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प्रदेश के 200 से अधिक पुलिसकर्मी आज भी सातवें वेतन आयोग से वंचित

locationनागौरPublished: Jun 07, 2020 12:18:44 pm

Submitted by:

shyam choudhary

वेतन विसंगति को दूर करने के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद कोई सुधार नहीं, राजस्थान पुलिस के पुलिस दूरसंचार विभाग के हैड कांस्टेबल व एएसआई को हर महीने हो रहा है 8 से साढ़े 12 हजार का नुकसान- सुनवाई नहीं होने से डिप्रेशन में दूरसंचार शाखा के पुलिसकर्मी

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नागौर. पुलिस विभाग में आए दिन हो रही आत्महत्या की घटनाओं के बावजूद पीएचक्यू के उच्चधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पुलिस दूरसंचार विभाग में देखा जा सकता है, जिसके हैड कांस्टेबल व सहायक उप निरीक्षक पिछले सात वर्षों से हर महीने वेतन में हजारों रुपए का नुकसान उठा रहे हैं। वहीं अक्टूबर 2017 में लागू सातवें वेतन आयोग का लाभ पुलिस दूरसंचार विभाग के हैड कांस्टेबल व एएसआई को 32 माह बाद भी नहीं मिला है।
दरअसल, जून 2013 में राज्य सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग में किए गए संशोधन में रही त्रुटि का खमियाजा राजस्थान पुलिस के पुलिस दूरसंचार विभाग के हैड कांस्टेबल व सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) अब तक भुगत रहे हैं। प्रदेशभर में दूरसंचार विभाग के करीब 200 हैड कांस्टेबल व एएसआई को अपने ही समकक्ष राजस्थान पुलिस के सामान्य पुलिस विभाग के हैड कांस्टेबल व एएसआई से 8 से 12 हजार रुपए प्रति माह वेतन कम मिल रहा है। यानी समान पद के बावजूद अलग-अलग वेतन मिल रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि सरकार द्वारा सेवानिवृत्त आईएएस डीसी सामंत की अध्यक्षता में गठित वेतन विसंगति निवारण समिति ने भी बार-बार कार्यकाल बढ़ाने के बाद गत वर्ष अपनी रिपोर्ट वित्त विभाग में पेश कर दी थी।
यह है बड़ी विसंगति
12 सितम्बर 2008 को जारी छठे वेतन आयोग की अधिसूचना के अनुसार पुलिस विभाग में सामान्य पुलिस सेवा एवं पुलिस दूरसंचार सेवा के कांस्टेबल, हैड कांस्टेबल व एएसआई का पद के हिसाब से वेतन भी समान था, लेकिन 30 अक्टूबर 2017 को जारी सातवें वेतन आयोग की अधिसूचना में सामान्य पुलिस के हैड कांस्टेबल का पे मैट्रिक्स लेवल-8 करते हुए ग्रेड-पे 2800 कर दिए, जबकि दूरसंचार विभाग के हैड कांस्टेबल का पे मैट्रिक्स लेवल-6 करके ग्रेड-पे 2400 ही रखा, जबकि कांस्टेबल का ग्रेड-पे भी 2400 रखा। इसी प्रकार सामान्य पुलिस के एएसआई का लेवल-10 करके ग्रेड-पे 3600 कर दिया, जबकि दूरसंचार विभाग के एएसआई का लेवल-8 करके ग्रेड-पे 2800 ही किया। यहीं से विसंगति पैदा हो गई, जो आज तक नहीं सुधर पाई है।
अधिकारी एक-दूसरे को लिख रहे पत्र
पीडि़त पुलिसकर्मियों ने जब विभागीय अधिकारियों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी तो सबसे पहले 15 नवम्बर 2017 को पुलिस मुख्यालय राजस्थान जयपुर के वित्तीय सलाहकार आलोक माथुर ने गृह विभाग के संयुक्त शासन सचिव को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दी तथा वेतन विसंगति दूर करने को कहा। इसके बाद गृह विभाग के तत्कालीन संयुक्त शासन सचिव कालूराम ने वेतन विसंगति निवारण समिति के सदस्य सचिव को पत्र लिखकर वेतन विसंगति दूर करने को कहा था। फिर भी समस्या का निस्तारण नहीं हुआ तो 12 मार्च 2018 को तत्कालीन डीजीपी ओपी गल्होत्रा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक उप्रेती को पत्र लिखकर बताया कि इस वेतन विसंगति से पुलिस दूरसंचार के प्रभावित कार्मिकों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ रहा है, इसलिए इसे प्राथमिक से परीक्षण करवाकर आवश्यक कार्रवाई करें। इसके बाद 31 अगस्त 2018 को राजस्थान पुलिस के दूरसंचार एवं तकनीकी अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सुनील दत्त ने गृह विभाग के शासन सचिव को पत्र लिखकर पूरी प्रक्रिया समझाते हुए वेतन विसंगति दूर करवाने के लिए कहा, इसके बावजूद स्थिति जस की तस है।
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