गौरतलब है कि डीडवाना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय गुप्ता ने परबतसर के एक वाट्सएप न्यूज गु्रप में विवादास्पद पोस्ट करते हुए जिले के विधायकों व नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए अवैध खनन, अवैध कारोबार के साथ अफीम-डोडा तस्करों को संरक्षण देने की बात कही। एएसपी ने एसपी श्वेता धनखड़ की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा कि उच्च अधिकारियों के संरक्षण से व विधायकों की डिजायर से आए थानेदार और सीआई लेवल के अधिकारियों को एसपी धनखड़ की कार्यशैली पसंद नहीं आ रही है। हालांकि कुछ देर बाद एएसपी ने मैसेज डिलीट कर दिया तथा कहा कि यह मैसेज उन्होंने नहीं लिखा, लेकिन कुछ गु्रप सदस्यों ने मैसेज का स्क्रीन शॉट लेकर दूसरे गु्रप्स में वायरल कर दिया।
सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल होने के बाद मकराना विधायक रूपाराम मुरावतिया ने अपने फेसबुक अकाउण्ट पर गुप्ता के बयान को लेकर पोस्ट करते हुए कहा कि एक पुलिस अधिकारी होने के बावजूद जिस प्रकार का संदेश गुप्ता द्वारा भेजा गया है, वह पुलिस प्रशासन की साख और इमेज को कलंकित करने एवं कर्तव्यनिष्ठ पुलिस कार्मिकों का मनोबल गिराने वाला है। विधायकों को इस प्रकार नीचा दिखाने का यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है। साथ ही विधायक मुरावतिया ने कहा कि एएसपी गुप्ता ने एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी होने के नाते ऐसे नेताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की, जो अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं, इसका भी उल्लेेख अति आवश्यक है।
इसी प्रकार सत्ताधारी पार्टी के डीडवाना विधायक चेतन डूडी ने मुख्यमंत्री व राजस्थान पुलिस को टेग करते हुए ट्वीट करते हुए डीडवाना एएसपी द्वारा वाट्सएप ग्रुप में की गई पोस्ट को जनप्रतिनिधियों का अपमान बताते हुए अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक बताया है। साथ ही राजस्थान सरकार से मांग की है कि अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
नागौर एसपी श्वेता धनखड़ की शिकायत डीजीपी व मुख्यमंत्री से करने वाले सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी से खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल व मेड़ता विधायक इंदिरा देवी बावरी ने भी फेसबुक पर डीडवाना एडिशनल एसपी संजय गुप्ता की पोस्ट को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। दोनों विधायकों ने कहा कि एएसपी ने नागौर एसपी का महिमामण्डन करते हुए प्रत्यक्ष रूप से स्वयं के विभाग के उच्च अधिकारियों और जनता द्वारा चुने हुए विधायको को चैलेंज दिया है। एएसपी की इस पोस्ट ने उन थानेदारों व सीआई रैंक के अफसरों को भी निराश किया है, जो स्वयं की काबिलियत से लगे हुए हैं। विधायकों ने कहा कि इस पोस्ट से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कि डीडवाना में कार्यरत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की भूमिका भी सट्टा कारोबार को लेकर संदेह के घेरे में है। विधायक बेनीवाल ने कहा कि यदि एएसपी की बात में जरा भी सत्यता थी तो फिर उन्होंने ग्रुप में पोस्ट लिखने के बाद डिलीट क्यों की? ऐसी पोस्ट से उन्होंने न केवल स्वयं के सिस्टम के उच्च अधिकारियों को चुनौती दी है, बल्कि विधायिका की गरिमा का भी अपमान किया है। राजस्थान सरकार को ऐसे मामलों पर संज्ञान लेकर विधायिका को चुनौती देने वाले ऐसे अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि जो प्रोटोकॉल राजस्थान कि विधानसभा ने जनता के चुने हुए विधायकों को दे रखा है, उसकी पालना हो सके।