नागौर में रविवार की सुबह सूबेदार बजरंगलाल डूकिया (47) की शहादत की खबर उनके परिजनों को दी गई। बजरंगलाल के दुनिया छोडऩे की खबर सुनते ही पिता प्रभुराम, पत्नी नैना देवी, बेटी ङ्क्षबदु, बेटा लोकेश के साथ बजरंग लाल की बहनें विलाप करने लगी। करुण क्रंदन के बीच गांव वाले, जानकार/रिश्तेदार भी वहां पहुंचे, ढाढस बंधाता कौन, जो भी कोशिश करता खुद रो पड़ता। पति के शहीद होने के गर्व पर बच्चों के अनाथ होने का दर्द वीरांगना नैना देवी पर भारी था। मिचमिचाती आंखों से प्रभुराम न जाने क्या ताक रहे थे। बेटी ङ्क्षबदु-बेटा लोकेश दहाड़े मार-मार कर रो रहे थे, बहनें भाई के जुदा होने पर व्यथित थीं तो गांव वाले अपने लाल को खोने का दु:ख महसूस कर रहे थे। वीरगति को प्राप्तगौरतलब है कि भारत पाक सीमा पर जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के माछील सेक्टर में पेट्रोङ्क्षलग करते हुए नागौर की मूण्डवा तहसील के फिड़ौद ग्राम के सूबेदार बजरंगलाल डूकिया (47) गुरुवार को शहीद हो गए। भारत पाक सीमा पर एलओसी पर गुरुवार की शाम पेट्रोङ्क्षलग करते समय इन्होंने वीरगति प्राप्त की थी। तब ये यह बात फैली तो जरूर पर परिजनों तक नहीं पहुंचने दी।
नागौर में रविवार की सुबह सूबेदार बजरंगलाल डूकिया (47) की शहादत की खबर उनके परिजनों को दी गई। बजरंगलाल के दुनिया छोडऩे की खबर सुनते ही पिता प्रभुराम, पत्नी नैना देवी, बेटी ङ्क्षबदु, बेटा लोकेश के साथ बजरंग लाल की बहनें विलाप करने लगी। करुण क्रंदन के बीच गांव वाले, जानकार/रिश्तेदार भी वहां पहुंचे, ढाढस बंधाता कौन, जो भी कोशिश करता खुद रो पड़ता। पति के शहीद होने के गर्व पर बच्चों के अनाथ होने का दर्द वीरांगना नैना देवी पर भारी था। मिचमिचाती आंखों से प्रभुराम न जाने क्या ताक रहे थे। बेटी ङ्क्षबदु-बेटा लोकेश दहाड़े मार-मार कर रो रहे थे, बहनें भाई के जुदा होने पर व्यथित थीं तो गांव वाले अपने लाल को खोने का दु:ख महसूस कर रहे थे। वीरगति को प्राप्तगौरतलब है कि भारत पाक सीमा पर जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के माछील सेक्टर में पेट्रोङ्क्षलग करते हुए नागौर की मूण्डवा तहसील के फिड़ौद ग्राम के सूबेदार बजरंगलाल डूकिया (47) गुरुवार को शहीद हो गए। भारत पाक सीमा पर एलओसी पर गुरुवार की शाम पेट्रोङ्क्षलग करते समय इन्होंने वीरगति प्राप्त की थी। तब ये यह बात फैली तो जरूर पर परिजनों तक नहीं पहुंचने दी।