झूलों के नाम पर रह गए पोल
नगर परिषद की लापरवाही के चलते उद्यान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। परिषद के जिम्मेदारों में प्रबंधन क्षमता की कमी का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। नगर परिषद कार्यालय परिसर के सामने बने पार्क में बदइंतजामी की सुध तक नहीं लेते। शहरवासियों को नेहरू उद्यान के रूप में एक सौगात मिली लेकिन नगर परिषद यहां व्यवस्थाएं यथावत नहीं रख पाई और हालात बदतर हो गए हैं। पार्क में कहीं हरियाली गायब है तो यहां पर झूले और अन्य मनोरंजन के साधन टूटने-फूटने लगे हैं। पार्क में लगाए गए फव्वारे बदहाली के आंसू बहा रहे हैं।
कभी हो सकता है बड़ा हादसा
पार्क में कई पौधे सूख गए हैं तो रोशनी के लिए लगाई गई लाइट्स और पोल जमीन पर पड़े हुए हैं। पोल के पास बिजली के नंगे तारों से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। पार्क में चारों ओर गंदगी व अव्यवस्था उपेक्षा की कहानी बयां कर रही है। लोग दिन भर की थकान के बाद यहां ताजगी लेने के उद्देश्य से आते हैं लेकिन सुकून नहीं मिलता। पार्क में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहने से परिवार के साथ यहां आने वाले लोग दुबारा इस पार्क का रुख नहीं करते।