जिलेभर में 277 दुकानें हैं। सूत्रों के अनुसार सभी 277 दुकानों पर इसके लिए कम्प्यूटर अथवा पोस मशीन रखना अनिवार्य किया गया है। यही नहीं हर दुकान पर होने वाली रियल टाइम बिक्री पर आबकारी विभाग निगरानी करेगा। सभी दुकानें ऑनलाइन आबकारी मुख्यालय और जिलास्तर पर जुड़ी रहेंगी। सभी दुकानों को इसके दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। एक अगस्त से शराब की दुकान से बिकने वाली हर चीज की बिक्री रिकॉर्ड में दर्ज होगी। किस दुकान के स्टॉक में कितना माल है, यह आबकारी विभाग एक क्लिक में जान लेगा। पोस मशीन लगने के आबकारी विभाग इन दुकानों का भी निरीक्षण करेगा कि कहां पर बिल जारी नहीं किए जा रहे, इनके खिलाफ कार्रवाई करने पर भी विचार किया जा रहा है। नई आबकारी नीति में अब दुकानों पर होने वाली गड़बड़ी पर भी शिकंजा कसा गया है। पव्वा हो या बोतल, हर की खरीद की ऑनलाइन निगरानी होगी। स्टॉक भी ऑनलाइन होने से अब पहले की तरह दो नंबर की शराब भी इन दुकानों से नहीं बेची जा सकेगी।
बताया जाता है कि ऐसा सबकुछ इसलिए हो रहा है कि न तो शराब के शौकीन ठगे जाएं न ही सरकार को चपत लगे। इतना ही नहीं हर बोतल और पव्वे बार कोड होगा, जिससे ग्राहक मोबाइल से स्केन करके यह पता लगा सकेगा कि शराब कहा, कब बनी है और उसकी कीमत क्या है। शराब की बोतल पर बार कोड को पोस मशीन से स्कैन करते ही शराब की ब्रांड, मात्रा, गुणवत्ता आदि जानकारियां स्क्रीन पर होगी। ऑनलाइन व्यवस्था के चलते इसका पूरा ब्यौरा मुख्यालय पर भी रियल टाइम में प्रदर्शित होगा।
बिल में सभी टैक्स शामिल
सूत्र बताते हैं कि शराब/बीयर पर दर्ज एमआरपी मूल्य में सभी टैक्स शामिल हैं। एमआरपी मूल्य में सभी कर समाहित हैं, ऐसे में शराब के शौकीनों को कोई अलग से भार नहीं पड़ेगा। बिल देने के पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि इससे दुकानों पर काम कर रहे सेल्समैन की जबरन वसूली पर रोक लगेगी। साथ ही दुकान से उठे माल का भी मिलान हो पाएगा। वैसे तो सभी दुकानों पर देसी-अंग्रेजी शराब के साथ बीयर आदि की भी रेट लिस्ट लगाने का प्रावधान बरसों पुराना है, पर इस बार इसमें भी कोताही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
कई और सावधानियों पर फोकस
शराब की दुकान पर आए दिन निर्धारित रेट से अधिक वसूलने की शिकायत से निजात दिलवाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने शराब की दुकान से ग्राहक को पोस मशीन से बिल देना अनिवार्य किया है ताकि बिल से अधिक रुपए वसूले तो ग्राहक शिकायत कर सकें। वहीं, मदिरा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वाक्य को बड़ा करके लिखवाना होगा, शराब का विज्ञापन करने पर जुर्माना राशि वसूल की जाएगी। विभाग नशा मुक्ति के लिए जागरूकता भी फैलाएगा। इसके साथ ही नई आबकारी नीति में राजस्थान में निर्मित शराब मतलब आरएमएल (राजस्थान मेड लीकर) की बिक्री को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। राजस्थान निर्मित शराब की बिक्री बढ़ाने के मकसद से नई आबकारी नीति में ठेकेदारों को कई शिथिलता दी गई है, जिससे ठेकेदारों का टारगेट पूरा करने में परेशानी नहीं होगी।
ज्यादा रेट लेने पर बनी यूनियन
शराब की दुकानों को चालू होने के बाद कुछ समय कोरोना संक्रमण के चलते दुकानें बंद रहीं पर बाद में मनमाने दाम वसूलने की शिकायत आने लगी है। ऑनलाइन शिकायतों में मनमर्जी वसूली का आलम यह बताया कि बीयर के दाम में पच्चीस से तीस रुपए की कमी की गई है, बावजूद कई दुकानों पर पुराने दाम की वसूली जारी है। जिले में अलग-अलग जगह से ऐसी शिकायत मिल रही है। मकराना से आई शिकायत में तो यह तक कहा गया है कि यहां शराब की अधिकृत दुकानों ने मिलकर यूनियन सी बना ली और तय कर लिया कि वे अपने हिसाब से रेट लेंगे। एक दुकानदार का कहना है कि ठेका छूटने के बाद अनावश्यक रोक गलत है। मजे की बात है कि अधिकृत मूल्य से ज्यादा वो कैसे ले सकते हैं। यही नहीं एमआरपी से अधिक वसूली की जा रही है।
इनका कहना है
एक अगस्त से नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी। पोस मशीन के सहारे बिल बनेगा, इससे आबकारी विभाग को हर दुकान पर बिकने वाली चीज और उसका स्टाक पता रहेगा। इसके लिए पोस मशीन अथवा कम्प्यूटर रखना होगा। विभाग हर दुकान की रियल टाइम निगरानी करेगा। शराब-बीयर मूल्य से अधिक नहीं बिकेगी न ही रात आठ बजे बाद इनके बिकने की संभावना रहेगी।
-मोहनराम पूनिया, जिला आबकारी अधिकारी, नागौर।