नागौरPublished: Sep 20, 2023 10:09:31 pm
Sharad Shukla
Nagaur. इंदिरा रसोई योजना में महज पांच रोटी, दाल एवं सब्जी से असंतुष्ट हैं जरूरतमंद
-लाभान्वितों ने कहा सरकार जितनी राशि दे रही है सब्सिडी में उतने में एक अच्छे होटल में रोटी तक नहीं मिल पाती है
-जिले में योजना के तहत कुल 43 रसोई हो रही संचालित
- जिले के दर्जन भर से ज्यादा इंदिरा रसोई में लाभान्वितों से हुई बातचीत में बोले लाभान्वित, सरकार केवल नाम के लिए चला रही इंदिरा रसोई, इसी लिए नहीं मिल पा रहा बेहतर भोजन
नागौर. जरूरतमंदों को भोजन कराने की होड़ में राज्य सरकारों की ओर से आपणी रसोई से लेकर इंदिरा रसोई तक योजनाओं के नाम तो बदल दिए गए, लेकिन भोजन की गुणवत्ता के मामले में स्थिति औसत ही रही। वजह सरकार ने योजना नाम बदलने के साथ सब्सिडी की राशि में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं की। नतीजतन भोजन की गुणवत्ता स्थिति में इसका खासा असर पड़ा है। वर्तमान में चल रही इंदिरा रसोई योजना में प्रति थाली आठ रुपए की दर से भोजन तो मिल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से इसके मीनू में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। इस संबंध में कुछ जगहों पर भोजन करने वालों से बातचीत की गई तो कुछ संतुष्ट नजर आए, लेकिन ज्यादातर असंतुष्ट ही रहे। भोजन करने वालों का कहना था कि रसोई का संचालन करने वालों को सरकार जितनी सब्सिडी दे रही है, उतनी राशि में तो एक होटल में रोटी तक नहीं मिलती है। इससे भोजन की गुणवत्ता की स्थिति का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है। इस संबंध में पड़ताल की गई तो सामने आया कि ज्यादातर संचालक बेहतर भोजन उपलब्ध कराने की हरसंभव कोशिश तो करते हैं, लेकिन सब्सिडी की राशि ज्यादा नहीं होने से उनको भी इसमें मुश्किल होती है।
राज्य सरकार की ओर से हर जरूरतमंद को भोजन उपलब्ध कराने के लिए संचालित इंदिरा रसोई योजना के उद्देश्य पर खुद सरकारी विसंगति की बेपरवाही ही भारी पड़ रही है।योजना के तहत भोजन में केवल जरूरतमंदों को केवल दाल, रोटी एवं सब्जी ही उपलब्ध हो पा रही है। हालांकि प्रति व्यक्ति आठ रुपए का व्यय करने पर सरकार 17 रुपए की सब्सिडी तो देती है, लेकिन बेहतर भोजन की गुणवत्ता उपलब्ध कराने के लिए यह राशि अपर्याप्त सिद्ध हो रही है। इस संबंध इंदिरा रसोई संचालकों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि सरकार सब्सिडी की राशि पचास रुपए कर दे, और मीनू में दही एवं छाछ आदि की उपलब्धता भी करे तो निश्चित रूप से न केवल भोजन की गुणवत्ता बढ़ जाएगी, बल्कि जरूरतमंदों के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अच्छा रहेगा।
पांच रुपए में नाश्ता, आठ रुपए में मिलता था भोजन
राजस्थान में अन्नपूर्णा रसोई योजना 15 दिसम्बर, 2016 में शुरू की गई थी। इसमें भोजन के रूप में दोपहर में दाल-चावल, गेहूं का चूरमा, मक्का का नमकीन खीचड़ा, रोटी का उपमा, दाल- ढ़ोकली, चावल का नमकीन खीचड़ा, कढ़ी-ढ़ोकली, ज्वार का नमकीन खीचड़ा, गेहूं का मीठा खीचड़ा दिया जाता है। इसमें पांच रुपए में नाश्ता एवं आठ रुपए में भोजन दिया जाता था। अन्नपूर्णा नाश्ते की कीमत 21.75 रु. होगी और खाने की कीमत 23.70 रु थी। शेष राशि सरकार देती थी।
यहां पांच रुपए में मिलता था भोजन , फिर भी बंद
21 दिसंबर 2009 से लागू आपणी रसोई योजना का नाम बदलकर इसे 20 जनवरी 2014 से किसान कलेवा योजना नाम दिया गया था। इसमें भोजन की थाली का अधिकतम मूल्य 40 रुपए निर्धारित है, जिसमें 35 रुपए मंडी समिति और 5 रुपए का योगदान भोजन करने वाले द्वारा दिया जाता है। भोजन की थाली का अधिकतम मूल्य 40 निर्धारित था। जिसमें से 35 मंडी समिति की से दिए जाते थे। पांच भोजन करने वाले द्वारा दिए जाएंगे। इसके अंतर्गत चपाती दाल गुड़ सब्जी एवं छाछ सम्मिलित। यह योजना केवल कृषि मंडियों चलती थी।
कहां, कितनी इंदिरा रसोई का हो रहा संचालन
जिले में कुल 43 इंदिरा रसोई संचालित है। इसमें मकराना-9, कुुचामन-4, डेगाना-2, डीडवाना-2, मेड़ता-2, जायल-1, बासनी-1, मूण्डवा-2 एवं कुचेरा-2 इंदिरा रसोई संचालित है। इसमें अकेले नागौर शहर में नौ इंदिरा रसोई का संचालन किया जा रहा है।