नागौरPublished: Jul 16, 2021 11:19:19 pm
Sharad Shukla
Nagaur. रोडवेज अधिकारियों पर विभागी संवैधानिक ढांचे के खिलाफ बसों के संचालन का लगाया आरोप,-आगार में संचालन के लिए 10 अनुबंधित बसों को और बढ़ाने के फैसले पर रोडवेज कर्मचारियों में असंतोष, राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेंडरेशन ने प्रबन्ध निदेशक के नाम संबोािधत ज्ञापन आगार मुख्य प्रबन्धक को सौंपा, पाली आगार से दस अनुबंधित बसों को नागौर आगार स्थानांतरित किए जाने के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन
Nagaur. Officials of Rajasthan Transport Corporation Joint Employees Federation demonstrating in the roadways bus stand premises
नागौर. राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के नागौर आगार में विभागीय प्रावधानों के खिलाफ अनुबंधित बसों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने से रोडवेज कर्मचारियों में असंतोष की स्थिति बन गई है। रोडवेज कर्मचारियों की यूनियन ने निगम पर आगार का निजीकरण करने की कोशिश बताते हुए विभाग पर लाखों के राजस्व का चूना लगाए जाने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को इसी संदर्भ में राजस्थान स्टेट रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने प्रबन्ध निदेशक के नाम संबोधित ज्ञापन आगार के मुख्य प्रबन्धक को सौंपा। इसमें कहा गया है कि निगम में पहले से ही 27 अनुबंधित बसें चल रही थी। इसमें 10 बसों को और बढ़ाए जाने के आदेश को वापस नहीं लिया जाता है तो फिर 21 जुलाई को धरना दिए जाने के साथ ही बसों के चक्के भी रोके जा सकते हैं।
मुख्यालय के कार्यकारी निदेशक की ओर से गत 13 जुलाई को पाली आगार से ब्लू लाइन की 10 अनुबंधित वाहनों को नागौर आगार को और स्थानांतरित कर दिया गया। इसकी जानकारी रोडवेज कर्मचारियों को लगी तो वह भडक़ भडक़ उठे। रोडवेज कर्मियों से जुड़ी एटक, राजस्थान स्टेट रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, इंटक, बीएमएस आदि यूनियन के कर्मचारी नेताओं ने रोडवेज प्रशासन के समक्ष अपना कड़ा एतराज जताने के बाद शुक्रवार को बस स्टैंड परिसर में प्रदर्शन किया। राजस्थान स्टेट रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष मेहराम फरड़ोदा ने कहा कि आगार में 82 शिड्यूल अनुमोदित हैं। इसमें वर्तमान में 69 शिड्यूल संचालित हैं। विभागीय प्रावधान के खिलाफ पहले से ही 27 में से दो बसें अतिरिक्त चल रही थी। अब दस बसों के और आ जाने से यह संख्या 37 तक पहुंच गई है। यानी की 50 प्रतिशत बसें अनुबंधित चलाई जाएंगी। यह फैसला रोडवेज की कमर तोडऩे वाला है। एटक यूनियन के अध्यक्ष हरिराम जाजड़ा ने कहा कि विभागीय प्रबन्ध निदेशक या प्रबन्धक विभाग के संवैधानिक ढांचे के तहत ही स्वीकार्य होते हैं। विभाग के शीर्षस्थ अधिकारी ही अब विभाग संवैधानिक ढांचा तोड़ रहे हैं। प्रावधान ही नहीं है, रोडवेज के समानांतर अनुबंधित बसों के संचालन का। फिर विभाग का प्रबन्ध निदेशक हो या मुख्य प्रबन्धक रोडवेज के समानांतर अनुबंधित बसों का संचालन कैसे कर सकते हैं। बीएमएस अध्यक्ष सुरेश कुमार बिश्नोई ने कहा कि आगार में चालक-परिचालकों की पर्याप्त संख्या एवं लाभ दिए जाने के बाद भी 50 प्रतिशत अनुंधित बसों के संचालन का फैसला रोडवेज हित के पूरी तरह से खिलाफ है। यह विडंबनापूर्ण स्थिति है कि अधिकारी खुद को विभागीय प्रावधानों से ऊपर समझने लगे हैं। हालांकि यह फैसला प्रबन्धक निदेशक की ओर से स्थानीय स्तर पर आगार मुख्य प्रबन्धक की सहमति के बाद लिया गया, लेकिन यह असंवैधानिक है। प्रावधानों के खिलाफ कोई भी फैसला संवैधानिक नहीं बन सकता है। बीएमएस के रामेश्वर प्रसाद तेरवा ने कहा कि अधिकारी खुद ही विभाग को घाटा पहुंचाने में लगे हुए हैं। 20 जुलाई तक अधिकारियों को अल्टीमेटम देते हुए चेताया कि फैसला वापस ले लिया जाए, नहीं तो फिर जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ेगा।
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