मूण्डवा की कड़लू जीएसएस के 333 किसानों के खाताें से फसल बीमा की प्रीमियम राशि बैंक की ओर से काटने के बावजूद बीमा कम्पनी को नहीं मिली, जिसके कारण किसानों को फसल खराबे के बावजूद क्लेम नहीं मिल पाया है। इसमें अधिकतर किसान ऐसे हैं, जिन्हें अब तक इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके खाते से काटी गई जानकारी कम्पनी को नहीं मिली, इसलिए वे क्लेम से वंचित रह गए।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बैंकों की लापरवाही की वजह से नागौर जिले के सैकड़ों किसान हर साल प्रीमियम देने के बावजूद बीमा क्लेम से वंचित रह जाते हैं। वर्ष 2018 में खिंयाला गांव के 72 किसानों का प्रीयियम कम्पनी के खाते में जमा नहीं कराने का मामला सामने आया। इसके बाद खरीफ 2020 में कमेडिय़ा गांव के 70 किसानों का बीमा करते समय फसल गांव खेराट (डेगाना) भरने के कारण फसल खराबे के बावजूद सभी किसान क्लेम से वंचित हो गए। खरीफ 2019 में मेड़ता के बासनी कच्छावा व हिरणखुरी गांव के किसानों का फसल गांव फालकी, लिलिया व बड़गांव भरने के मामले भी सामने आए थे, जिसके कारण उन्हें क्लेम नहीं मिल पाया। इसको लेकर किसानों ने न्यायालय की शरण ली तो हाईकोर्ट ने बीमा कम्पनी को क्लेम भुगतान करने के निर्देश दिए थे।
29 जुलाई 2021 को मेरे खाते से फसल बीमा योजना के तहत 814 रुपए प्रीमियम के रूप में काटे गए। बेमौसम बारिश से फसल खराब हो गई, जिसका बीमा कम्पनी ने सर्वे भी किया, लेकिन जब क्लेम नहीं आया तो मैंने बीमा कम्पनी से कारण पूछा। उसके जवाब में मुझे बताया कि कम्पनी को प्रीमियम राशि नहीं मिली, जबकि मुझे बीमा रजिस्ट्रेशन नम्बर भी जारी हुए थे।
– गोरधनराम, किसान, खुड़खुड़ा
मेरे खाते से बैंक ने फसल बीमा की प्रीमियम राशि काट ली, लेकिन कम्पनी का कहना है कि राशि नहीं मिली। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि प्रीमियम राशि कहां गई। गलती चाहे जिसकी हो, लेकिन मुझे जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कौन करेगा, इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है।
– कानाराम, किसान, कड़लू
हमने किसानों के प्रीमियम की राशि 12 अगस्त 2021 को ही ऑनलाइन बीमा कम्पनी के खाते में जमा करवा दी थी, इसके बावजूद बीमा कम्पनी को यह राशि क्यों नहीं मिली, इसे लेकर हमने बीमा कम्पनी प्रतिनिधियों से बात की है। सोमवार तक जवाब देने की बात कही है।
– अमित किशोर शर्मा, सीनियर मैनेजर, नागौर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, नागौर