चिरंजीवी योजना से नहीं जुड़ पाए सूत्रों का कहना है कि जिले के सामान्य वर्ग के होमगार्ड चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना से ही नहीं जुड़ पाए। करीब पांच महीने का अर्सा हो गया पर अब तक इनकी व इनके परिवारों को इससे नहीं जोड़ा गया। बताया जाता है कि नागौर होमगार्ड कार्यालय की मेल आईडी तक नहीं थी, इस वजह से कई होमगार्ड अब तक इससे वंचित हैं। जिले में करीब आठ सौ होमगार्ड हैं।
स्थाई करने का मामला विचाराधीन सूत्रों का कहना है कि प्रदेशभर के इन अस्थाई होमगार्ड को स्थाई करने का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि सरकार का तर्क है कि इनका काम आंतरिक सुरक्षा का है जो स्वयंसेवक के रूप में है। अभी ड्यूटी के दौरान इन्हें प्रतिदिन 693 रुपण् दिए जा रहे हैं। होमगार्ड महिला हो या पुरुष। अभी यह मामला तो कोर्ट में चल रहा है जबकि अलगे साल सरकार की ओर से स्थाई होमगार्ड की भर्ती भी प्रस्तावित है।
रात्रि गश्त बंद पिछले करीब डेढ़ साल से रात्रि गश्त बंद है। ऐसे में कोढ़ में खाज वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, इसके बदले भी होमगार्ड को काम मिल रहा था। इन्हें बतौर एजेंसी काम रोटेशन में दिए जाने का वादा है हालांकि कुछ लोगों का आरोप है कि उनके साथ ऐसा नहीं होता।
नहीं निकल रहे एडमिट कार्ड 25 अक्टूबर से हो रही भर्ती के लिए होमगार्ड अभ्यर्थी एक नई समस्या से जूझ रहे हैं। इनका एडमिट कार्ड डाउनलोड नहीं हो रहा। इसके लिए टेंडर के जरिए एक फर्म का यह कार्य है। दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि तयशुदा समय में साफ्टवेयर के लेते ही अभ्यर्थी को संदेश मिलेगा तभी एडमिट कार्ड जारी होगा।
इनका कहना है होमगार्ड को रोटेशन के हिसाब से ड्यूटी मिलती है। चिकित्सा समेत अन्य सुविधाओं से भी उन्हें जोड़ा जा रहा है। कोरोना में ड्यूटी के दौरा मृत्यु होने पर अन्य की भांति पचास लाख के मुआवजे के भी हकदार हैं। वर्तमान में कार्यरत होमगार्ड के स्थाई करने का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।-प्रणय जसोदिया, कमाण्डेंट, नागौर होमगार्ड कार्यालय