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Nagaur patrika…कार्यकाल के एक साल बाद भी सरकार ने चालू नहीं किया प्रशासन-शहरों संग अभियान

-जिले में स्थानीय निकायों में अभियान के दौरान पट्टे जारी करने में पहले नंबर पर था नागौर–अभियान चालू होता तो आवासीय क्षेत्रों के पट्टों के साथ ही अन्य कार्य भी योजनागत सुविधा से होते एक्सपर्ट व्यू…नगरपरिषद के पूर्व सहायक नगर नियोजक मामराज का कहना है कि अभियान के दौरान लोगों को आवश्यक छूट एवं अन्य […]

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-जिले में स्थानीय निकायों में अभियान के दौरान पट्टे जारी करने में पहले नंबर पर था नागौर
-अभियान चालू होता तो आवासीय क्षेत्रों के पट्टों के साथ ही अन्य कार्य भी योजनागत सुविधा से होते

  • अभियान चालू नहीं होने से सरकार के प्रति बढ़ रही लोगों में निराशानागौर. राज्य सरकार के कार्यकाल के एक साल पूर्ण होने के बाद भी प्रशासन-शहरों संग अभियान अब तक नहीं चला। हालांकि अभियान के दौरान नागौर नगरपरिषद की ओर से जिले की स्थानीय निकायों के साथ ही प्रदेश के नगरपरिषदों में सर्वाधिक पट्टे जारी करने का रिकार्ड बनाया था। अकेले नागौर नगरपरिषद की ओर से 13 हजार 332 पट्टे बनाए गए थे। जिले की अन्य स्थानीय निकायों के साथ ही प्रदेश के नगपरिषदों में ही यह सर्वाधिक रिकार्ड रहा है। माना जा रहा है कि अभियान चालू होता तो पट्टे के लिए चक्कर लगा रहे लोगों को छूट में मिली सुविधाओं के साथ ही उनके कार्य भी बेहतर तरीके से हो जाते। अभियान चालू नहीं होने से अब निराशा की स्थिति सरकार के प्रति बनने लगी है।प्रशासन-शहरों संग अभियान के तहत प्रथम चरण में नागौर जिला पट्टे जारी करने में साढ़े आठ हजार पट्टे जारी कर प्रदेश के नगरपरिषदों में पहले नंबर पर रहा है। दूसरे चरण में भी नागौर जिला अव्वल रहा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2021 में प्रशासन-शहरों संग शिविर गत दो अक्टूबर से शुरू हुआ और 30 दिसंबर तक चला। इस अवधि में नागौर में जारी होने वाले पट्टों की संख्या शिविर के अंतिम दिवस तक 8500 तक जा पहुंची। इसके बाद चले अभियान में अकेले नागौर जिले में जारी पट्टों का आंकड़ा 29871 तक जा पहुंचा था। आंकड़ों के हिसाब से वह पट्टे जारी करने के साथ शिविर में आने वाले अन्य प्रकरणों के निस्तारण में भी नागौर जिले की औसतन स्थिति भी अन्य जिलों के नगरपरिषद की अपेक्षा रेकिंग में शीर्षस्थ रही है। इसमें अकेले नागौर परिषद का आंकड़ा ही 13 हजार पट्टे जारी करने का रहा है। इस दौरान दौरान टॉप टेन में रहे नगरपरिषदों में सीकर, बालोतरा, जैसलमेर, किशनगढ़, दौसा, टोंक एवं हनुमानगढ़ आदि आंकड़ों नागौर जिले की अपेक्षा बैकफुट पर रहे। अधिकारियों के अनुसार नागौर जिले का आंकड़ा इन जिलों की नगरपरिषदों में पट्टों के मामले में 60 प्रतिशत ज्यादा रहा है।अभियान के दौरान पूर्व में हुए जारी पट्टों के आंकड़ों पर एक नजरनागौर 1332डेगाना 2657कुचेरा 1369मेड़ता 9267मूण्डवा 1499जायल 1298बासनी 440इसमें भी थी स्थिति बेहतर, अब चक्कर लगाने पड़ते हैंअभियान के दौरान नगरपरिषद में जन्म-मृत्यु पंजीयन, इंदिरा गांधी शहरी कार्ड योजना, नामांतरण सहित अन्य प्रकरणों में स्थिति जिले की बेहतर रही है। कृषि भूमि, भवन निर्माण स्वीकृति , जन्म- मृत्यु, विवाह, नामान्तरण, कब्जा नियमन आदि के प्रकरणों के निस्तारण के लिए वर्तमान में लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। जबकि अभियान चलता तो फिर निश्चित रूप से इस तरह के कार्यों का निस्तारण भी प्राथमिकता से हो जाता।

एक्सपर्ट व्यू…
नगरपरिषद के पूर्व सहायक नगर नियोजक मामराज का कहना है कि अभियान के दौरान लोगों को आवश्यक छूट एवं अन्य योजनागत सुविधाओं का लाभ होता है। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार प्रशासन-शहरों संग अभियान चलाएगी, लेकिन अब तक यह केवल उम्मीद ही बनी हुई है। हालांकि अभियान सरकार ने चलाया तो निश्चित रूप से शहरवासियों को इसका फायदा जरूर मिलेगा।

इनका कहना है…
नागौर जिला पट्टे जारी करने में नगरपरिषदों में पट्टे जारी कर पहले नंबर पर रहा है। अन्य प्रकरणों के निस्तारण में भी स्थिति काफी बेहतर रही है। अभियान के संदर्भ में लोग जानकारी लेने के लिए आते हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं आई है।
रामरतन चौधरी, आयुक्त नागौर नगरपरिषद