नागौरPublished: Jun 13, 2018 12:24:44 pm
Sharad Shukla
मंगलवार को दर्जन भर से अधिक चिकित्सक रहे अवकाश व मीटिंग में, कई चिकित्सकों के कक्ष मिले बंद, सोनोग्राफी व एक्सरे के लिए भटकते मरीज, बाहर से कराने की दे रहे सलाह
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नागौर. जिला मुख्यालय के राजकीय जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय की इनदिनों सेहत बिगड़ी हुई है। यहां आने वाले रोगियों के इलाज की कोई गारंटी नहीं है। चिकित्सक मिलेंगे या नहीं, इसका कुछ पता नहीं रहता है। अस्पताल में चिकित्सकों की उपस्थिति दर्शाने वाला ड्यूटी चार्ट भी कोई अता-पता नहीं था। लोगों ने बताया कि यह स्थिति रोजाना रहती है। इस संबंध में मंगलवार को पड़ताल करने पर कहीं चिकित्सक के कमरें बंद मिले तो, कहीं पर मरीजों की लंबी लाइन के बीच सोनोग्राफी व एक्सरे कराने के लिए रोगी भट रहे थे। हालात यह थे कि छह चिकित्सक ऐच्छिक अवकाश पर थे और पांच का साप्ताहिक अवकाश था। एक चिकित्सक शिविर व एक मीटिंग में गए हुए थे। दर्जन भर से अधिक चिकित्सक अस्पताल में नहीं थे। गर्मी के मौसम में आउटडोर में रोजाना रोगियों की बढ़ती भीड़ होने के बाद भी एक साथ इतने चिकित्सकों के नहीं होने से अस्पताल खुद कोमा में पहुंच गया।
मेडिसिन ओपीडी: 10 बजकर 38 मिनट
यहां पर मरीजों की भीड़ लगी मिली। 13 नंबर का कमरा बंद मिला। यहां पर केवल एक चिकित्सक ही मरीजों को देखते मिले। अन्य दो कक्ष बदं पाए गए। इंतजार कर रहे लोगों का कहना था कि वह काफी देर से चिकित्सक की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बगल में स्थित एक अन्य गैलरी में पहुंचे तो यहां पर दो चिकित्सकों के कक्ष थे और दोनों ही चिकित्सक नदारद मिले।
हॉस्पिटल प्रवेशद्वार: 10 बजकर 45 मिनट
अस्पताल परिसर में प्रवेश करने के बाद पर्चियां बनती मिली। यहीं पर बगल में चिकित्सकों के अवकाश एवं अनुपस्थिति का चार्ट तो मिला, लेकिन ड्यूटी चार्ट कहीं नजर नहीं आया। मसलन कौन चिकित्सक कितने नंबर कक्ष में है इसकी जानकारी कहीं नहीं मिली।
सोनोग्राफी कक्ष: 11 बजे
यहां पर सोनोग्राफी के लिए तकरीबन चार से पांच दर्जन लोगों की भीड़ लगी हुई थी, लेकिन सोनोग्राफी केवल एक कक्ष में मंथर गति हो रही थी, जबकि इसकी दो मशीनें व विशेषज्ञों की सुविधा है। इसके बाद भी दूसरी मशीन में सोनोग्राफी नहीं की जा रही थी। दोपहर में अस्पताल बंद होने के समय यहां वापस आने पर पता चला कि ज्यादातर की सोनोग्राफी नहीं हुई । अब बाहर से करानी पड़ेगी।
एक्सरे कक्ष: 11 बजकर 5 मिनट
हॉस्पिटल के एक्सरे कक्ष के बाहर भी लोगों भी भीड़ लगी थी। यहां पर डिजिटल एक्सरे की सुविधा होने के बाद भी किसी का एक्सरे नहीं किया जा रहा था। सामान्य मशीन से ही एक्सरे निकाल रहे थे। लेकिन गति इतनी धीमी थी कि निर्धारित समयावधि तक तो कइयों का एक्सरे ही नहीं हो पाया। सभी को सलाह दी गई कि अच्छी रिपोर्ट चाहिए तो बाहर से एक्सरे करा लो।
हॉस्पिटल का मुख्य हाल: 11 बजकर 20 मिनट
इस हाल के अगल-बगल में चार चिकित्सक के कक्ष थे, लेकिन एक भी चिकित्सक मौजूद नहीं मिला। चारों कमरोंं पर ताला लगा मिला। यहां पर मरीजों ने बताया कि वह सुबह नौ बजे से बैठे हुए हैं, लेकिन डॉक्टर अभी तक नहीं आए हैं। यह स्थिति अस्पताल के आउटडोर का समय समाप्त होने तक बनी रही।
बात करने से बचते रहे जिम्मेदार
जिला हॉस्पिटल के कार्यवाहक प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. शंकरलाल से इस संबंध में बात करने का प्रयास किया, लेकिन वह इस पूरे मामले पर कुछ भी कहने से बचते रहे।