देश की मौजूदा आर्थिक नीतियां आमजन के अनुकूल नहीं सांसद ने कहा कि यह बात सही है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में महंगाई ने जिस स्तर को छुआ और उससे निर्धन और मध्यम तबके पर जो असर पड़ रहा है, वो चिंताजनक है, लेकिन वर्ष 2009 से 2014 तक कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के कार्यकाल वाली सरकार में भी बहुत ज़्यादा महंगाई थी और तब भाजपा वालों ने नारा दिया था कि ‘बहुत हुई महंगाई की मार और अबकी बार मोदी सरकार’ और जनता ने एक बार नहीं बल्कि दूसरी बार भरोसा करके एनडीए को सत्ता में काबिज किया, लेकिन बढ़ती महंगाई की बात करें तो उस पर नियंत्रण के लिए वर्तमान सरकार ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
घटती आमदनी और बढ़ती महंगाई चिंता का विषय सांसद ने कहा कि कर का बोझ भी उस वर्ग पर डाला जा रहा, जिसके हाथ में करने के लिए काम नहीं है और जिसकी जेब और पेट खाली है। दूसरी तरफ उस वर्ग को कर में छूट दी जा रही है, जिसकी तिजोरियां भरी हुई हैं, यह बात काफ़ी हद तक सही भी है। ऐसे में आमदनी बगैर अर्थव्यवस्था और पानी बगैर नदी की कल्पना करना बेमानी है। स्रोत सूख गए तो समझिए दोनों का अस्तित्व संकट में है और हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी कुछ इस दिशा में बढ़ रही है और जाहिर है कि देश की मौजूदा आर्थिक नीतियां आमजन के अनुकूल नहीं है, क्योंकि एक तरफ अरबपतियों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन मध्यम वर्ग की जो हालात है और ग़रीबी का दायरा बढ़ रहा है, वो चिंताजनक है। इस बात पर सरकार को गंभीरता से विचार करना पड़ेगा।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम किया जाए सांसद बेनीवाल ने 2014 में एनडीए सरकार के शुरुआती दौर से वर्तमान की स्थिति की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जिस प्रकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई, उससे आम जन प्रभावित हुआ है। ऐसे में सरकार को तत्काल पेट्रोल व डीजल की कीमतों को और कम करने की जरूरत है, क्योंकि इसका प्रत्यक्ष असर महंगाई पर पड़ा है। सांसद ने कहा कि डीजल की कीमतें कम होंगी तो किसान आसानी से खेतों में ट्रैक्टर जोतने के लिए डीजल ले सकेगा। आम आदमी कम किराए में सफर कर सकेगा। सांसद ने कहा कि बढ़ी हुई महंगाई से देश का आम जन प्रभावित हुआ है, ऐसे में सरकार को महंगाई नियंत्रित करने के लिए गंभीरता से सोचने की जरूरत है।