गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने एमसीएच विंग के भवन निर्माण में बरती गई लापरवाही व भ्रष्टाचार को लेकर शुरू से ही समाचार प्रकाशित कर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया । इसी के चलते सितम्बर 2018 में एसीबी जांच के लिए जिला कलक्टर ने लिखा था।
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बाद में भवन की स्थिति ज्यादा खराब होने पर 17 जून 2021 को पत्रिका ने एमसीएच विंग में छत का प्लास्टर गिरने की खबर प्रकाशित की। इसके बावजूद अधिकारी नहीं जागे तो पांच दिन बाद 23 जुलाई 2021 को एमसीएच विंग की ग्राउण्ड रिपोर्ट प्रकाशित कर हकीकत बताई। पत्रिका द्वारा बार-बार समाचार प्रकाशित करने पर जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने इसको गंभीरता से लेते हुए 26 जुलाई को एनआरएचएम के मिशन निदेशक को पत्र लिखकर भवन की मरम्मत के लिए बजट की मांग की। कलक्टर ने पत्र में बताया कि उनके द्वारा एवं जेएलएन अस्पताल के पीएमओ द्वारा पूर्व में भी पत्र लिखे जा चुके हैं। कलक्टर ने पत्र में बताया कि 4 मई 20217 को जेएलएन अस्पताल के पीएमओ को हस्तांतरित किया गया एमसीएच भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। साढ़े तीन साल पहले लिए थे निर्माण सामग्री के नमूने करीब 14 करोड़ के भारी भरकम बजट के बावजूद एमसीएच यूनिट के भवन निर्माण में की गई गड़बड़ी की शिकायत पर तत्कालील जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम ने एसीबी के अधिकारियों को पत्र लिखा था, जिसके बाद एसीबी के तत्कालीन उपाधीक्षक जाकिर अख्तर ने तकनीकी विशेषज्ञों की टीम के साथ 6 सितम्बर 2018 को अस्पताल पहुंचकर निर्माण सामग्री के नमूने लिए थे। एसीबी ने भवन के भूतल सहित ऊपरी मंजिल की दीवारों एवं छतों के फर्श, बाथरूम व टायलेट्स आदि के आधा दर्जन से अधिक नमूने लिए थे।
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एईएन ने कहा, ‘खाली कर दो एमसीएच विंग, हो सकती है जनहानि’
एईएन कर चुके भवन खाली करने की सिफारिश उपखंड नागौर के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता ने 4 अक्टूबर 2021 को एमसीएच विंग का निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट तैयार की, उसमें बताया कि - - इस भवन को मरम्मत होने तक खाली रखना ही उचित होगा। - एईएन ने बताया कि भवन में छत का प्लास्टर जगह-जगह से गिर रहा है व काफी जगह छत में सिलन आ रही है। ऐसी स्थिति में छत का प्लास्टर कभी भी गिर सकता है।
- कई पिलर भी क्रेक हैं। सिवर लाइन में गंदा पानी जगह-जगह रुका हुआ होने के कारण फर्श भी काफी जगह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। - छत का प्लास्टर व कंक्रीट गिरने से जन हानि होने का अंदेशा हमेशा बना हुआ है।
फाइल जयपुर है क्वालिटी कंट्रोल बोर्ड से मिली रिपोर्ट के साथ फाइल जयपुर मुख्यालय भिजवा दी थी, उसके बाद हमें कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले। - मोहनराम, निरीक्षक, एसीबी, नागौर