scriptInterview of PadamShri Himmtaram Bhambhu | यूं ही कोई हिम्मताराम नहीं हो जाता | Patrika News

यूं ही कोई हिम्मताराम नहीं हो जाता

locationनागौरPublished: Nov 19, 2021 06:23:50 pm

Submitted by:

Rudresh Sharma

एक पीपल के पौधे से आई चेतना और लाखों पेड़ लगाकर बन गए ‘पद्मश्री हिम्मताराम भांभू’ , कभी नहीं सोचा था कि एक दिन देश का सर्वाेच्च पुरस्कार मिलेगा, पेड़ लगाने का जुनून ऐसा कि दो बार दुकानें खोलकर छोडऩी पड़ गई

Padmshri Himmtaram Bhambhu
एक पीपल के पौधे से आई चेतना और लाखों पेड़ लगाकर बन गए ‘पद्मश्री हिम्मताराम भांभू’
नागौर
‘मेरे मुकाम पर रश्क करने वाले, तूने देखा ही कहां मेरा पैदल चलना’ यह शेर पीपल का पेड़ लगाने से लेकर देश का सर्वोच्च पुरस्कार पद्श्री हासिल करने वाले नागौर के ६९ वर्षीय हिम्मताराम भांभू के जीवन पर सटीक बैठता है। जिन्होंने अपने ३६ बीघा खेत को जंगल में तब्दील कर दिया। वन्य जीवों के शिकारियों के विरुद्ध स्वयं २८ मुकदमे लड़े और पर्यावरण चेतना के लिए १४७२ किमी पदयात्रा की। मात्र छठी कक्षा तक पढ़े भांभू के जीवन में ऐसे कई अध्याय हैं कि अब लोग उन्हें पर्यावरण के क्षेत्र का चलता फिरता संस्थान मानने लगे हैं। पद्म पुरस्कार प्राप्त होने के बाद उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी राजस्थान पत्रिका से कुछ यूं साझा की।
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