नागौर

ड्रेस कोड में शिक्षक आए तो बदलेगा वातावरण

राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की ओर से चल रही मुहिम के तहत शिक्षाधिकारी ने समझाए ड्रेस कोड के लाभ

नागौरMay 29, 2018 / 12:31 pm

Sharad Shukla

Principal wants the dress code to be applicable

 

नागौर. राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की ओर से संयुक्त रूप से चल रहे सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने के अभियान के तहत सोमवार को कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में शिक्षकों से डे्रस कोड सहित दस अन्य सूत्रों पर चर्चा हुई। शिविर प्रभारी अर्जुनराम जाजड़ा ने कहा कि संस्थान प्रधान एवं शिक्षकों ने ड्रेस कोड सहित दस सूत्रों पर अमल किया तो निश्चित रूप से सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी से बेहतर हो जाएगी। इनमें सभी सरकारी भवनों का रंग एक जैसा होने, शिक्षकों व संस्था प्रधानों के गणवेश में होने के साथ ही गले में परिचय पत्र टंगा होने से स्कूलों का वातावरण निश्चित रूप से बदलेगा। इसके साथ ही विद्यालयों में शुरुआती कक्षाओं में डिजिटल क्लास रूम बनाने के साथ ही कक्षाओं में खेल-खेल में सीखो पद्धति अपनाए जाने पर बच्चों का शैक्षिक विकास भी तेजी से होगा।
शारीरिक शिक्षकों का हो अलग ड्रेस कोड
गोटन. शारीरिक शिक्षकों ने शिक्षा निदेशक को ज्ञापन देकर उनके लिए अलग से ड्रेस कोड लागू करने की मांग की है। मेड़ता शारीरिक शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष जंवरीराम बोला ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन पे्रषित कर बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू करने के विचार का संघ समर्थन करता है। साथ ही उन्होंने शारीरिक शिक्षकों के लिए ग्राउण्ड में रहने के दौरान अलग डे्रस कोड लागू करने की मांग की, ताकि योग अभ्यास , राष्ट्रीय पर्व तैयारी , सूर्य नमस्कार, उठने, बैठने व लेटकर विद्यार्थियों को व्यायाम सिखाने में शारीरिक शिक्षको को परेशानी नहीं हो।
मंडी से बाहर आते ही सब्जियों के भाव दो गुने
मंडी से बाहर आते ही मनमर्जी से दोगुना कर दिए जाते सब्जियों के भाव
नागौर. सब्जीमंडी से बाहर आने के बाद सब्जियों के दाम डेढ़ से दोगुना कर दिए जाने के कारण उपभोक्ताओं की जेबें ढीली होने लगी है। यूजर चार्ज एवं आढ़त की वसूली के बाद भी खरीद की लागत न्यूनतम होने पर भी मूल्य नियंत्रण की कोई प्रशासनिक नीति या व्यवस्था नहीं होने का फायदा उठाते हुए खुले बाजार में डेढ़ से दोगुना की दर पर सब्जियां बेची जा रही है।। मसलन मंडी में महज 35-40 रुपए प्रति किलो की दर बिक रही अदरक खुले बाजार में दुकादार बेहिचक 100 रुपए में बेच रहे हैं। जानकारों के अनुसार प्रति सौ रुपए में यूजर चार्ज सहित महज लगभग साढ़े सात रुपए की दर अदा करने वाले बाहर आते ही मनमर्जी से प्रत्येक का भाव दोगुना कर देते हैं। अब इस संबंध में कोई प्रावधान नहीं होने की खामी का फायदा उठाते हुए यह वसूली उपभोक्ताओं से कर ली जाती है।
अंदर सस्ती, बाहर मंहगी
सब्जी मंडी में थोक दर पर आलू महज आठ रुपए, लेकिन बाहर आते ही इसका मूल्य 15 से 20 रुपए हो जाता है। इसी तरह से महज पांच से छह रुपए में मंडी के अंदर बिकने वाला टमाटर दुकानों पर 15-20 रुपए की दर से बेचा जा रहा है। तीन से छह रुपए किलो की मिर्ची खुले मार्केट में दस रुपए से कम नहीं मिलती है। धनिया का भी यही हाल है। मंडी के अंदर 15-20 की दर से लेकर आने वाले बाहर खुले में इसे बेहिचक 40 रुपए प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। छह से सात रुपए की दर से मंडी में बिक रही गोल प्याज के दाम बाहर आते ही उपभोक्ताओं को इसकी कीमत प्रति किलो कम से कम 20 रुपए की दर से चुकानी पड़ रही है। भिंडी मंडी में 15-20 रुपए तो बाहर 30-35 रुपए, चार से पांच रुपए किलो की दर से खरीद कर लाने वाले इसे 10 से 15 रुपए में और सब्जियों में आवश्यक रूप से प्रयोग होने वाले लहसुन की भी तीन गुना अधिक की दर इसे खरीदने के एवज में चुकानी पड़ रही है। मंडी में यह महज 12-15 रुपए प्रतिकिलो है, लेकिन खुले मार्केट में 30 रुपए से 40 रुपए प्रतिकिलो की दर से ही मिलेगी।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.