16 वर्षों से बंद रास्ता
गांव की 24 बच्चियां नारवा कलां स्कूल में पढऩे जा रही है वहीं बीच में आने वाले हनुमान नगर गांव में 16 वर्षों से मुख्य रास्ता बंद होने के कारण विद्यार्थी पगडण्डी रास्ते से चार किलोमीटर की बजाए छह किलोमीटर घूमकर जा रहे हंै। हनुमान नगर स्कूल में इस गांव के दर्जनभर लडक़े-लड़कियां पढऩे जा रहे हंै। छात्र अचलाराम, विमला ने बताया कि रास्ता बंद होने से स्कूल जाने में करीब एक घण्टा लगता है और खेतों के बीच से पगडण्डी रास्ते से जाना उनकी मजबूरी है।
स्टॉफ के अभाव में पढाई बाधित
राधा प्रजापत व मनोहर ने बताया कि हनुमान नगर स्कूल में भी अध्यापकों के पद रिक्त है। अंग्रेजी सहित कई टीचर नहीं होने से पढाई प्रभावित हो रही है। ग्रामीण किसनाराम रापडिय़ा, मांगीलाल, लिखमाराम, नारायणराम ने बताया कि लुणावास स्कूल को क्रमोन्नत करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों से कई वर्षों से पुरजोर से मांग करते आ रहे हैं लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की।
उच्च शिक्षा से वंचित लड़कियां
गांव की अधिकांश लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित है। गांव से 3 किलोमीटर दूर अखावास में विद्यालय है लेकिन असुविधाओं के चलते बच्चियां वहां जा नहीं पा रही है। वहीं इस गांव में मेघवाल, रापडिय़ा कुम्हार व कालीरावणा की ढाणियों की बच्चियां 9 किलोमीटर दूर नारवा कलां में अपने स्तर पर जा रही है। जबकि अधिकांश असक्षम परिवारों की लड़कियों की उच्च शिक्षा से पहले ही पढ़ाई छूट रही है।
भारी परेशान है
गांव की स्कूल क्रमोन्नत नहीं होने से दूसरे गांव पढने जाना पड़ रहा है। बीच में रास्ता बंद होने से एक घण्टा सफर में बीत जाता है। ऐसे में पढाई प्रभावित हो रही है लेकिन सुनवाई नहीं होने से भारी परेशान है।
पुखराज कालीरावणा, छात्र
सरकार का नारा झूठा
सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढाओ का नारा दे रही है जबकि यह नारा लुणावास में झूठा साबित हो रहा है। यहां की स्कूल को क्रमोन्नत नहीं करने से बच्चियों की उच्च शिक्षा प्राप्त करने से पहले ही पढ़ाई छूट रही है।
सोनिया प्रजापत, छात्रा
हमेशा की अनदेखी
गांव के लोगों ने हमारी पढाई को लेकर प्रत्येक जनप्रतिनिधि से विद्यालय क्रमोन्नत करने की गुहार लगाई मगर वोट लेने वाले नेताओं ने किसी की नहीं सुनी। जिस कारण हमारी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
रमेश मेघवाल, छात्र