नागौर जिले में लक्ष्य से 4 लाख अधिक बनाए सॉयल हैल्थ कार्ड, जानिए, क्या काम आएंगे
नागौर जिले में पांच साल में बनाए 11.51 लाख मृदा कार्ड, अब गांवों जाकर जगाएंगे जागरुकता

नागौर. पांच वर्ष पूर्व 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉयल हैल्थ कार्ड) योजना के तहत किसानों को नागौर जिले में थोक में कार्ड बांटे गए हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में जहां 7 लाख 58 हजार 462 सॉयल हैल्थ कार्ड वितरण का लक्ष्य था, वहां कृषि विभाग ने 11 लाख 51 हजार 551 कार्ड तैयार करवाकर वितरित कर दिए हैं।
कृषि विभाग के किलए अब बड़ी चुनौती यह है कि किसान सॉयल हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट के अनुसार खेतों में उरर्वकों का उपयोग करे। गौरतलब है कि जानकारी के अभाव में किसान उरर्वकों का अंधाधुंध उपयोग कर रहे थे, जिससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा था, बल्कि जमीन भी खराब हो रही थी और अधिक उपयोग से अनाज की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही थी। इसका समाधान करने एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार ने सॉइल हैल्थ कार्ड योजना लागू की थी। लेकिन जानकारी के अभाव में किसान आज भी हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट जाने बिना उरर्वकों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे सरकार द्वारा खर्च किए गए करोड़ों रुपए उसी मिट्टी में मिल रहे हैं।
प्राइवेट लैब को करोड़ों का भुगतान
राज्य सरकारों को प्रत्येक सॉयल नमूने के लिए कुल 190 रुपए प्रदान किया जाता है। इसमें सॉयल सेम्पलिंग, टेस्टिंग, सॉयल हेल्थ कार्ड सृजन एवं किसानों को वितरण की लागत शामिल है। अकेले नागौर जिले में कृष्णा लेब जयपुर द्वारा वर्ष 2017-18 व 2018-19 में ३ लाख ८६ हजार ९१५ तथा एलटीसी कम्पनी जयपुर द्वारा वर्ष 2018-19 में मेड़ता सिटी, डेगाना, लाडनूं व कुचामन सिटी की पीपीपी मॉड पर संचालित लैब में 3 लाख 17 हजार 76 कार्ड बनाकर वितरित किए गए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सॉयल हैल्थ कार्ड बनाने की एवज में कम्पनियों को करोड़ों का भुगतान किया गया है।
जानिए, क्या है सॉयल हेल्थ कार्ड
एसएचसी एक प्रिंटेड रिपोर्ट है जिसे किसान को उसके प्रत्येक जोतों के लिए दिया गया है। इसमें 12 पैरामीटर जैसे एनपीके (मुख्य - पोषक तत्व), सल्फर (गौण - पोषक तत्व), जिंक, फेरस, कॉपर, मैग्निश्यम, बोरॉन (सूक्ष्म - पोषक तत्व) और इसी ओसी (भौतिक पैरामीटर) के संबंध में उनकी सॉयल की स्थिति निहित की गई है। इसके आधार पर एसएचसी में खेती के लिए अपेक्षित सॉयल सुधार और उर्वरक सिफारिशों को भी दर्शाया गया है। इसमें विभिन्न आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा की संबंध में सिफारिशों को दर्शाकर किसानों को उर्वरकों और उसकी मात्रा के संबंध में सलाह दी गई है। जिसका उन्हें प्रयोग करना चाहिए और मृदा सुधारकों की भी स्थिति के बारे में सलाह दी गई है, जिससे उपज का अनुकूल लाभ प्राप्त किया जा सके।
लक्ष्य से अधिक बांटे कार्ड
नागौर जिले को पांच वर्ष में 7 लाख 58 हजार 462 मृदा स्वास्थ कार्ड वितरण का संभावित लक्ष्य मिला था, जिसकी तुलना में हमने पांच वर्ष पूरे होने तक 11 लाख 51 हजार से अधिक कार्ड तैयार करवाकर वितरित कर दिए। अब किसानों को गोष्ठियों एवं प्रदर्शन के माध्यम से कार्ड की महत्ता के बारे में बताया जाएगा।
- हरजीराम चौधरी, उपनिदेशक, कृषि विभाग, नागौर
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