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कोतवाली पुलिस ने की सीएम के आदेशों की अनदेखी, मामला दर्ज करने में लगा दिए ढाई महीने

locationनागौरPublished: May 18, 2022 01:20:03 pm

Submitted by:

shyam choudhary

एसपी के निर्देश पर फर्जी व कूटरचित विक्रय पत्र निष्पादित करने का मामला दर्ज

नागौर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन साल पहले भले थाने में रिपोर्ट लेकर आने वाले व्यक्ति की एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन कई थानों में आज भी पीडि़तों को एफआईआर दर्ज कराने के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार पीडि़तों को पुलिस के उच्चाधिकारियों के पास जाना पड़ता है तो कई बार न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। ऐसा ही एक मामला जिले के कोतवाली थाना का सामने आया है, जिसमें पीडि़त ढाई महीने तक कोतवाली थाने के चक्कर लगाता रहा। लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने की बजाए नए-नए बहाने बनाकर टालती रही। आखिर पीडि़त पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश हुआ, जिस पर एसपी ने थानाधिकारी को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए, तब जाकर पुलिस ने मामला दर्ज किया। खास बात यह है कि कोतवाली पुलिस ने एफआईआर रिपोर्ट में पीडि़त द्वारा बताई गई उस पीड़ा का भी उल्लेख किया है, जो उसे पुलिस अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई।
क्या है मामला

डूकोसी निवासी लुकमान खां पुत्र मजीद खां कायमखानी ने रिपोर्ट में बताया कि हमारे पूर्वजों के खेत खसरा नम्बर 232 रकबा 2.3310 हैक्टेयर व खसरा नम्बर 233 रकबा 1.6187 हैक्टेयर मौजा ग्राम दुकोसी पटवार हल्का मानासर में स्थित है, जो खेत हमारे परिवारजन के संयुक्त खातेदारी के है। परिवादी ने बताया कि उसका भाई मौजीम पिछले काफी समय से बलाया निवासी गणपतराम काला पुत्र भंवरूराम जाट के यहां पर बलाया में तबेले में कार्य करता था। उसके भाई व गणपतराम के इस कारण से अच्छी जान-पहचान हो गई थी। गणपतराम अक्सर कोर्ट कचहरी में ही घूमता रहता है, इसलिए एक दिन गणपतराम को उसके भाई मौजीम ने खेतों का बंटवारा करवाने की कार्यवाही करने के लिए कहा, तब गणपतराम ने कहा कि उसके परिचित वकील के मार्फत मुकदमा करवा दूंगा। इसके बाद उसने एसडीओ कोर्ट नागौर में भाई मौजीम व बहन इस्लाम बानो, जायदा, रूबीना व जुबैदा के नाम से राजस्व वाद प्रस्तुत करवाया। पीडि़त ने बताया कि गणपतराम उसकी बहिनों व भाई को उक्त मुकदमे में कार्यवाही के लिए कोर्ट कचहरी में बुलाता तथा एसडीओ कोर्ट से स्टे करवा दिया, जिससे इनका विश्वास जम गया। अगस्त 2021 में एक दिन गणपतराम ने उसके भाई व बहिनों को में कोर्ट में बुलाया और कहा कि आज-कल न्यायालय में कार्यवाही करने के लिए फोटो व आधार कार्ड की जरूरत पड़ती हैं, तुम्हारे फोटो व आधार कार्ड दो। यह कहकर भाई व बहिनों से 4-4 फोटो व आधार कार्ड की फोटो ले ली। उस समय गणपतराम के साथ गगवाना निवासी रामलाल खोजा व चिमरानी निवासी सुरेन्द्रसिंह पुत्र निम्बाराम जाट भी थे। उस समय गणपतराम ने भाई व बहिनों खाली स्टाम्प व पन्नों पर अंगूठा निशान व हस्ताक्षर करवा लिए। अंगूठा निशान व हस्ताक्षर उसके भाई व बहिनों ने यह समझकर किए थे कि कोर्ट में जो मुकदमा चल रहा है, उसकी कार्यवाही में कोर्ट में पेश करेगा।
फर्जीवाड़े से बेचाननामा निष्पादित करवा लिया
पीडि़त ने आरोप लगाया कि उसके बाद गणपतराम ने षडयंत्र व कूटरचित तरीके से एक मुख्त्यिारनामा 3 अगस्त 2021 को मेरे भाई व बहिनों के नाम से अपने हक में लिखवाकर उस पर रामलाल व सुरेन्द्रसिंह के हस्ताक्षर गवाह के रूप में करवा लिए, जिसकी जानकारी उसे, उसके भाई व बहिनों को नहीं मिली। इसके बाद उसने मिलीभगती करके व अधिवक्ता को गुमराह करके उनकी ओर से एसडीओ के समक्ष पेश किया गया दावा खारिज करवा दिया तथा स्टे विड्रा करवा दिया। साथ ही जो फर्जी कूटरचित मुख्त्यिारनामा गणपतराम ने निष्पादित करवाया था, उसके आधार पर उनके हिस्से की जमीन का 8 फरवरी 2022 को अपनी पत्नी शारदा के हक में बेचाननामा निष्पादित करवाकर उप पंजीयक नागौर में 23 फरवरी 2022 को पंजीबद्ध करवा लिया। बेचाननामे की आड पर कुछ समय पूर्व मौके पर जमीन पर कब्जा करने की नियत से आए, तब सारी कार्यवाही की उसे व उसके परिवारवालों को जानकारी हुई। उसके भाई मौजीम ने इसके बारे में गणपतराम को ओलबा दिया तो उसे काम से निकाल दिया। परिवादी की रिपोर्ट पर पुलिस ने गणपतराम, शारदा, रामलाल खोजा व सुरेन्द्रसिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
मुख्यमंत्री के यह थे आदेश

‘राजस्थान में थाने के अंदर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है, जो अन्य कहीं पर भी नहीं है। क्राइम की संख्या बढ़ेगी, लेकिन लोगों को राहत मिलना आवश्यक है, यदि थाने में नहीं करते हैं तो एसपी ऑफिस के अंदर भी दर्ज करने की कार्रवाई हमने शुरू करवा दी, वह भी देश में कहीं नहीं है।’ आदेश जारी करने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगस्त, 2019 में ट्विटर पर यह पोस्ट की थी।
यह है नियम

परिवादी की रिपोर्ट के अनुसार उसे पहले सदर थाने से कोतवाली तथा बाद में कोतवाली से सदर थाने का मामला होने का कहकर टरकाया गया। जबकि नियम यह है कि यदि आपको अपने क्षेत्र के थाने के विषय में जानकारी नहीं हैं, तो किसी भी नजदीकी थाने में जाकर आप एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। कोई भी पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकता, चाहे अपराध उसके पुलिस स्टेशन के कार्यक्षेत्र से बाहर ही क्यों न हुआ हो। आप अपने क्षेत्र से बाहर के थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हैं, तो उस थाने के अधिकारी एफआईआर दर्ज कर आपके क्षेत्र के पुलिस स्टेशन को शिकायत भेज देते हैं, इसे ‘जीरो एफआईआर’ कहा जाता है।

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