scriptआदिशक्ति स्वरूपा है डीडवाना की पाढाय माता | Mother Durga is Shaktuparnooppa Hai Padya Mata | Patrika News

आदिशक्ति स्वरूपा है डीडवाना की पाढाय माता

locationनागौरPublished: Oct 12, 2018 01:07:31 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

डीडवाना के नमक क्षेत्र स्थित मंदिर में नौ दिन दर्शनों के लिए लगता है भक्तों का रैला

Nagaur patrika

pranamya Shirsa Dev Gauri’s son Vinayak

नागौर. जिले के डीडवाना इलाके के नमक क्षेत्र में पाढाय माता का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर आदि शक्ति स्वरूप होने के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर में स्थापित शिलालेख के अनुसार विक्रम संवत ९०२ में भैंसा सेठ द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। माता के मंदिर में दो मूर्तियां हैं। इनमें से एक बालिका तथा दूसरी महिषासुर मर्दिनी के रूप में हैं। इनके बाईं और भैरवनाथ की मूर्ति है। बताया जाता हैं कि माता के मंदिर को औरंगजेब ने खंडित करने का प्रयास किया था।, लेकिन बाहरी हिस्से को ही खंडित कर सका। मंदिर के भीतर स्थित मूर्ति को खंडित नहीं कर पाया। उसे वहां से लौटना पड़ा। इसकी महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संवत १७६५ में इसके बरामदे का निर्माण एक अंग्रेज ने कराया था। मंदिर निर्माण के पीछे किदवंती है कि जहां पर मंदिर बना, वहां घना जंगल होने के साथ कैर के दो वृक्ष हैं। यहां पर भैंसा सेठ की गाय चरने के लिए आती थी। गाय कैर के वृक्ष के पास से गुजरती तो एक बालिका आकर उसका दूध पी जाती। यह क्रम रोजाना जारी रहने से गाय का दूध कम होने पर सेठ ने ग्वाले से पूछताछ की। ग्वाले ने बताया कि उसे नहीं पता, वह तो इमानदारी से अपना काम करता है। सेठ के कहने के बाद ग्वाले ने गाय पर नजर रखी तो शाम को चरने के दौरान एक बालिका को गाय का दूध पीते देखा। यह बात उसने भैसा सेठ को बताई। भैंसा सेठ ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया, और खुद जाकर शाम को गाय पर निगाह रखी। उसने देखा कि कैर के वृक्ष के पास से गुजरने पर एक बालिका आई और गाय का दूध पीने लगी। इसी दौरान सेठ ने सामने पहुंचकर पूछा कि आप कौन है तो कहा कि मैं आदिशक्ति हूं। अब मैं यहीं प्रगट होऊंगी। यहां पर मेरा मंदिर बनाना। सेठ ने आर्थिक असमर्थता जताते हुए कि वह इस काम को नहीं कर पाएगा। इस पर माता ने कहा तू अपने घोड़े को दौड़ा, लेकिन पीछे मुडक़र मत देखना, जहां तक घोड़ा जाएगा वह पूरा क्षेत्र चांदी की खान में बदल जाएगा। सेठ ने घोड़ा दौड़ाया, लेकिन थोड़ी ही देर में धरती कांपने लगी। घबराकर पीछे देख लिया, तो माता कैर के पेड़ से प्रगट होकर वहीं रह गई। भैंसा सेठ ने लौटकर माता को प्रणाम किया, और कहा कि यह पूरा क्षेत्र चांदी में बदल गया तो फिर लोग इसे लूट लेंगे। आप तो ऐसी चीज दीजिए, जिससे परिवार का जीविकोपार्जन हो सके। इस पर वह पूरा क्षेत्र नमक की खान में बदल गया। मंदिर में नवरात्र में नौ दिन तक विविध कार्यक्रम होते हैं। दूर-दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। पूरा परिसर श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजता रहता है। कहते हैं कि मनोकामना पूर्ति के लिए यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

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