scriptथम नहीं रहा अवैध बजरी का खनन | Illegal gravel mining did not stop | Patrika News

थम नहीं रहा अवैध बजरी का खनन

locationनागौरPublished: Sep 18, 2019 11:33:29 am

Submitted by:

Sandeep Pandey

अरुण पाराशर
रियांबड़ी. जहां देखो वहां अवैध बजरी खनन। दिन हो या रात बजरी खनन माफिया का तो रियांबड़ी उपखंड मुख्यालय हॉट स्पॉट बन चुका है। इस मामले में बजरी के लीजधारक भी पीछे नहीं।

अवैध बजरी खनन

रियांबड़ी उपखंड मुख्यालय अवैध बजरी खनन के गोरखधंधे में अनाप-शनाप पैसा कूटने की फिराक में सीकर, नागौर, डीडवाना, अलवर, भरतपुर, पाली जिले सहित कई क्षेत्र से आए खनन माफियाओं की शरण स्थली बन चुका है।

रियांबड़ी. जहां देखो वहां अवैध बजरी खनन। दिन हो या रात बजरी खनन माफिया का तो रियांबड़ी उपखंड मुख्यालय हॉट स्पॉट बन चुका है। इस मामले में बजरी के लीजधारक भी पीछे नहीं। कानून और नियम कायदे को ताक पर रखकर खनन स्थल कागजों में कहीं ओर वास्तविक खनन कहीं चरागाह तो कभी सरकारी भूमि तो कुछ लीजधारक खातेदारी भूमि से बजरी का खनन कर सरेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे है। इतना ही नहीं बजरी से भरे ट्रकों के धर्मकांटा वजन में धांधली करने का भी लीजधारकों ने तोड़ निकाल लिया। इस तरह ओवरलोड वाहनों में बजरी का परिवहन करवाकर जबरदस्त चांदी कूटी जा रही है। रियांबड़ी क्षेत्र में अवैध बजरी खनन रूकने का नाम नहीं ले रहा। इस मामले में राजस्व, पुलिस और खनन विभाग पंगु नजर आ रहे है। इनकी पंगुता पर आमजन कई बार सवालिया निशान खड़े करता है, लेकिन स्थिति ढाक के तीन पात। जहां एक ओर इस खनन के कारण गहरे गड्ढों और खाइयों में तब्दील होता लूणी नदी का बहाव एरिया निश्चित रूप से इस क्षेत्र के पर्यावरण दृष्टि से प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। इतना ही नहीं रियांबड़ी उपखंड मुख्यालय अवैध बजरी खनन के गोरखधंधे में अनाप-शनाप पैसा कूटने की फिराक में सीकर, नागौर, डीडवाना, अलवर, भरतपुर, पाली जिले सहित कई क्षेत्र से आए खनन माफियाओं की शरण स्थली बन चुका है। शाम ढलते ही रियांबड़ी के इर्द-गिर्द लूणी नदी क्षेत्र से सटे कोडिया मोड़, लाडपुरा, 132केवी विद्युत सब स्टेशन के पिछवाड़े खातेदारी और नदी क्षेत्र, लूंगियां मार्ग, मेड़ास, रोहिसा रोड़, अखावास, दासावास, झींटियां सहित कई गांवों में अवैध बजरी परिवहन के लिए कई जिलों से आने वाले डंपर और ट्रकों की कतार लग जाती है। लंबे अर्से से चल रहा है ये अवैध बजरी खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अवैध बजरी खनन के धंधे में शामिल लोग अपने रसूख के बलबूते काश्तकारों की जमीनों, सरकारी भूमि, गोचर भूमि और नदी क्षेत्र में धड़ल्ले से बजरी खनन कर रहे है। इन पर प्रशासन का न तो अंकुश है ओर ना ही खनन विभाग कोई बड़ी कार्रवाई करने में असक्षम नजर आता है। लूणी नदी के केंचमेंट एरिए पर नजर डाले तो यहां नदी का स्वरूप् कहीं नजर ही नहीं आता। यहां तो सिर्फ गहरी खाइयों का मंजर ही दिखता है।

परिवहन विभाग मूक दर्शक

जब से अवैध बजरी खनन और नई बजरी की लीजों का आवंटन हुआ तो इस क्षेत्र में बजरी के परिवहन करने वालों की कतार लगना शुरू हो गई हो, लेकिन रियांबड़ी का बायपास मार्ग, सथानां कलां मार्ग, कोड-टेहला सडक़ मार्ग, झड़ाऊ कलां मार्ग, जसनगर, जाटावास सहित अन्य सम्पर्क गांवों की सडक़ों को ओवरलोडे वाहनों के परिवहन के कारण टूट चुकी है। इसके फलस्वरूप आम जन के लिए बनी ये सडक़ नहीं रह गई अब तो ग्रेवल सडक़ से भी बदतर हो चुकी है। सथानां कलां सरपंच गोपाल सिंह राठौड़ बताते हैं कि परिवहन विभाग इस मामले में मूक दर्शक बन कर देख रहा है। 16 से20 टन वजन ले जाने वाले वाहनों में अंधाधुंध 40 से50 टन बजरी भरकर ले जाने से सडक़ों से डामर तो क्या गिट्टी भी गायब हो चुकी है। ऐसे में परिवहन विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए।
रात्रि में सफर करने वाले होते हैं परेशान

खनन स्थल से बजरी भरने के बाद करीब-करीब वाहन रियांबड़ी पहुंचकर नजदीकी हाइवे से अपना-अपना मार्ग डाइवर्ट करते है। लेकिन रियांबड़ी से सथानां कलां, जाटावास, झड़ाऊ, लाम्पोलाई आदि गांवों की इन सडक़ों पर अवैध बजरी से भरे वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग 89 तक पहुंचानेे के लिए करीब आठ से दस किमी का सफर आमजन के लिए दुविधा बन चुका है। तैयब मोहम्मद और रमेश भाटी ने बताया कि इन ओवरलोड व अवैध भरे बजरी के डंपर को खनन माफियाओं की जीपें और कारें आगे-पीछे रखकर सरपट दौड़ लगाकर एस्कार्ट करती नजर आती है। ऐसे में आमजन का इन मार्ग पर सफर करना भी दूभर हो चुका है। उन्होंने बताया कि वहीं सडक़ों की हालत खराब होने के कारण इस दौरान रात्रि में सफर करने वाले हलके वाहनों को भी साइड नहीं दी जाती है। नतीजन आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
खनन माफियाओं का खुफिया तंत्र पुख्ता

सूत्रों की माने तो मुख्य चोराहों पर चाय की थडिय़ों पर अवैध बजरी खनन माफियाओं के गुर्गों ने अपना केन्द्र बना रखा है। इस अवैध बजरी खनन में रसूखदारों के कई बड़े गिरोह सक्रिय है। इन गिरोह के सदस्यों ने स्थानीय गुर्गों को तुच्छ स्वार्थ के चलते सूचना तंत्र के रूप में काम लिया जाता है। इनका खुफिया तंत्र पुलिस, खनन और वन सहित अन्य सरकारी सूचनाओं से भी सुपर फास्ट है। यही वजह है कि कोई बड़ी कार्रवाई होने से पहले ही इन माफियाओं को पूर्व सूचना मिल जाती है और पीस जाते है छुट-फुट अवैध बजरी खनन करने वाले। ऐसे में सरकारी अमले की कार्यशैली पर भी कई सवालिया निशान खड़े होते हैं।

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