जब से अवैध बजरी खनन और नई बजरी की लीजों का आवंटन हुआ तो इस क्षेत्र में बजरी के परिवहन करने वालों की कतार लगना शुरू हो गई हो, लेकिन रियांबड़ी का बायपास मार्ग, सथानां कलां मार्ग, कोड-टेहला सडक़ मार्ग, झड़ाऊ कलां मार्ग, जसनगर, जाटावास सहित अन्य सम्पर्क गांवों की सडक़ों को ओवरलोडे वाहनों के परिवहन के कारण टूट चुकी है। इसके फलस्वरूप आम जन के लिए बनी ये सडक़ नहीं रह गई अब तो ग्रेवल सडक़ से भी बदतर हो चुकी है। सथानां कलां सरपंच गोपाल सिंह राठौड़ बताते हैं कि परिवहन विभाग इस मामले में मूक दर्शक बन कर देख रहा है। 16 से20 टन वजन ले जाने वाले वाहनों में अंधाधुंध 40 से50 टन बजरी भरकर ले जाने से सडक़ों से डामर तो क्या गिट्टी भी गायब हो चुकी है। ऐसे में परिवहन विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए।
रात्रि में सफर करने वाले होते हैं परेशान
खनन स्थल से बजरी भरने के बाद करीब-करीब वाहन रियांबड़ी पहुंचकर नजदीकी हाइवे से अपना-अपना मार्ग डाइवर्ट करते है। लेकिन रियांबड़ी से सथानां कलां, जाटावास, झड़ाऊ, लाम्पोलाई आदि गांवों की इन सडक़ों पर अवैध बजरी से भरे वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग 89 तक पहुंचानेे के लिए करीब आठ से दस किमी का सफर आमजन के लिए दुविधा बन चुका है। तैयब मोहम्मद और रमेश भाटी ने बताया कि इन ओवरलोड व अवैध भरे बजरी के डंपर को खनन माफियाओं की जीपें और कारें आगे-पीछे रखकर सरपट दौड़ लगाकर एस्कार्ट करती नजर आती है। ऐसे में आमजन का इन मार्ग पर सफर करना भी दूभर हो चुका है। उन्होंने बताया कि वहीं सडक़ों की हालत खराब होने के कारण इस दौरान रात्रि में सफर करने वाले हलके वाहनों को भी साइड नहीं दी जाती है। नतीजन आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
खनन माफियाओं का खुफिया तंत्र पुख्ता
सूत्रों की माने तो मुख्य चोराहों पर चाय की थडिय़ों पर अवैध बजरी खनन माफियाओं के गुर्गों ने अपना केन्द्र बना रखा है। इस अवैध बजरी खनन में रसूखदारों के कई बड़े गिरोह सक्रिय है। इन गिरोह के सदस्यों ने स्थानीय गुर्गों को तुच्छ स्वार्थ के चलते सूचना तंत्र के रूप में काम लिया जाता है। इनका खुफिया तंत्र पुलिस, खनन और वन सहित अन्य सरकारी सूचनाओं से भी सुपर फास्ट है। यही वजह है कि कोई बड़ी कार्रवाई होने से पहले ही इन माफियाओं को पूर्व सूचना मिल जाती है और पीस जाते है छुट-फुट अवैध बजरी खनन करने वाले। ऐसे में सरकारी अमले की कार्यशैली पर भी कई सवालिया निशान खड़े होते हैं।