व्यर्थ लगा रहे खनू पसीने की कमाई
खस्ताहाल सडक़ें जानलेवा बन जाए जो बनें, इन्हें किसी की जान से कोई परवाह नहीं। इन्हें तो लकीर का फकीर बनकर चलना है। शहरवासी भी इसमें कम दोषी नहीं है। जहां सडक़ें नहीं है वहां सडक़ों का निर्माण करने के बजाय अच्छी स्थिति वा ली सडक़ को बेवजह चमकाया जा रहा है इसके बावजूद शहरवासी मौन है। किसी ने बेवजह की जा रही धन की बर्बादी को रोकने के लिए एक शिकायत तक करना उचित नहीं समझा। हर कोई चाहता है कि गलत काम नहीं हो, बिल्ली के गले में घंटी बांधने की पहल करे कौन। शायद यही कारण है कि नौकरशाही हर जगह हावी होकर जनता की खून पसीने की कमाई की बर्बाद कर रही है। Nagaur latest hindi news