नागौर

ऐसा क्या हुआ कि कर्मचारी पहुंच गए कलक्टर के पास

– 20-25 वर्षों की सेवा पूर्ण कर चुके अनुबंध कार्मिकों को नियमित करने की मांग

नागौरApr 10, 2018 / 11:39 am

Mohummed Razaullah

Memorandum submitted by the Sarva Shiksha Employees Union in nagaur

नागौर. शिक्षा के सार्वजनीकीकरण के उद्देश्य से वर्ष 1993 में आरम्भ हुई लोक जुम्बिश परियोजना में अनुबंध पर लगाए गए कार्मिकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर नियमित करने की मांग रखी। अखिल राजस्थान सर्व शिक्षा अभियान कर्मचारी संघ की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में बताया कि यह परियोजना स्वीडा, भारत सरकार तथा राज्य सरकार के अनुदान से आरम्भ की गई थी। अनुदान क्रमश: 3:2:1 के अनुपात में स्वीकृत था। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए राजस्थान सरकार के कार्मिक एवं वित्त विभाग से अनुमोदित एवं स्वीकृत लोक जुम्बिश कर्मचारी सेवा विनियम 1993 में स्वीकृत वेतन शृंखला एवं पदों पर वर्ष 1993-1998 में अनुबंध पर नियुक्त किए गए थे।

नियमितीकरण के लिए कर रहे हैं संघर्ष

संघ की महामंत्री किरण गर्जुर, अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार व्यास, पुष्पलता शर्मा, शिवाराम सहित अन्य कर्मचारियों ने ज्ञापन में बताया कि लोक जुम्बिश परियोजना 2004 में बन्द होने के बाद उन्हें भारत सरकार के सर्व शिक्षा अभियान में स्वीकृत पदों के लिए अनुबंध पर ही समायोजित किया गया। उन्होंने मांग रखी जो कार्मिक वर्ष 1993 से वर्तमान में अनुबंध पर ही कार्यरत हैं तथा नियमितीकरण के लिए पिछले 14 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। वर्तमान सरकार के पिछले कार्यकाल में वर्ष 2007 में 225 कार्मिकों को प्रबोधक अधिनियम के तहत राजकीय कर्मचारी के ïरूप में नियमित किया जा चुका है। शेष रहे कार्मिक लम्बित मांगों की पूर्ति के लिए लम्बे समय से मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों ने उन्हें भी नियमित करने की मांग की।

ये हैं मांगें
लोक जुम्बिश कर्मचारी सेवाविनियम 1993 को 1 जुलाई 2004 से पुन: लागू किया जाए।
राजस्थान स्वेच्छा ग्रामीण शिक्षा सेवानियम 2010 में लोक जुम्बिश कर्मचारी सेवा विनियम 1993 सम्मिलित करते हुए स्वीकृ त पदों पर सीधे नियुक्ति दी जाए।
राज्य कर्मचारियों की भांति 7वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन निर्धारण एवं एरियर का भुगतान किया जाए।
सेवानिवृत्त एवं सेवारत निधन हो चुके कार्मिकों को ग्रेच्युटी राशि का तुरन्त भुगतान किया जाए।
सेवारत कार्मिकों के मृत्युपरांत आश्रितों को राज्य सेवा में नियुक्त किया जाए।

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