मॉनिटरिंग सिस्टम को लेकर तीन जोन बना रखे हैं, जिसमें बेहतर उपलब्धियों वाले जिलों को ग्रीन व औसत जिलों को येलो जोन घोषित कर रखा है। स्कोर में पिछडऩे वाले जिलों को रेड जाने माना गया है। इस तरह के वर्गीकरण में प्रदेश के 18 जिले रेड जोन में हैं। येलो में 12 व ग्रीन जोन महज तीन ही जिले है।
ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र में मॉनिटरिंग सिस्टम बेहतर रखने के मामले में जयपुर सबसे ऊपर है। इसके बाद झुंझुनूं व तीसरे नम्बर पर झालावाड़ है। इन जिलों को अपनी रैंकिंग बरकरार रखने के निर्देश दे रखे हैं, जबकि पिछड़ रहे जिलों में जिम्मेदारों को सुधार की महत्वपूर्ण गुंजाइश के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
हाल ही में जारी हुए रैंक के हिसाब से अठारह जिले रेड जोन में हैं, जहां सुधार की गुंजाइश बताई गई है। इसमें जालोर, चूरू, सीकर, राजसमंद, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, बीकानेर, बाड़मेर, सिरोही, टोंक, नागौर, चित्तौडग़ढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ शामिल है।
नागौर जिले की स्थिति प्रदेशस्तरीय रैंकिंग में खस्ता है तो जिलास्तरीय रैंक में भी नागौर ब्लॉक पिछड़ा हुआ ही है। जिले की रैंकिंग में परबतसर ब्लॉक अव्वल है। इसके बाद नावां, मूण्डवा, रियां, कुचामन, मौलासर, मेड़तासिटी, डीडवाना, डेगाना, जायल, मकराना, नागौर, खींवसर व लाडनूं है।
दिशा-निर्देश दिए हैं…
ऑनलाइन अध्ययन के प्रति बच्चों को प्रेरित करने के लिए लगातार मॉनिटरिंग करनी होती है, लेकिन लक्ष्यों के अपुरूप कार्य नहीं हो रहा है। अभी नागौर जिला 29 नम्बर पर है। इस सम्बंध में सभी को दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, ताकि रैंकिंग में सुधार हो सके।
– बस्तीराम सांगवा, एडीपीसी, समसा, नागौर