पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2016 से खरीफ 2020 तक जिले में कुल 18.86 लाख किसानों ने फसल बीमा करवाया, जिसमें से मात्र 4.62 लाख किसानों को क्लेम दिया गया है। यानी लाभान्वित होने वाले किसान पूरे 25 फीसदी भी नहीं हैं। 24.50 प्रतिशत किसानों को ही क्लेम दिया गया है।
फसल बीमा योजना में लेटलतीफी का आलम यह है कि वर्ष 2018 खरीफ में डेढ़ लाख किसानों ने फसल बीमा करवाया था, लेकिन इसमें से मात्र 30 हजार किसानों का क्लेम जारी पास किया गया, जिसकी राशि 46.74 करोड़ रुपए बनी, लेकिन तीन वर्ष बीतने के बावजूद आज भी 1.57 करोड़ रुपए किसानों के बकाया हैं। हालांकि यह राशि गत वर्ष तक काफी ज्यादा थी, जिसमें से काफी क्लेम राशि जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने बीमा कम्पनी टाटा एआईजी के प्रतिनिधियों से बात करके किसानों को दिलवाई है।
पिछले पांच साल में सबसे अधिक बीमा खरीफ 2020 में करवाया गया। हालांकि गत वर्ष सरकार ने बीमा फसल बीमा योजना में संशोधन करते हुए बीमा की अनिवार्यता हटा दी थी, इसके बावजूद जिले के 3.99 लाख किसानों ने बीमा करवाया। इसी प्रकार खरीफ 2016 में 3.72 लाख किसानों ने बीमा करवाया तो रबी 2016-17 में 82 हजार ने, खरीफ 2017 में 3.44 लाख ने, रबी 2017-18 में 85 हजार ने, खरीफ 2018 में 1.50 लाख ने, रबी 2018-19 में 82 हजार ने, खरीफ 2019 में 2.34 लाख ने, रबी 2019-20 में 1.38 लाख ने तथा रबी 2020-21 में 1.178 लाख किसानों ने फसल बीमा करवाया।
जिन बीमित किसानों के फसल खराबा हुआ है, उन्हें बीमा क्लेम दिलाने के लिए पिछले काफी समय से जिला कलक्टर के निर्देशन में प्रयास किए जा रहे हैं। समय समय पर बैठक कर बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों को भी बुलाते हैं। पिछले दिनों में करोड़ों रुपए का क्लेम जारी भी करवाया है। कुछ कमियां बैंक स्तर पर की जाती है, जिसके कारण क्लेम जारी होने में दिक्कत आती है। फिर भी यदि किसी किसान को नुकसान के बावजूद क्लेम नहीं मिला तो वे कृषि विभाग के कार्यालय में अपनी शिकायत दे सकते हैं।
– डॉ. शंकरराम बेड़ा, उप निदेशक, कृषि विभाग, नागौर