल गेहूं को लेकर डिपो/गोदाम की तमाम व्यवस्था फेल साबित हो रही हैं। कुछ माह पहले खींवसर में भी गेहूं भण्डारण/सप्लाई के लिए गोदाम लिया गया, लेकिन यह किसी काम नहीं आ रहा। केवल स्थानीय लोगों तक ही गेहूं पहुंचा पा रहा है। ऐसे में उसकी उपयोगिता पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। ये ही नहीं भारतीय खाद्य निगम की ओर से स्थानीय स्तर पर भण्डारण समेत अन्य इंतजाम हल्के पड़ रहे हैं।
गहरा सकता है संकट सूत्र बताते हैं कि अप्रेल 2020 से मुफ्त गेहूं दिया जाने लगा है। इसके साथ खाद्य सुरक्षा के तहत गेहूं भी उपभोक्ताओं को मिलता है। असल में गेहूं भण्डारण की व्यवस्था ही कारगर नहीं है। समय-समय पर इनके गोदाम और अव्यवस्थाओं पर सवाल खड़े होते रहे हैं। सडक़ मार्ग से माल नहीं आने तो कभी उठाव में परेशानी को लेकर एफसीआई अपना बचाव कर रहा है। हालत यह है कि अलग-अलग व्यवस्था कर इसे पुख्ता ही नहीं किया जा रहा।
खत में बताई खामियां सूत्रों के अनुसार अभी चार-पांच दिन पहले ही भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अजमेर के प्रबंधक को नागौर के नागरिक आपूर्ति प्रबंधक ने पत्र लिखकर खामियां बताई। पत्र में बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्नों के निकटतम डिपो पर पर्याप्त स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित हो। नागौर जिले में नागौर, मेड़ता और किशनगढ़ डिपो के तहत अलग-अलग स्थानों पर गेहूं पहुंचाया जाता है। किशनगढ़ व मेड़ता में खाद्यान्न व्यवस्था नहीं होने के कारण दूर की सप्लाई नागौर को सौंप दी। जिससे परिवहन में करीब छह लाख रुपए महीने के साथ समय पर पहुंच मुश्किल हो गई है। जहां पहले तीस-चालीस किलोमीटर दूरी पर सप्लाई होती थी, वहां डेढ़ सौ-दो सौ किलोमीटर गेहूं भेजा जा रहा है। कुचामन में भण्डारण हो तो व्यवस्था और बेहतर हो सकती है।
इनका कहना आगे से माल नहीं आ रहा। सडक़ मार्ग से नहीं ट्रेन के जरिए मिलता है, कोशिश तो अधिक से अधिक भण्डारण की है। अव्यवस्था को दूर करेंगे। किशनगढ़ डिपो के बजाय नागौर डिपो को दूर-दराज में सप्लाई देनी पड़ रही है।
-राम सिंह मीणा, प्रबंधक एफसीआई, नागौर ....................................................................... निकटतम डिपो में भण्डारण हो। दूरस्थ डिपो से सप्लाई करने में राजस्व का नुकसान तो होगा ही समय भी लगता है। अब किशनगढ़ डिपो से सप्लाई बंद होने पर परबतसर, कुचामन, मकराना व नावां गेहूं भेजना पड़ रहा है। हर माह छह लाख से अधिक तो भाड़े में ज्यादा जा रहा है, साथ ही समय पर पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है। इस संबंध में अजमेर एफसीआई प्रबंधक को पत्र लिखकर व्यवस्था सुधारने की गुहार की है।
सुनील शर्मा, प्रबंधक नागरिक आपूर्ति नागौर