जिले में 1977 में मूण्डवा विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया। इस सीट से पहली बार रामदेव बेनीवाल कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे व दूसरी बार 1985 में वे लोकदल से विधायक चुने गए। यहां से 1980 में कांग्रेस से हरेन्द्र मिर्धा, 1990, 1993 व 1998 में कांग्रेस से हबीबुर्रहमान तथा 2003 में भाजपा से उषा पूनिया ने जीत दर्ज की। 1977 में मूण्डवा सीट पर पहली बार हुए चुनाव से लेकर 2008 में खींवसर विधानसभा का गठन होने के बाद से 2018 तक 10 चुनावों में पांच बार कांग्रेस, दो बार भाजपा, एक बार लोकदल, एक बार निर्दलीय व एक बार रालोपा को जीत मिली।
खींवसर विधानसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद से लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके हनुमान बेनीवाल के तिलिस्म को कोई नहीं तोड़ पाया है। बेनीवाल 2008 में भाजपा, 2013 में निर्दलीय व 2018 में रालोपा से विधायक चुने गए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह चुनाव मिर्धा व बेनीवाल परिवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। पारिवारिक दृष्टि से मूण्डवा-खींवसर सीट पर पांच बार बेनीवाल परिवार, एक-एक बार मिर्धा व पूनिया परिवार, तीन बार मुस्लिम का कब्जा रहा है। परिसीमन के बाद हरेन्द्र मिर्धा 1993 व 1998 में नागौर से विधायक चुने गए। इस बार हो रहे उप चुनाव में कांग्रेस से हरेन्द्र मिर्धा, भाजपा-रालोपा गठबंधन से नारायण बेनीवाल व निर्दलीय अंकुर शर्मा चुनाव मैदान में है।