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एमएसपी बढ़ाई, लेकिन खरीद की कोई गारंटी नहीं, जानिए क्या है कारण

locationनागौरPublished: Jun 12, 2021 02:52:30 pm

Submitted by:

shyam choudhary

मूंग सहित अन्य दलहन के भाव गिरने से किसान और व्यापारी दोनों चिंतित, व्यापारी व किसान बोले – केन्द्र सरकार की मंशा ठीक नहीं

सरकार ने मूंग का एमएसपी 79 रुपए बढ़ाकर अब 7275 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है

सरकार ने मूंग का एमएसपी 79 रुपए बढ़ाकर अब 7275 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है

नागौर. केन्द्र सरकार ने एक बार फिर मूंग सहित अन्य दलहन व जिंसों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाकर यह जताने का प्रयास किया है कि भाजपा द्वारा चुनाव में किए गए वादे के अनुसार किसानों की आय दुगुनी करने की दिशा में सरकार प्रयासरत है, लेकिन धरातल की स्थिति देखें तो सरकार के निर्णय किसानों के साथ व्यापारियों के लिए भी अहितकारी साबित हो रहे हैं।
यूं तो सरकार ने मूंग के साथ उड़द, मूंगफली, अरहर, मक्का, रागी, ज्वार, धान, बाजरा, सोयाबीन, तिल, रामतिल, कपास आदि का एमएसपी बढ़ाया है, लेकिन नागौर में सबसे ज्यादा मूंग उगाया जाता है, इसलिए हम मूंग की बात करेंगे। सरकार ने मूंग का एमएसपी 79 रुपए बढ़ाकर अब 7275 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है, लेकिन खुले बाजार में मूंग का भाव 6000 रुपए प्र्रति क्विंटल अधिकतम है, जो एमएसपी से करीब 1300 रुपए प्रति क्विंटल कम है।
उधर, सरकार ने गत दिनों आयात भी खोल दिया है, व्यापारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तंजानिया, मोजाम्बिक, केनिया आदि देशों से किए गए मूंग के सौदे 690 से 700 डॉलर प्रति मेट्रिक टन मुम्बई पोर्ट के भाव हैं, जो भारतीय रुपए के हिसाब से 5000 से 5100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव मिल रहा है। इधर, मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्यों में तैयार हुई उनालू फसल का मूंग भी आने लगा है और वहां के किसान को 5500 से 6000 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव मिल रहे हैं। यह भी जानकारी में आया है कि कहीं भी एमएसपी पर पूरी खरीद नहीं हो रही है, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि फिर एमएसपी बढ़ाने से क्या फायदा?
यूं समझें दाल का भाव
सरकार द्वारा तय की गई एमएसपी 7275 रुपए के मूंग की दाल बनाने पर 30 प्रतिशत का मिलर्स को खर्चा पड़ता है। ऐसे में मिल के पास दाल का भाव 9450 रुपए हो जाता है। फिर यह होलसेलर के पास व फिर रिटेलर के पास जाते-जाते ट्रांसपोर्ट व मजदूरी एवं अन्य खर्चा मिलाकर 20 प्रतिशत और बढ़ जाता है। यानी सरकार के एमएसपी के हिसाब मूंग दाल की रिटेल रेट 11,500 रुपए प्रति क्विंटल हो जाती है, लेकिन जैसे ही दाल के भाव 100 से पार होते हैं तो हल्ला शुरू हो जाता है।
ये भी बड़ा सवाल
वर्तमान में मूंग दाल की रेट होलसेलर के पास 7700 रुपए प्रति क्विंटल व रिटेलर के पास 9500 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे चल रही है। व्यापारियों का कहना है कि यदि बाजार में 11,500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिके, तब तक तो एमएसपी रेट पर ही है, ऐसे दाल महंगी कहां हुई? इसके बावजूद सरकार ने व्यापारियों व उद्यमियों से हर सप्ताह स्टॉक स्टेटमेंट मांगा है व स्टॉक का फिजीकल वेरिफिकेशन का आदेश दिया है। यह कहां तक उचित है? इससे दालों का व्यापार करने वाले सभी व्यपारियों व उद्यमि भयभीत हैं।
फिर झूठे वादे क्यों?
सरकार किसानों की आय दुगुनी करने का दावा तो करती है, लेकिन एमएसपी पर पूरी उपज खरीदने की गारंटी नहीं देती। पूरी तो दूर आधी भी नहीं, पिछले सालों में हुई मूंग, चना सहित अन्य जिंसों की खरीद के आंकड़ें देखें या अधिकारियों की मानें तो कुल उत्पादन का मात्र 25 प्रतिशत ही खरीदा जाता है। रजिस्ट्रेशन से लेकर खरीद तक इस प्रकार के बेरियर लगा रखे हैं कि किसान परेशान होकर मंडी में कम दामों पर ही अपना मूंग बेचने पर मजबूर होता है। व्यापारियों का कहना है कि जब सरकार की स्पोर्ट प्राइस के हिसाब से 1500 रुपए क्विंटल नीचे मूंग का बाजार चल रहा है, तो आयात खोलना, स्टॉक का डर बताकर व्यापार बाधित करना समझ से परे है।
कभी नहीं होती पूरे माल की खरीद
सरकार एमएसपी पर किसान का पूरा माल कभी नहीं लेती और व्यापारी को बाधित कर के उसको भी नहीं लेने देती। सरकार जनता को सस्ता खिलाना चाहती है तो फिर किसान को धोखा क्यों देती है? क्या व्यापारी किसान का माल ऊंचे भाव में लेकर जनता को सस्ता बेचेगा, यह कभी नहीं हो सकता। सरकार को व्यापारी नहीं बनना चाहिए, व्यापारी को खुली छूट देनी चाहिए और जब भाव किसी भी वस्तु के दुगने से ज्यादा हो जाए तो सरकार को सोचना चाहिए, नहीं तो किसी का भी भला नहीं होगा।
– भोजराज सारस्वत, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, नागौर इकाई
एमएसपी पर खरीद की गारंटी मिले
एमएसपी बढ़ाने का तब तक कोई औचित्य नहीं है, जब तक किसानों को एमएसपी पर खरीद की गारंटी नहीं दी जाती। दलहन का आयात करना सरकार का किसान विरोध कदम है। सरकार को वाकई किसानों की चिंता है तो एमएसपी पर खरीद की गारंटी दे।
– अर्जुनराम लोमरोड़, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन टिकैत, नागौर
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