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जैन समाज का चातुर्मास शुरू, चातुर्मासिक प्रवेश के दौरान गुंजायमान रहे जयकारे

locationनागौरPublished: Jul 04, 2020 10:50:07 pm

Submitted by:

Jitesh kumar Rawal

जैन समणी वृंद का माही दरवाजा में स्वागत, जयमल जैन पौषधशाला में मंगल प्रवेश

जैन समाज का चातुर्मास शुरू, चातुर्मासिक प्रवेश के दौरान गुंजायमान रहे जयकारे

नागौर. शहर में चातुर्मास के लिए प्रवेश करतीं जैन समणी वृंद।

नागौर. श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में जयगच्छाधिपति आचार्य पाश्र्वचंद्र महाराज, डॉ.पदमचंद्र महाराज की शिष्या समणी सुगमनिधि एवं समणी सुधननिधि का शनिवार को प्रात: 9 बजे चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ।
जैन समणी वृंद सुबह साढ़े आठ बजे माही दरवाजा रोड पर पहुंचे। यहां से श्रावक-श्राविकाओं के साथ माही दरवाजा, लोढ़ों का चौक होते हुए समणी वृंद का आचार्य जयमल जैन मार्ग स्थित जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मासिक प्रवेश हुआ। इस दौरान सभी पुरुष वर्ग सफेद वस्त्र एवं महिलाओं ने लाल चुनरिया साड़ी की पोशाक में शिरकत की। श्रावक-श्राविकाओं ने जिन शासन के नारों एवं जयकारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि श्रावक-श्राविकाओं ने मास्क लगाए रखा एवं सोशल डिस्टेंंसिंग व प्रशासनिक निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन किया। इस अवसर पर प्रकाशचंद बोहरा, महावीरचंद भूरट, ज्ञानचंद माली, धनराज सुराणा, घेवरचंद नाहटा, मूलचंद सुराणा, पी.प्रकाशचंद ललवानी, कमलचंद ललवानी, नरपतचंद ललवानी, महेंद्र कांकरिया, नरेश गुरा, मूलचंद ललवानी, दिलीप पींचा, प्रेमचंद चौरडिया, पंकज ललवानी सहित कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।

सुबह प्रवचन, शाम को प्रतिक्रमण
संघ सहमंत्री दशरथचंद लोढा ने बताया कि जैन समाज में शनिवार से चातुर्मास प्रारंभ हुआ। इस दौरान जयमल जैन पौषधशाला में समणी वृंद का प्रतिदिन सुबह 9 बजे से 10 बजे तक प्रवचन होगा। इसके बाद कोरोना वायरस से मुक्ति मिलने एवं विश्व शांति के लिए आचार्य सम्राट जयमल महाराज रचित शांति जिन स्तुति का पाठ किया जाएगा। दोपहर में धार्मिक चर्चा एवं सूर्यास्त के बाद प्रतिक्रमण होगा।
दिनभर हुए विभिन्न आयोजन
प्रवचन की प्रभावना अकल्यादेवी-हस्तीमल पींचा की ओर से वितरित की गई। इस दौरान जयमल जैन महिला मंडल की रीता ललवानी, प्रेमलता ललवानी व संगीता ललवानी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। मंच का संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन के बाद समणी वृंद को प्रवास स्थल लोढ़ों की पोल स्थित छजमेल भवन पहुंचाया गया। दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक चांदनी चतुर्दशी के अवसर पर जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जाप किया गया, जिसकी प्रभावना पुष्पादेवी ललवानी की ओर से वितरित की गई।

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