12 सितम्बर 2008 को जारी छठे वेतन आयोग की अधिसूचना के अनुसार पुलिस विभाग में सामान्य पुलिस सेवा एवं पुलिस दूरसंचार सेवा के कांस्टेबल, हैड कांस्टेबल व एएसआई का पद के हिसाब से वेतन भी समान था, लेकिन 30 अक्टूबर 2017 को जारी सातवें वेतन आयोग की अधिसूचना में सामान्य पुलिस के हैड कांस्टेबल का पे मैट्रिक्स लेवल-8 करते हुए ग्रेड-पे 2800 कर दिए, जबकि दूरसंचार विभाग के हैड कांस्टेबल का पे मैट्रिक्स लेवल-6 करके ग्रेड-पे 2400 ही रखा, जबकि कांस्टेबल का ग्रेड-पे भी 2400 रखा। इसी प्रकार सामान्य पुलिस के एएसआई का लेवल-10 करके ग्रेड-पे 3600 कर दिया, जबकि दूरसंचार विभाग के एएसआई का लेवल-8 करके ग्रेड-पे 2800 ही किया। यहीं से विसंगति पैदा हो गई, जो आज तक नहीं सुधर पाई है।
पीडि़त पुलिसकर्मियों ने जब विभागीय अधिकारियों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी तो सबसे पहले 15 नवम्बर 2017 को पुलिस मुख्यालय राजस्थान जयपुर के वित्तीय सलाहकार आलोक माथुर ने गृह विभाग के संयुक्त शासन सचिव को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दी तथा वेतन विसंगति दूर करने को कहा। इसके बाद गृह विभाग के तत्कालीन संयुक्त शासन सचिव कालूराम ने वेतन विसंगति निवारण समिति के सदस्य सचिव को पत्र लिखकर वेतन विसंगति दूर करने को कहा था। फिर भी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ तो 12 मार्च 2018 को तत्कालीन डीजीपी ओपी गल्होत्रा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक उप्रेती को पत्र लिखकर बताया कि इस वेतन विसंगति से पुलिस दूरसंचार के प्रभावित कार्मिकों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ रहा है, इसलिए इसे प्राथमिक से परीक्षण करवाकर आवश्यक कार्रवाई करें। इसके बाद 31 अगस्त 2018 को राजस्थान पुलिस के दूरसंचार एवं तकनीकी अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सुनील दत्त ने गृह विभाग के शासन सचिव को पत्र लिखकर पूरी प्रक्रिया समझाते हुए वेतन विसंगति दूर करवाने के लिए कहा, इसके बावजूद स्थिति जस की तस है।